GST फर्जीवाड़े के बाद VAT चोरी का पर्दाफाश, 400 करोड़ की फर्जी बिलिंग Panipat News
वैट में बोगस फर्म बना 400 करोड़ की फर्जी बिलिंग की गई। वैट चोरी के बाद फर्म बंद कर मास्टरमाइंड तरुण भाग निकला।
पानीपत, जेएनएन। जीएसटी फर्जीवाड़े के बाद वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) के फर्जी बिलों की फाइलें भी खुलनी शुरू हो गई हैं। वैट फर्जीवाड़े में करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की गई। वैट फर्जीवाड़े में आबकारी कराधान विभाग ने पारस एंटरप्राइजेज के खिलाफ केस दर्ज करवाने के लिए चांदनी बाग थाना पुलिस में लिखित शिकायत दी है
पारस एंटरप्राइजेज का मालिक तरुण कुमार वैट फर्जी बिलिंग का मास्टरमाइंड है। वह फर्म बंद कर फरार है। जिन फर्मों को फर्जी बिल दिए गए थे, उनकी जांच सोनीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र के अधिकारियों से कराई जा रही है। अतिरिक्त प्रधान सचिव संजीव कौशल के आदेशों पर ही वैट फर्जीवाड़े में शामिल फर्मों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं।
घर का पता दिल्ली का, फर्म पानीपत में
तरुण कुमार ने अपना पता दिल्ली डी-74, दयालपुर पश्चिमी दिल्ली दिखाया है, जबकि पारस एंटरप्राइजेज सनौली रोड के नाम से फर्म पानीपत में रजिस्टर्ड करवाई। इससे संबंधित एक फर्म पिछले दिनों गुरुग्राम में पकड़ी गई थी। दो अधिकारी भी इस मामले में सस्पेंड किए गए थे।
धागे का दिखाया कारोबार
इस फर्म ने 400 करोड़ की फर्जी बिलिंग की है। फर्म ने धागे का कारोबार दिखाया था। अकेले 2016-17 में इस फर्म की तरफ 20 करोड़ का बकाया टैक्स निकलता है। इसके अगले साल का टैक्स अलग है।
कतरन के बिल कहां से लाए
पानीपत में कतरन (चिंदी) से कार्डिंग लगाकर रूई बनाई जाती है। रुई से धागा बनता है। इसके बिल नहीं होते। खानापूर्ति के लिए भी इनके बिल लिए जाते हैं। वैट और जीएसटी फर्जीवाड़े का असर बाजार में साफ दिखाई दे रहा है। कामकाज बहुत कम चल रहा है। दुकानदारों ने अपने बिलों की स्वयं भी चेकिंग की है। जिन फर्मों के पास फर्जी बिलिंग है। वे अधिक परेशानी में हैं।
पीएसी की बैठक में दी जानकारी
हरियाणा विधानसभा की पब्लिक एकाउंट कमेटी (पीएसी) की कमेटी ने स्थानीय विभाग से जीएसटी व वैट फर्जीवाड़े की पूरी जानकारी ली है। विभाग को जांच कर तेजी से कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
36 फर्मों के खिलाफ केस
जीएसटी फर्जीवाड़े में अब तक 36 फर्मों के खिलाफ केस दर्ज किया जा चुका है। साथ ही विभाग 16 करोड़ रुपये की रिकवरी भी कर चुका है। आरोपित संजय भालौटिया, राजेश मित्तल व चार अन्य जेल में हैं। आरोपित संजय को एक दिन के लिए विभाग ने रिमांड पर लिया था। जिसमें उन्होंने कई फर्मों की जानकारी दी, जिन्हें फर्जी बिल दिए थे। उनकी जांच की जा रही है।
कैसे होती है वैट-जीएसटी की चोरी
बड़ी-बड़ी फर्मों ने बैंक से ऋण लिया हुआ है। उन्होंने बिलिंग करनी होती है। इतना अधिक कारोबार नहीं होता। स्टॉक रजिस्टर पूरा करने के लिए फर्जी बिल लिए जाते हैं। टैक्स को आपस में बांटा जाता है। जीएसटी में इनपुट टैक्स को बचाने के लिए फर्जी बिलिंग होती है। वैट के समय में टेक्सटाइल पर टैक्स नहीं होता था। इसीलिए फर्जी बिलिंग होती थी। जीएसटी फजीवाड़े में भी ज्यादातर वे लोग शामिल हैं, जो वैट में फर्जी बिलिंग करते थे।
वैट की फर्जी बिलिंग की जांच पहले से चल रही है। इसके मास्टरमाइंड तरुण की विभाग को तलाश है। उसके खिलाफ केस दर्ज करवाने की पुलिस को लिखित शिकायत दी है।
राजा राम नैन, डीईटीसी पानीपत।