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रेस को छोड़ कबड्डी को अपनाया, साउथ एशियन गेम्स में बनी बेस्ट रेडर Panipat News

नेपाल के काठमांडू में हुई साउथ एशियन गेम्स में कबड्डी में स्वर्ण पदक विजेता टीम की खिलाड़ी निशा छौक्कर का स्वजनों व ग्रामीणों ने स्वागत किया।

By Edited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 09:33 AM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 10:38 AM (IST)
रेस को छोड़ कबड्डी को अपनाया, साउथ एशियन गेम्स में बनी बेस्ट रेडर Panipat News
रेस को छोड़ कबड्डी को अपनाया, साउथ एशियन गेम्स में बनी बेस्ट रेडर Panipat News

पानीपत, जेएनएन। चुलकाना धाम की रहने वाली निशा छौक्कर ने खेल में भविष्य के लिए रेस को चुना था। अभ्यास करने के लिए बेटी को दूर जाते देख स्वजनों ने उसे रोक दिया। लेकिन निशा ने खेल में अपनी आशा को खत्म नहीं होने दिया और रेस को छोड़ कबड्डी को चुन लिया। उसकी सात साल की मेहनत रंग लाई और वो न केवल महिला कबड्डी टीम का हिस्सा बनी, बल्कि साउथ एशियन गेम्स में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक भी जिताया।

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सात साल पहले किया खेलना शुरू

निशा ने बताया कि परिवार में मां कांता, छोटे बाई साहिल और सन्नी है। आठ साल पहले पिता ईशम ¨सह का निधन हो गया। उसके एक साल बाद 10 साल की उम्र में उसने रेस (दौड़) लगानी शुरू की। अभ्यास के लिए दूर स्कूल मैदान में जाना पड़ता था तो स्वजनों ने रोक दिया। परंतु उसने खेल को नहीं छोड़ा और गांव की कबड्डी टीम का हिस्सा बन गई। हाल में वो दिल्ली के अदिति कॉलेज में बीएम प्रथम वर्ष में पढ़ाई करने के साथ दिल्ली के बवाना स्थित स्टेडियम में कोच कमला सोलंकी की देख रेख में अभ्यास कर रही है। साउथ एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में भी उसका चयन दिल्ली की तरफ से ही हुआ।

मां ने पूरा साथ दिया

निशा बताती है कि सात साल के सफर में मां कांता ने उसे बार बार हौसला दिया। इसी कारण वो आगे बढ़ पाई है। वो 20 बार नेशनल स्तर पर खेल चुकी है। 2018 में एशियन गेम्स को लेकर नेशनल कैंप के लिए उसका चयन हुआ और टीम में जगह नहीं मिल पाई। लेकिन उसने अपनी आशा को टूटने नहीं दिया और मेहनत के साथ अभ्यास में लग गई। जिसका फल साउथ एशियन गेम्स के लिए भारतीय टीम में चयन के साथ मिला।

टीम में सबसे छोटी उम्र की खिलाड़ी

साउथ एशियन गेम्स के दौरान निशा छौक्कर भारतीय महिला कबड्डी टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थी। वो रेडर की भूमिका में मैदान में उतरी और मेहनत के बल पर टीम को जीत भी दिलाई। उसे बेस्ट रेडर का अवार्ड भी मिला। निशा का सपना 2022 में होने वाले एशियन गेम्स में टीम इंडिया का हिस्सा बनकर पदक जीतना है।

मेहनत आई काम

कोच कमला सोलंकी ने बताया कि निशा के काम खेल को लेकर की गई उसकी मेहनत काम आई। उसी के दम पर वो भारतीय महिला कबड्डी टीम का हिस्सा बन पाई है। फाइनल मुकाबले में उसने शानदार खेल दिखाया। इसी कारण टीम श्रीलंका को 51-19 से मात देकर स्वर्ण पदक जीती।

शानदार हुआ स्वागत

नेपाल के काठमांडू में हुई साउथ एशियन गेम्स में कबड्डी में स्वर्ण पदक विजेता टीम की खिलाड़ी निशा छौक्कर का स्वजनों व ग्रामीणों ने स्वागत किया। वो उसे ब्लूजे रेस्टोरेंट से विजयी जुलूस के साथ घर लेकर पहुंचे। जहां महिलाओं ने तिलक लगा मिठाई खिलाई। इस मौके पर कवर सिंह छौक्कर, सरपंच मदन छौक्कर, बल्ली, रजनीश, अनिल छौक्कर, रतन सिंह, रणबीर मास्टर, नरेश, प्रदीप ठेकेदार, बलवंत, मा. कृष्ण, विजयपाल, आनंद मौजूद रहे।


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