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आयुष्मान से कैंसर मरीजों को मिलेगी संजीवनी

पानीपत में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) यूं तो निर्धन तबके के लिए है, लेकिन कैंसर पीड़ितों के लिए ज्यादा लाभदायक साबित होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 10:09 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 10:09 AM (IST)
आयुष्मान से कैंसर मरीजों को मिलेगी संजीवनी
आयुष्मान से कैंसर मरीजों को मिलेगी संजीवनी

जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) यूं तो निर्धन तबके के लिए लाभदायक साबित होने वाली है। खासकर, प्रदेश के कैंसर मरीजों के लिए स्कीम संजीवनी साबित होगी। माना जाता है कि आर्थिक तंगी के कारण ज्यादातर मरीज सही ढंग से जांच और इलाज नहीं करा पाते और कैंसर उन्हें लील लेता है। बता दें कि हरियाणा में वर्ष 2017 में कैंसर के 19,385 मरीज सामने आए और 3987 मरीजों की मौत हुई थी। इनमें जिला पानीपत के भी 267 मरीज शामिल थे।

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दरअसल, खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल और आरामदेह जीवन शैली के कारण हरियाणा के लोगों को कैंसर अपनी चपेट में ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग के चु¨नदा अस्पतालों में रेडियेशन मशीन है। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए आवश्यक मेमोग्राफी मशीन भी ज्यादातर अस्पतालों में नहीं है। मानकों की बात करें तो हर 10 लाख लोगों पर कैंसर डिटेक्शन मशीन होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। पिछले पांच साल में ही प्रदेश में करीब सात हजार नए लोग कैंसर की चपेट में आ गए। मृतकों की संख्या भी दोगुनी तक जा पहुंची। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, जबकि पुरुषों में फेफड़ों और गले का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2017 में कैंसर के कारण प्रदेश में 3987 मरीजों की मौत हुई जबकि वर्ष 2016 में 3668 मरीजों को जान गंवानी पड़ी थी। वहीं वर्ष 2015 में मरने वालों की संख्या 3317 थी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कैंसर के सबसे अधिक मामले हरियाणा में दर्ज किए गए हैं।

गत वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो करीब 39.6 फीसद मामलों के साथ देश में हरियाणा पहले स्थान पर रहा। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत पात्र परिवारों के कैंसर पीड़ित हर साल पांच लाख रुपये तक का इलाज सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में करा सकेंगे। प्रदेश सरकार पर 40 प्रतिशत भार :

इस योजना पर होने वाले खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठाएंगी। खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी और 40 प्रतिशत भार राज्य सरकारों पर पड़ेगा। आरोग्य मित्र मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज के दौरान मदद करने का काम होगा। लाभार्थियों के वेरिफिकेशन में इन आरोग्य मित्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, इसके अलावा किसी भी पूछताछ और समस्याओं के समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकेंगे। यह है पात्रता का आधार :

वर्ष 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोगों को इसके लिए पात्र माना गया है। अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है तो वह इसके फायदे से वंचित हो जाएगा। बीमा कवर के लिए उम्र की भी बाध्यता नहीं है।परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश है। ऐसे चेक करें अपना नाम :

योजना को संचालित करने वाली नेशनल हेल्थ एजेंसी ने एक वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर लाच किया है। आपका नाम लाभार्थियों की फाइनल लिस्ट में है अथवा नहीं, पैनल पर कौन सा अस्पताल है, किसी अस्पताल में कौन से रोग का इलाज मिलेगा इसकी जानकारी के लिए वेबसाइट देख सकते हैं।


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