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तंत्र के गण: ससुराल में कलह के बाद मायके आई बेटी, ऐसे पढ़ी की बनी यूपीएससी टॉपर

पानीपत की रहने वाली अनु की शादी सोनीपत में एक प्रॉपर्टी डीलर से हुई। कुछ दिन बाद ससुराल में अनबन हो गई। जब हालात नहीं सुधरे तो वह मायके आ गई। पढ़ाई की और यूपीएससी परीक्षा पास की।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 02:28 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 12:13 PM (IST)
तंत्र के गण: ससुराल में कलह के बाद मायके आई बेटी, ऐसे पढ़ी की बनी यूपीएससी टॉपर
तंत्र के गण: ससुराल में कलह के बाद मायके आई बेटी, ऐसे पढ़ी की बनी यूपीएससी टॉपर

पानीपत [जगमहेंद्र सरोहा]। यह कहानी आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती है। शादी के बाद हालात ऐसे बने कि ससुराल छोडऩा पड़ गया। गोद में एक बेटा था। इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी की। पढ़ाई में होशियार थी। आइएएस बनना चाहती थी। एक साल खुद को तैयारी के लिए देना चाहती थी। पर भाई ने आखिरी तारीख पर यूपीएससी का फार्म भरवा दिया। वो न केवल पास हुई, बल्कि देश में सेकेंड टॉपर चुनी गई। ये पानीपत के छोटे से गांव दिवाना की बेटी अनु। फिलहाल केरल में ट्रेनिंग पर है। 

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पिता बलजीत सिंह जयपुर गोल्डन अस्पताल में एचआर मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। बलजीत का घर पानीपत के गांव दिवाना में है। उनकी दो बेटी और दो बेटे हैं। अनु दूसरे नंबर की बेटी है। उनका परिवार 30 वर्ष पहले सोनीपत में आकर रहने लग गया। अनु ने 2006 में कैट की परीक्षा 93.39 प्रतिशत से पास की। गाजियाबाद में एमबीए के लिए चयन हो गया लेकिन यहां पर दाखिला नहीं हो सका। नागपुर स्थित ब्रांच में दाखिला मिला। उसने इसके साथ सीजीएल का एग्जाम भी पास कर लिया था। वह इसके लिए ज्वाइन करने की सोच रही थी। इसी समय यूपीएससी (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) का परिणाम आ गया।

अनु को ससुराल का नहीं मिला सहयोग
अनु की शादी 23 फरवरी, 2012 को सोनीपत के मंडोर गांव निवासी वरुण के साथ हुई थी। उनके पति का का प्रॉपर्टी डीलिंग का काम था। वे उस वक्त नरेला में रहते थे। शादी के कुछ दिनों बाद ही ससुराल में किसी बात पर अनबन हो गई। बेटे को जन्म देने के बाद भी ससुराल में कलह कम नहीं हुआ। वह बेटे को लेकर मायके आ गई। बेटा आज भी नानी के पास रह रहा है। वह केजी कक्षा में पहुंच गया है।

बेटे को मां ने तो उसको मौसी ने संभाला
पिता बलजीत ने बताया कि बेटी अनु को किसी तरह की परेशानी सामने नहीं आने दी। उसकी मां संतरो देवी ने उसके बेटे को संभाला। अनु अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए एकांत माहौल चाहती थी। उन्होंने पुरखास गांव में उसकी मौसी के पास अनु को भेज दिया। अनु पहली बार यूपीएससी का एग्जाम नहीं देना चाहती थी, लेकिन उसके छोटे भाई  वीनित कुमार ने उसका फार्म भर दिया।  उसकी गुरुग्राम की एक फ्रेंड ने फोन कर यूपीएसपी में सेकंड आने की जानकारी दी तो खुद अनु को भी इस पर यकीन नहीं हुआ।

बैंक में सहायक प्रबंधक से शुरू किया था कैरियर
अनु ने एमबीए फाइनेंस में की थी। उस वक्त कॉलेज में आइसीआइसीआइ बैंक ने कैंपस प्लेसमेंट के लिए इंटरव्यू लिए। अनु का सहायक प्रबंधक के रूप में चयन हो गया। वे यहां पर तीन वर्ष तक रही। इसके बाद गुरुग्राम स्थित एक कंपनी में दो वर्ष काम किया। उसने पिछले दिनों एक इंश्योरेंस कंपनी में सहायक प्रबंधक के पद पर ज्वाइन किया। वह अब सीनियर मैनेजर प्रोजेक्ट के रूप में काम कर रही थी।


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