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कौरवों से अकेले लड़ा था ये वीर, उसका टीला भी नहीं संभाल पा रही सरकार

कौरवों और उसकी सेना से अकेले दम पर लडऩे का जिसमें साहस था। अकेले ही च्रकव्यूह का भेदने के लिए जो युद्ध भूमि में उतर गया, आज उसी का टीला बदहाल है। अब विभाग और सरकार की अनदेखी उस पर भारी पड़ रही।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 11:15 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 01:19 PM (IST)
कौरवों से अकेले लड़ा था ये वीर, उसका टीला भी नहीं संभाल पा रही सरकार
कौरवों से अकेले लड़ा था ये वीर, उसका टीला भी नहीं संभाल पा रही सरकार

जेएनएन, कुरुक्षेत्र/पानीपत: धर्मनगरी में लाखों श्रद्धालु हर वर्ष गीता उपदेश स्थली का दर्शन करते हैं। कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ यह सभी जानते हैं। केंद्र सरकर और प्रदेश सरकार धर्मनगरी के कुरुक्षेत्र के नजदीक स्थित स्थलों पर सबकी नजर है, लेकिन धर्मनगरी से मात्र आठ किलोमीटर दूर गांव अमीन स्थित अभिमन्यु के टीले को शायद ही कोई देखने वाला है। 

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ग्रामीणों द्वारा हर दिन होने वाले अवैध खुदाई टीले को छोटा कर रही है। कई लोगों ने टीले के ऊपर भी कब्जा कर लिया। ऐसी मान्यता है कि अमीन वही जगह है जहां कौरवों ने चक्रव्यूह की रचना की थी और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को वीरगति प्राप्त हुई थी। 

प्राचीनता का अनुमान नहीं
अमीन का यह बहुत ऊंचा व विशाल टीला पुरातात्विक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित किया था। ग्रामीण आए दिन इस टीले की मिट्टी काटकर ले जाते हैं और खेतों और घरों में भरत करते हैं। गांव वालों को इस टीले की प्राचीनता का अनुमान नहीं है, इसलिए वे इस मिट्टी को काट कर ले जा रहे हैं। 

abhimanyu kurukshetra

टीला संरक्षित राष्ट्रीय पुरास्थल
यह टीला संरक्षित राष्ट्रीय पुरास्थल है। यानी इसके आसपास कोई निर्माण नहीं किया जा सकता, जबकि टीले को खोदकर लगातार अवैध निर्माण किया जा रहा है और अब भी निर्माण जारी है। लोगों ने तो टीले के शिखर तक कब्जा कर लिया है। इससे साफ जाहिर है कि इस ओर पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन का ध्यान बिल्कुल भी नहीं जा रहा है, जो किसी अपराध से कम नहीं है।

विभाग नहीं कर रहा देखरेख 
पुरातत्वेता डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि अभिमन्यु का टीला संरक्षित पुरास्थल है। इस पर अतिक्रमण निषेध है। पुरातत्व विभाग ने इसकी देखरेख नहीं की, जिस कारण ग्रामीणों ने टीला को काटकर घर बना लिया है। यह राष्ट्रीय पुरास्थल का अपमान है। सरकार को चाहिए कि इस स्थल को तुरंत खाली कराए और इसका उत्खनन कर संरक्षित करे। ऐसा लगता है कि सरकारी अफसरों ने इसकी देखभाल ठीक से नहीं की। इस अनदेखी के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो। दिल्ली में बैठे अधिकारी आकर मौके का मुआयना करें। 


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