Move to Jagran APP

Ahoi Ashtami 2021: अहोई अष्टमी पर बन रहा अमृत सिद्ध योग, जानिए खास मुहूर्त

इस बार अहोई अष्‍टमी 28 अक्‍टूबर को है। अहोई अष्‍टमी पर इस बार अमृत सिद्ध योग बन रहा है। संतान की रक्षा और दीघार्यु के लिए महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। जानें व्रत का महत्‍व और पूजा विधि।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 04:03 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 11:38 PM (IST)
Ahoi Ashtami 2021: अहोई अष्टमी पर बन रहा अमृत सिद्ध योग, जानिए खास मुहूर्त
जानिए अहोई अष्‍टमी की व्रत कथा और पूजा विधि।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता (पार्वती) की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। जिन लोगों को संतान नहीं हो पा रही हो उनके लिए ये व्रत विशेष है। जिनकी संतान दीर्घायु न होती हो उनके लिए भी ये व्रत शुभकारी होता है।

loksabha election banner

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि अहोई अष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत भी करवा चौथ के व्रत की तरह ही कठिन माना जाता है। अहोई अष्टमी व्रत में माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में तारों को जल अर्पित करने के बाद व्रत को खोलती है। अष्टमी तिथि को अहोई माता की पूजा की जाती है। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर वीरवार को है।

अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी व्रत के साथ ही इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। मान्यता ये भी है कि इस दिन व्रत रखने से अहाई माता प्रसन्न होती हैं और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। जिनकी संतान दीर्घायु न हो रही हो या फिर गर्भ में ही मृत्यु हो रही हो उन महिलाओं के लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत काफी शुभ माना जाता है। ये उपवास आयुकारक और सौभाग्यकारक होता है।

कैसे रखें इस दिन उपवास

प्रातः स्नान करके अहोई की पूजा का संकल्प लें। अहोई माता की आकृति, गेरू या लाल रंग से दीवार पर बनाएं. सूर्यास्त के बाद तारे निकलने पर पूजन आरम्भ करें। पूजा की सामग्री में एक चांदी या सफेद धातु की अहोई, चांदी की मोती की माला, जल से भरा हुआ कलश, दूध-भात, हलवा और पुष्प, दीप आदि रखें। पहले अहोई माता की रोली, पुष्प, दीप से पूजा करें और उन्हें दूध भात अर्पित करें। फिर हाथ में गेहूं के सात दाने और कुछ दक्षिणा (बयाना) लेकर अहोई की कथा सुनें। कथा के बाद माला गले में पहन लें और गेहूं के दाने और बयाना सासु मां को देकर उनका आशीर्वाद लें। अब तारों को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करें।

बन रहे शुभ योग

ज्योतिषाचार्य डा. रामराज कौशिक ने बताया कि इस दिन सुबह 9:42 बजे गुरु पुष्य नक्षत्र लग जाएगा। जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ होता है। अमृत सिद्ध योग सुबह 9:42 बजे शुरू होगा और यह 29 अक्टूबर को सुबह 6:25 बजे तक रहेगा। अमृत सिद्ध योग में किया गया शुभ कार्य सफल होता है। साफ शब्दों में कहें तो इस योग में किया गया पूजन कार्य का शुभ फल आने वाले समय में निश्चित ही मिलता है।

शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर वीरवार को दोपहर 12:51 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन 29 अक्टूबर को सुबह 02:10 बजे तक रहेगी। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 6:40 से 8:35 बजे तक रहेगा।

अहोई अष्टमी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

1. इस दिन अपने घर में किसी भी प्रकार से कलेश न करें। मान्यता है कि ऐसा करने से अहोई माता नाराज हो जाती हैं और आपको मनोवांच्छित फल की प्राप्ति नहीं होती।

2. अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे का प्रयोग बिल्कुल न करें और केवल स्टील या पीतल के लोटे का ही प्रयोग करें।

3. अहोई अष्टमी के दिन घर में तामसिक चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान की आयु कम होती है।

4. अहोई अष्टमी के दिन सोना नहीं चाहिए है। ऐसी मान्यता है कि सोने से व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूर्ण फलों की प्राप्ति नही होती।

5. अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी को भूलकर भी खुदाई न करें और न ही इस दिन खुरपी से कोई पौधा भी न उखाड़े।

6. अहोई अष्टमी के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को दान अवश्य दें। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी व्रत के बाद दक्षिणा देने से उस व्रत के पूर्ण फल प्राप्त होते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.