हरियाणा में कैंसर से भी खतरनाक बीमारी पसार रही पैर, एक इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़
एसएमए के हरियाणा में 25 मरीज मिले हैं। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक जेनेटिक बीमारी है। यह शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होता है। इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है। इसके लिए जो इंजेक्शन कारगर है उसकी एक डोज की कीमत ही 16 करोड़ है।
अंबाला, जेएनएन। कैंसर से अधिक खतरनाक बीमारी एसएमए हरियाणा में फैलने लगा है। राज्य में अब 25 बच्चों और युवाओं में एसएमए की शिकायत मिली है। यह अनुवांशिक यानी जेनेटिक बीमारी है। इस बीमारी का इलाज बहुत महंगा है। इस बीमारे के इलाज में प्रयोग होने वाले इंजेक्शन की कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है। वह भी बिना सरकार की डिमांड के कंपनी यह दवा मरीज को उपलब्ध नहीं कराती है।
इस बीमारी का शिकार बना नारायणगढ़ के डहर निवासी राम कुमार का 19 वर्षीय बेटा दिपांशु सरकारी मदद के लिए शनिवार को अंबाला छावनी के लोक निर्माण विभाग रेस्ट हाउस में आयोजित प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के दरबार में पहुंचा। यहां विज की अनुपस्थिति में समस्याएं सुन रहे पीए ने सरकार से मदद दिलाने का भरोसा जताया। राम कुमार बताते हैं कि मेरा बेटा पढ़ाई के साथ साथ खेल कूद में बहुत अच्छा था। करीब चार साल पहले खेलते समय अचानक गिर गया। यह कई बार हुआ। फिर उसे खेल से भय हो गया और खेलने से दूर रहने लगा। इसके बाद जब उसका चार साल पहले पीजीआई में इलाज शुरू हुआ तो उसमें एसएमए की पुष्टि हुई।
विज के दरबार फरियाद लेकर पहुंचे
पीजीआइ के डाक्टरों ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल रेफर कर दिया। अब यहां पर डाक्टरों ने बताया कि इस बीमारी का इलाज बहुत महंगा है। इसके लिए कारगर इंजेक्शन की कीमत करीब 16 करोड़ रुपये की जरूरत है। वह भी बिना सरकार की डिमांड के कंपनी यह दवा मरीज को उपलब्ध नहीं कराती है। यह सुनकर रामकुमार अपनी पत्नी और बीमार बच्चे दिपांशु को लेकर दरबार में पहुंचा था। अब यहां पर सुनवाई कर रहे कृष्णन भारद्वाज ने आश्वासन दिया कि सरकार से बात करके उसके इलाज में हर संभव मदद की जाएगी।
क्या है एसएमए
डाक्टरों के मुताबिक, एसएमए, यानी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, जेनेटिक बीमारी है। यह शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होता है। इससे छाती की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और सांस लेने में कठिनाई होती है। इस बीमारी का इलाज काफी महंगा है। इसके लिए जो इंजेक्शन कारगर है, उसकी एक डोज की कीमत ही 16 करोड़ है। वह भी सरकार की मंजूरी के बिना कंपनी उपलब्ध नहीं करवाती।
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