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डीसी कार्यालय से गुम हुई इंजीनियरिग कॉलेज की कार्रवाई फाइल

समालखा स्थित एक इंजीनियरिग कॉलेज की फर्जी एनओसी की जांच संबंधित फाइल डीसी कार्यालय से फाइल गुम होने का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 06:10 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 06:10 AM (IST)
डीसी कार्यालय से गुम हुई इंजीनियरिग कॉलेज की कार्रवाई फाइल
डीसी कार्यालय से गुम हुई इंजीनियरिग कॉलेज की कार्रवाई फाइल

जागरण संवाददाता, पानीपत : समालखा स्थित एक इंजीनियरिग कॉलेज की फर्जी एनओसी की जांच संबंधित फाइल डीसी कार्यालय से फाइल गुम होने का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। प्रशासन ने इसकी जांच रिपोर्ट मंगलवार को राज्य सूचना आयोग को भेज दी है। आयोग ने 10 जुलाई को पत्र भेजकर इसकी रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें डीसी कार्यालय के एक कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है।

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विदित है कि शिक्षण संस्थान पर फर्जी तरीके से एनओसी लेने का आरोप लगा था। यह मामला गत कई वर्ष से लगातार जांच का विषय बना हुआ है। तत्कालीन एसडीएम ने आरोप को सही बताया था और संस्थान पर कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसी समय फाइल डीसी कार्यालय से गुम हो गई। जिसके चलते कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। पिछले दिनों राज्य सूचना आयोग में मामला चला गया। इसके बाद प्रशासन फिर से हरकत में आया। एसडीएम समालखा को मामले की फिर से जांच सौंपी है।

इस तरह से चली जांच, यहां ये मिला जवाब

एसडीएम समालखा कार्यालय से डिस्पेच क्लर्क रमेश ने बयान दिया कि कार्यालय रिकॉर्ड अनुसार 16 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट मूल फाइल सहित डीसी कार्यालय की एसके शाखा में प्रेषित की गई है। इसके बाद तत्कालीन एसके एवं हाल उप तहसीलदार समालखा अनिल कुमार और तत्कालीन बिल लिपिक एसके शाखा सतबीर सिंह हाल कार्यरत डब्ल्यूबीएन तहसील इसराना और तत्कालीन एसकेएस हवासिंह (सेवानिवृत) को जांच में शामिल किया गया। 2009 कमी डायरी व डिस्पेच का अवलोकन भी किया गया। जिसमें 15 सितंबर 2009 को डिस्पेच रजिस्टर में दर्ज है। जो नायब सदर कानूनगो हवासिंह ने डिस्पेच किया था। उसके बाद एसडीएम समालखा से 16 अक्टूबर 2009 को सदर कानूनगो शाखा की डायरी रजिस्टर में आनी नहीं पाई गई। जबकि एसडीएम कार्यालय से इसको भेजा दिखाया है। इसकी जांच करने पर पाया गया कि सदर कानूनगो सतबीर सिंह लिपिक ने उक्त फाइल को प्राप्त किया था। इस जांच में वेदप्रकाश पटवारी को दोषी माना गया था। पटवारी के खिलाफ कोई भी जांच सतबीर सिंह लिपिक डील करता है। उन्होंने न तो कहीं पर फाइल पुट अप की और न ही डायरी की। अब भी मामला कई महीने से लंबित पड़ा है। सतबीर सिंह लिपिक ने अपनी इस डाक को लेना स्वीकार किया, लेकिन उसको रिसीविग पर उसके हस्ताक्षर दिखाए गए। सतबीर सिंह ने जांच रिपोर्ट छुपाकर गलत कार्य किया है। उन्होंने खुद भी इसको स्वीकारा है।


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