दंपती ने उठाया गरीब छात्राओं की शिक्षा का बीड़ा, कर दी बेटियों की जिंदगी रोशन Panipat News
सेवानिवृत्ति के बाद पति-पत्नी ने गरीब छात्राओं की शिक्षा का बीड़ा उठाया। 350 छात्राओं को हर माह 500 रुपये आर्थिक मदद भी करते हैं।
पानीपत, [राज सिंह]। सेवानिवृत्ति के बाद इस दंपती ने गरीब बेटियों के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैलाने को ही मिशन बना लिया। छह-सात साल पहले शुरू की मुहिम से संगी-साथी जुड़ते गए और कारवां बनता गया। आज ट्रस्ट के माध्यम से करीब 350 बेटियों को उच्च शिक्षा के साथ-साथ हर महीने 500 रुपये की आर्थिक मदद भी दी जा रही है। ट्रस्ट में अमेरिका, यूएई, इंग्लैंड में रहने वाले एनआरआइ भी सदस्य हैं।
हम बात कर रहे हैं नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) के चीफ जनरल मैनेजर पद से सेवानिवृत्त आरके दीक्षित और वैश्य कन्या डिग्री कॉलेज समालखा से रिटायर्ड उनकी पत्नी डॉ. मधु दीक्षित की। मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कानपुर और फिलहाल यहां सेक्टर-छह में रह रहे आरके दीक्षित ने बताया कि वे आइआइटी कानपुर से पासआउट हैं। रिटायरमेंट के बाद पति-पत्नी चेतना परिवार से जुड़ गए।
मित्र ने दिए सुझाव को किया आत्मसात
आरके दीक्षित ने कुछ वर्ष पहले आइआइटी कानपुर में वार्षिक कार्यक्रम में अमेरिका में रह रहे मित्र दिलीप नागरेकर से भेंट हुई। बातचीत का सिलसिला चला तो उन्होंने सुझाव दिया कि निर्धन वर्ग की होनहार बेटियों की पढ़ाई के लिए कुछ करें। वर्ष 2014 में ज्ञान ज्योति चेरिटेबल ट्रस्ट बनाया। कक्षा पांच से कक्षा आठ तक की होनहार छात्राओं का छात्रवृत्ति के लिए परीक्षा के माध्यम से चयन किया गया। छात्रवृत्ति योजना 30 छात्राओं के साथ शुरू की गई थी। फरवरी 2020 में हुई परीक्षा के साथ संख्या 350 को पार कर गई है। साल के अंत तक ट्रस्ट 400 बेटियों को आर्थिक मदद देने लगेगा। शहर में छह स्वयं सेविकाएं हैं जो होनहार छात्राओं को ट्रस्ट के विषय में जानकारी देती हैं।
सीधे खाते में डालते छात्रवृत्ति
डॉ. मधु दीक्षित ने बताया कि दानदाता को छात्रा का नाम, कक्षा सहित बैंक खाता नंबर दिया जाता है। रकम सीधे उनके खाते में पहुंचती है। अब कक्षा 12 तक की छात्राओं को मदद दी जा रही है। बेटियों को पर्सनल हाइजीन की शिक्षा भी दी जाती है। गणित-साइंस की छात्राओं को फ्री ट्यूशन पढ़ाया जाता है।
पात्रता के मानक
परिवार की मासिक आय 10 हजार से अधिक न हो। स्कूल परीक्षा में 60 फीसद अंक आने चाहिए। उन्हीं की ट्रस्ट की ओर से हर साल फरवरी में लिखित परीक्षा ली जाती है। राशि का इस्तेमाल अभिभावक न कर सकें, इसलिए त्रिमासिक छात्रवृत्ति खाते में पहुंचती है। मानीटरिंग भी की जाती है।
बेटा-बेटी ने भी लिया जिम्मा
दंपती का बेटा सिद्धार्थ यूएई में एक कंपनी में सीईओ है। बेटी शैलजा अमेरिका में डॉक्टर हैं। दोनों ने सात छात्राओं का जिम्मा उठाया हुआ है। एनआरआइ दिलीप नागरेकर, विपिन हांडा, देव शुक्ला ने पांच-पांच, पीके गुप्ता ने सात बेटियों की जिम्मेदारी ली हुई है। पानीपत के भी करीब 200 लोग ट्रस्ट से जुड़े हैं।