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आसमान से धुंध नहीं, हमारी गलतियों का स्‍मॉग छाया है, अब इस तरह बचें

हृदय रोगी, दमा-टीबी के मरीज रहें सावधान। बच्चों-बुजुर्गों के लिए भी दिक्कत। खतरनाक गैसों और कोहरे के मेल से स्मॉग बनता है। तेज हवा चलने या बारिश के बाद ही स्मॉग का असर खत्म होता है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 02:02 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 02:03 PM (IST)
आसमान से धुंध नहीं, हमारी गलतियों का स्‍मॉग छाया है, अब इस तरह बचें
आसमान से धुंध नहीं, हमारी गलतियों का स्‍मॉग छाया है, अब इस तरह बचें

जागरण संवाददाता, पानीपत - वातावरण में धुंध के रूप में प्रदूषण (स्मॉग) की परत छायी रही। अलसुबह मौसम में नमी और दिन में गर्मी ने संकेत दे दिए कि मौसम बदल रहा है। यह मौसम हृदय रोगियों, दमा और टीबी के मरीजों सहित बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक है। ब्लड प्रेशर के रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक और दमा रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी स्मॉग नुकसानदायक है। आंखों में जलन होने लगती है। सिविल अस्पताल की मेडिसन और शिशु रोग ओपीडी में डॉक्टर मरीजों को इलाज के साथ बचाव की जानकारी देते देखे गए।

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यह है स्मॉग
स्मॉग शब्द स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। खतरनाक गैसों और कोहरे के मेल से स्मॉग बनता है। तेज हवा चलने या बारिश के बाद ही स्मॉग का असर खत्म होता है। सर्दी के मौसम में ऐसा नहीं हो पाता और धुएं और धुंध का एक जहरीला मिश्रण तैयार होकर सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंचने लगता है। स्मॉग कई मायनों में स्मोक और फॉग दोनों से ज्यादा खतरनाक है।

स्मॉग से होनेवाली दिक्कतें

  • -खांसी, सांस लेने में तकलीफ।
  • -आंखों में जलन।
  • -दिल की बीमारी।
  • -त्वचा संबंधी बीमारियां।
  • -नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन।

स्मॉग से बचाव का तरीका

  • -घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं।
  • -घर से बाहर निकलें तो मुहं पर मास्क लगाएं।
  • -दिन में तकरीबन 3-4 लीटर तक पानी पिएं।
  • -आंखों पर चश्मा पहनें।
  • -बाहर से घर पहुंचने पर गुनगुने पानी से चेहरा धोएं।
  • -सांस लेने में तकलीफ है गर्म पानी की भाप लें।
  • -अस्थमा-दिल के मरीज समय पर मेडिसिन लें।
  • -इनहेलर हमेशा साथ रखें।
  • -तुलसी, अदरख की चाय का सेवन करें।
  • -स्मॉग के समय बुजुर्ग बाहर न टहलें।

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हर साल बढ़ रहा स्‍मॉग
पानीपत के डिप्टी सिविल सर्जन ने बताया कि  डॉ. मुनीष गोयल ने बताया कि स्मॉग शहर और गांव वासियों के लिए विगत कुछ वर्षों से बड़ा खतरा बना हुआ है। वाहनों और कारखानों के प्रदूषण के कारण स्मॉग हर साल बढ़ता ही जा रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी।पहले से दमा, टीबी, हार्ट रोग और कैंसर ग्रस्त रोगियों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। 

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चेकअप करतीं डॉ. निहारिका।

बच्‍चे होते हैं नाजुक
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निहारिका ने बताया कि बच्चे बहुत नाजुक होते हैं। स्मॉग का बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है। आंखों में जलन के साथ संक्रमण हो जाता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। माता-पिता को सलाह है कि बच्चों को सर्दी-स्मॉग से बचाएं। गर्म कपड़े पहनाने शुरु कर दें। गुनगुने पानी से स्नान कराएं।


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