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नहर से बचाते जिंदगी, पर्यावरण को सहेजते, पौधों को कर रहे अमर

हरियाणा के यमुनानगर में अलाहर गांव के अमर सिंह नहर में डूबते लोगों की जिंदगी बचाते हैं। इसके अलावा पर्यावरण को सहेजते हैं। पर्यावरण के लिए फलदार पौधों को लगाते हैं। हर बार पौधे लगाने का लक्ष्‍य तय करते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 04:10 PM (IST)
नहर से बचाते जिंदगी, पर्यावरण को सहेजते, पौधों को कर रहे अमर
यमुनानगर में अलाहर गांव के अमर सिंह पर्यावरण सहेज रहे।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। ये हैं अलाहर गांव के अमर सिंह। पेशे से इनके पास नहरों में डूबने वाले लोगों की जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा इन पर पर्यावरण को बचाने का भी जुनून सवार है। अपने खर्च पर तो पौधे लगा ही रहे हैं परंतु जब भी समाज सेवी संस्थाओं के साथ जुड़ने का भी मौका मिलता है तो उनके साथ भी पौधे लगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। कुछ सालों में ही हजारों पौधे लगा चुके हैं। अब मानसून सीजन में पौधरोपण अभियान फिर शुरू होगा। इस बार 2000 पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है।

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फलदार व छायादार पौधे लगाते हैं

अमर सिंह का कहना है कि वे फलदार व छायादार दोनों तरह के पौधे लगाते हैं। परंतु प्राथमिकता फलदार पौधों को देते हैं। क्योंकि आम आदमी इतना नहीं कमा पाता कि वह परिवार के लिए फल खरीद सके। बड़े होने पर जब इन पौधों पर फल आता है तो कोई भी उन्हें तोड़ कर खा सकता है। इसलिए ज्यादातर लीची, आम, आडू, बेरी, अमरूद के पौधे लगाते हैं। इसके अलावा छायादार पौधों में नीम व तुन के पौधे रोपते हैं।

जन्मदिन व सालगिरह पर जरूर लगाते पौधे

अमर सिंह के पास चार साल की बेटी रायना है। उसके जन्मदिन पर हर साल पौधा जरूर लगाते हैं। इसके अलावा अपने जन्मदिन व शादी की सालगिरह पर भी पौधरोपण करते हैं। पौधा लगाने की फोटो सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करते हैं ताकि दूसरे लाेग भी पौधे लगाने के लिए आगे आएं। अमर सिंह गांव की पंचायती जमीन, शहर के पार्कों व खाली जगहों पर पौधे लगा चुके हैं। इनके लगाए गए पौधे अब फलों से लदे हुए हैं।

गुरुकुल की शिक्षा का असर

इनकी प्रारंभिक शिक्षा शादीपुर स्थित गुरुकुल में हुई। गुरुकुल में शिक्षा के साथ-साथ समाज सेवा भी सिखाई जाती है। इसलिए पौधे लगाने का जुनून सवार है। गुरुकुल में पढ़ने के दिनों से ही कुश्ती करने लगे। जिसमें कई पहलवानों को पटखनी दे चुके हैं। इसके बाद जनसेवा करते हुए नहर व नदियों में डूबने वाले लोगों को बचाने लगे। 2007-08 में रेडक्रास से जुड़े। 2014 में अनुबंध आधार पर सिंचाई विभाग में काम किया। वहां भी इन्हें डूबने वालों को बचाने का काम मिला। 2015 में नगर निगम से जुड़ कर गोताखोर का काम मिला। इसके अलावा रक्तदान भी कर रहे हैं। लाकडाउन में कामगारों व जरूरतमंदों को भोजन, चप्पल उपलब्ध कराए।


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