तीन बार हारकर पाई गोल्डन कीर्ति
फल्म बाजीगर का एक डॉयलाग हारकर जीतने वाले बाजीगर कहते हैं को सच कर दिखाया है कीर्ति ने। बुआना लाखू की रहने वाली कीर्ति मलिक बॉक्सिंग चैंपियन है।
विजय गाहल्याण, पानीपत:
फिल्म बाजीगर का एक डॉयलाग हारकर जीतने वाले बाजीगर कहते हैं, को सच कर दिखाया है कीर्ति ने। बुआना लाखू की रहने वाली कीर्ति मलिक बॉक्सिंग चैंपियन है। वह हिसार की नेहा से तीन बार स्टेट चैंपियनशिप में हारी पर हौसला नहीं खोया। अब गुवाहाटी में हुई खेलो इंडिया प्रतियोगिता में उसी को हराकर गोल्ड जीता। इसके लिए उसने दस दिन में तीन किलो वजन घटाया और 54 किलोग्राम में पदम जीता। प्रतियोगिता गुवाहाटी में हुई। सेमीफाइनल मुकाबला अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर हिसार की नेहा से था। मुकाबले से पहले कीर्ति ने अपने प्रारंभिक कोच गांव के सुरेंद्र मलिक से कॉल कर टिप्स लिए और दमदार पंच से नेहा को परास्त कर दिया। इसके बाद नेहा ने फाइनल में दमदार प्रदर्शन कर मणिपुर की बॉक्सर को मात दी। इससे पहले भी कीर्ति नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण और राज्य स्तर पर प्रतियोगिता में सात स्वर्ण पदक जीत चुकी है। वजन कम करने के लिए रोज तीन घंटे दौड़ी
कीर्ति ने बताया कि उसका बायां पैर ट्रैक्टर से कुचल गया था। इस वजह से एड़ी कट गई। इससे रिग में पैर की मूवमेंट में दिक्कत होती है। उसने नेशनल प्रतियोगिता के लिए कड़ा अभ्यास किया। तीन किलो वजन घटना मुश्किल हो रहा था। चैंपियन बनने के लिए रोजाना तीन घंटे दौड़ लगाई। यहां तक कि चपाती खाना तक छोड़ दिया, केवल लिक्विड लिया। 16 जनवरी को वजन 53 किलो 900 ग्राम हुआ। तब कुछ राहत मिली। वजन नहीं घटता तो वह पदक नहीं जीत पाती।
बेटी के नाम से जानते हैं पिता को
किसान संजय मलिक ने बताया कि बेटी कीर्ति ने बॉक्सिंग सीखने के लिए कहा था। तब उसने पढ़ाई पर ध्यान देने की नसीहत दी थी। बेटी ने खेलने की जिद की तो हामी भर दी। तब लगा बेटी को चोट न लग जाए तो मुश्किल होगी। बेटी कीर्ति ने नेशनल में स्वर्ण पदक जीता है। उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतेगी। अब गांव के लोग उसे कीर्ति के पिता के तौर पर जानते हैं। इससे बेटी पर गर्व होता है।
रजनी को देख पहने गलब्स
कोच सुरेंद्र मलिक ने बताया कि कीर्ति ने उसकी शिष्य अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर रजनी को बॉक्सिंग खेलते देखा था। इसके बाद कीर्ति ने भी अभ्यास किया और सफलता पाई। रजनी ने भी खेलो इंडिया में अंडर-20 में 46 से 48 किलोग्राम में कांस्य पदक जीता। इसके अलावा उसकी शिष्य मनीषा अंडर-20 के 60 से 64 किलोग्राम और जोनी अंडर-20 के 57 से 60 किलोग्राम में फाइनल में जगह बना चुकी हैं।