Move to Jagran APP

65 साल के जोरा ¨सह के योग का तोड़ नहीं, पांच हजार बच्चे किए पारंगत

जेएनएन, पानीपत : योगाचार्य जोरा ¨सह आर्य योग के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके योग का कोई तोड़ न

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 12:49 PM (IST)
65 साल के जोरा ¨सह के योग का तोड़ नहीं, पांच हजार बच्चे किए पारंगत
65 साल के जोरा ¨सह के योग का तोड़ नहीं, पांच हजार बच्चे किए पारंगत

जेएनएन, पानीपत : योगाचार्य जोरा ¨सह आर्य योग के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके योग का कोई तोड़ नहीं है। 65 साल की उम्र में भी हर कठिन योगासन को सरलता से कर देते हैं। अब तक पांच हजार से ज्यादा बच्चों को योगासन में पारंगत कर चुके हैं। उनके सिखाए बच्चे नेशनल, इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं तक खेल चुके हैं।

prime article banner

बात 39 साल पहले की है, जब योग के बारे में बहुत कम लोग परिचित थे। तब जोरा ¨सह ने 26 साल की उम्र में योग सीखना शुरू किया था। दैनिक जागरण से बातचीत में जोरा ¨सह बताते हैं कि 1979 में उत्तरप्रदेश से आचार्य देवकेतु आर्य समाज मंदिर में आए थे। तब उन्होंने युवाओं को योग सिखाया था। उनकी पाचन शक्ति काफी खराब थी। योग करने से उन्हें काफी राहत महसूस हुई तो लगातार योग करने लगे। चार महीने बाद ही बेंगलुरू में राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया और देशभर में सातवां स्थान हासिल किया। इसके बाद सुबह-शाम ढाई से तीन घंटे योग करने लगे गए। 1981 में राष्ट्रीय योग चैंपियनिशप में गोल्ड और 1982 में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद 1983 से 1990 तक लगातार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। 2011 तक राष्ट्रीय योग प्रतियोगिताओं में 25 बार गोल्ड मेडल जीता। वर्ष 2000 में नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में व‌र्ल्ड कप योग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 2010 में 56 साल की उम्र में थाईलैंड में एशियन योग चैंपियनशिप में 17 देशों के खिलाड़ी शामिल हुए, जिसमें गोल्ड मेडल जीता। --नेशनल-इंटरनेशनल खेल चुके इनके सिखाए बच्चे

योगाचार्य जोरा ¨सह ¨सह आर्य ने बताया कि उनके सिखाए हुए बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योग प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। कुमारी यशोदा और कुमारी कोमल इंटरनेशनल चैंपियनिशप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। स्कूलों और कॉलेजों में अब तक पांच हजार से ज्यादा बच्चों को योग सिखा चुके हैं। इसके अलावा शहर के हर्बल पार्क सहित अन्य पार्कों और स्टेडियम में बच्चों को योग की ट्रे¨नग देते हैं। सैकड़ों लोगों के असाध्य रोग भगाए

योगाचार्य जोरा ¨सह आर्य बताते हैं कि उनके पास लगातार ऐसे लोग आते रहते हैं, जो भयंकर बीमारियों से पीड़ित होते हैं। योगासनों से वह ऐसे सैकड़ों लोगों के असाध्य रोगों को दूर कर चुके हैं। जोरा ¨सह कहते हैं कि योग करने से सर्वाइकल पेन, बैक पेन, अस्थमा, ज्वाइंट पेन, डाइजेस्टिव सिस्टम आदि से पीड़ित लोग आसानी से ठीक हो सकते हैं। आजकल वह हर्बल पार्क में सुबह-शाम लोगों को योग सिखाते हैं। फोटो कैप्शन 22:

उत्थित द्विपादपूर्ण मत्सेंद्राआसन: यह आसन करने से बाजुओं की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। टखने, कुहनियां और कंधे में कभी ज्वाइंट पेन नहीं होता। शुगर के मरीजों के लिए लाभकारी है।

-------------

फोटो कैप्शन 23:

ओमकार आसन: यह आसन ध्यान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस आसन के करने से हाथों में कंपन हमेशा के लिए ठीक हो जाती है। पाचन क्रिया भी इस आसन से सही रहती है।

-----------

फोटो कैप्शन 24:

द्विपासन: यह आसन करने से टखने, घुटने एवं बाजुओं के जोड़ों में कभी भी वायु संबंधी विकार नहीं होते। स्पाइन कोड भी हमेशा लचीली रहती है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.