बेजुबान बेसहारा गोवंश का सहारा बनी युवाओं की टोली, चारे से लेकर उपचार तक का इंतजाम
जागरण संवाददाता समालखा जिन बेजुबान बेसहारा गोवंश को कुछ लोग डंडा दिखा खेत से निकाल देत
जागरण संवाददाता, समालखा : जिन बेजुबान बेसहारा गोवंश को कुछ लोग डंडा दिखा खेत से निकाल देते है। घर के आसपास खड़ा होने पर दूर हटाते हैं। उन्हीं बेजुबानों के लिए कस्बे के युवाओं की टोली सहारा बनकर काम कर रही है। जिसे कान्हा गोवंश रक्षा उपचार एवं कल्याण संस्था का नाम दिया गया है। वो बेसहारा गोवंशों के लिए चारे से लेकर उपचार तक की व्यवस्था कर रहे हैं। उनका ये सिलसिला कभी नहीं रुकता है। चाहे सर्दी हो या गर्मी या बारिश का मौसम। वो गोवंशों के लिए चारे की व्यवस्था जरूर करते हैं। इस सेवा के काम में कस्बे के दानवीर भी उनका सहयोग करने में पीछे नहीं हैं। कोई चारा उपलब्ध कराने में सहयोग करता है तो कोई घायलों को उपचार के लिए दवा व अन्य चीज उपलब्ध कराने में।
संस्था के प्रधान प्रदीप भापरा बताते हैं कि गाय हमारी माता है। हमें उसका हमेशा सम्मान करना चाहिए। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं। जो उसका दूध पीकर उसे बाद में छोड़ देते हैं। जिस कारण बेसहारा गोवंशों की संख्या बढ़ती जा रही है। ये चारे आदि की तलाश में निकलते है। कोई डंडों आदि से हमला कर देता है। वहीं कोई सड़क पर जाते समय हादसे का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में कई साल पहले उनके गांव से तस्कर गायों को उठा ले गए। तभी उसने गोवंश की तस्करी रोकने से लेकर बेसहारा गोवंशों की युवा साथियों के संग सेवा करनी शुरू कर दी। फिर कान्हा गोवंश रक्षा उपचार एवं कल्याण संस्था रजिस्टर्ड करा ली। संस्था के साथ अनेक युवा जुड़े हैं। जो पढ़ने लिखे के साथ अन्य काम करते हैं। लेकिन जिसे जब समय मिलता है, वो गोवंशों की सेवा के लिए जरूर आता है। प्रदीप ने बताया कि गौवंशों की सेवा के उक्त कार्य में उन्हें कस्बे के दानवीरों का पूरा सहयोग मिल रहा है। शनिवार रात भी उन्होंने चारे के साथ गोवंशों को सर्दी से बचाने के लिए गुड़ खिलाया। जो 150 किलो गुड कस्बे के रहने वाले जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बृजमोहन गोयल की पत्नी सुशीला ने बतौर दान दिया।
लाकडाउन में भी नहीं थमी सेवा
प्रदीप ने बताया कि गोवंश को भूखा नहीं रहने देते हैं। कोरोना के चलते पिछले दो साल तक कई कई माह तक लाकडाउन लगा रहा। लोग घरों तक से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। लेकिन उन्होंने गोवंशों को भूखा नहीं रहने दिया। लाकडाउन में भी उनकी गोवंश को लेकर सेवा चलती रही। दानवीरों के सहयोग से खेतों में जाकर चारा लेकर आते थे। उन्होंने बताया कि वो घायल गोवंश के उपचार की भी व्यवस्था कराते हैं। जैसे ही उन्हें गोवंश के कहीं बीमार या घायल होने की सूचना मिलती है तो तुरंत लाकर उसका उपचार कराते हैं।
हर रोज चार से पांच गोवंश बीमार या घायल हालात में लेकर आते हैं। उपचार के बाद उन्हें गोशाला आदि जगह पर छोड़ देते हैं। गोवंश की इस सेवा में मनदीप भापरा, गौरव समालखा, प्रिस वर्मा, रामफल पांचाल, अंकित, संचित अरोड़ा का भरपूर सहयोग रहता है।
कई गो तस्कर भी पकड़वाए
युवाओं की ये टोली गोवंश की सेवा के साथ उनकी तस्करी करने वालों पर भी पैनी नजर रखती है। कई सालों में सैकड़ों गोवंश को तस्करों से छुड़वाया है। कई बार तो रात के समय गोतस्करों का पीछा करते समय जान तक पर बन आई, लेकिन उनके कदम पीछे नहीं हटे। एक बार तो गोतस्करों ने उनकी तरफ गोलियां तक चला दी थी। जो बाल बाल बच गए।