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त्योहारी सीजन में मिलावटखोर सक्रिय, मिलावटी मिठायां बनाने का काम जोरों पर

त्योहार के सीजन में बनने वाली मिठाइयों में घटिया किस्म के खोए की मात्रा अधिक होती है। खोया में उबले आलू व मैदे की मिलावट आम बात है। कुछ मिल्क पाउडर वनस्पति घी आलू व अरारोट मिलाकर खोया बनाते हैं। मिठाइयों में हानिकारक रंगों की मिलावट भी की जाती है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 04:57 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 04:57 PM (IST)
त्योहारी सीजन में मिलावटखोर सक्रिय, मिलावटी मिठायां बनाने का काम जोरों पर
त्योहारों में 20 से 25 दिन पहले ही मिठाइयां बनाने का काम शुरू हो जाता है।

जेएनएन, यमुनानगर : त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है। दीपावली व अन्य पर्वों पर बिकने वाली मिठाइयों की तैयारियां भी जोरों पर हैं। लेकिन, बाजार में बिकने वाली मिठाई कितनी शुद्ध होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस दिशा में अभी तक खाद्य सुरक्षा विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि इन्हीं दिनों में मिलावटखोर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। मिलावटी मावे से मिठाइयां तैयार की जाती हैं। कई जगहों पर यह कार्य चल रहा है। बुधवार की देर शाम सीएम फ्लाइंग की टीम ने तेजली में रेड की थी। यहां पर मस्जिद वाली गली में नरेश कुमार रसगुल्ले तैयार कर रहा था। उसके पास से 12 टब रसगुल्ले औ 45 बोरियां चीनी की मिली थीं। मौके से अरारोट भी मिला था। यहां से भी सैंपल लिए गए थे। बताया जा रहा है कि यह रसगुल्ले त्योहारों के लिए तैयार कराए जा रहे थे।

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हर वर्ष त्योहारी सीजन में मिठाइयों में मिलावट होने की आशंका बढ़ जाती है। त्योहारों से 20 से 25 दिन पहले ही मिठाई बननी शुरू हो जाती हैं। इस सीजन में अलग से कारीगर लगाकर मिठाइयां तैयार की जाती हैं। लेकिन उनकी शुद्धता का कोई ध्यान नहीं रखा जाता। विभाग के सामने समस्या यह है कि उपलब्धता व समय का सामंजस्य नहीं बन पाता। यदि विभाग उपलब्धता के समय सैंपल लेता है, तो उसकी रिपोर्ट तब आती है, जब त्योहारी सीजन निकल चुका होता और मिठाई बिक चुकी होती है। ऐसे में लोगों को खुद भी सचेत रहने की जरूरत है।

इस तरह से होती है मिलावट

त्योहार के सीजन में बनने वाली मिठाइयों में घटिया किस्म के खोए की मात्रा अधिक होती है। खोया में उबले आलू व मैदे की मिलावट आम बात है। कुछ मिल्क पाउडर, वनस्पति घी, आलू व अरारोट मिलाकर खोया बनाते हैं। मिठाइयों में हानिकारक रंगों की मिलावट भी की जाती है।

सैंपलों की रिपोर्ट में देरी से दिक्कत

विभाग यदि सैंपल लेता है, तो उनकी रिपोर्ट आने में एक माह तक का समय लग जाता है। कुछ मिठाईयां ऐसी हैं। जिन्हें देखकर उनकी गुणवत्ता का पता नहीं लगाया जा सकता। जिस वजह से उनका केवल सैंपल लिया जाता है। अब यदि सैंपल लिया जाता है, तो जब तक रिपोर्ट मिलती है। वह बिक चुकी होती है। हालांकि बाद में विभाग की ओर से जुर्माने का भी प्रावधान हैं।

लिए जाएंगे सैंपल

खाद्य सुरक्षा अधिकारी डा. प्रेम कुमार ने बताया कि दशहरे के बाद त्योहारों के लिए मिठाईयां बनाने का कार्य शुरू होता है। इसके लिए प्लाङ्क्षनग कर छापेमारी की जाएगी। दुकानदारों से भी यही अपील है कि वह स्वच्छता का ध्यान रखें और खोये की उपलब्धता के अनुसार उसकी गुणवत्ता रखे।

कुट्टू व शामक के चावलों के लिए सैंपल

कु़ट्टू व शामक के चावलों की वजह से रादौर के बुबका और कैंप में लोगों की हालत बिगड़ी थी। इसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने दुकानों से कुट्टू के आटे, बीज, चौलाई व शामक के चावलों के नौ सैंपल लिए हैं। इन सैंपलों को जांच के लिए भेजा गया है। जब तक रिपोर्ट आएगी, सामान बिक  जाएगा। जागरूक शहरवासी गोल्डपुरी के वीरेंद्र कुमार व कैंप निवासी आशीष का कहना है कि सैंपल की रिपोर्ट मौके पर या कुछ घंटे में आनी चाहिए। तभी सैंपल लेने का लाभ मिलेगा।


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