निगम में लगे हैं 28 एसी, आरटीआइ में बताए 22
आरटीआइ के तहत करनाल नगर निगम द्वारा गलत जानकारी देने का मामला सामने आया है। आरटीआइ एक्टिविस्ट सुरजीत ¨सह का दावा है कि निगम में 28 एसी लगे हैं। उसे जो जानकारी मुहैया कराई गई है उसमें इनकी संख्या 22 दिखाई गई है। जवाब पर संदेह हुआ तो सुरजीत खुद निगम कार्यालय पहुंच गए। एक-एक एसी की गिनती की। निगम कार्यालय व विकास सदन में किराये पर लिए ऑफिस में कुल 28 एसी मिले।
जागरण न्यूज नेटवर्क, पानीपत : आरटीआइ के तहत करनाल नगर निगम द्वारा गलत जानकारी देने का मामला सामने आया है। आरटीआइ एक्टिविस्ट सुरजीत ¨सह का दावा है कि निगम में 28 एसी लगे हैं। उसे जो जानकारी मुहैया कराई गई है उसमें इनकी संख्या 22 दिखाई गई है। जवाब पर संदेह हुआ तो सुरजीत खुद निगम कार्यालय पहुंच गए। एक-एक एसी की गिनती की। निगम कार्यालय व विकास सदन में किराये पर लिए ऑफिस में कुल 28 एसी मिले। सुरजीत ¨सह अब निगम को घेरने की तैयारी में हैं।
उनका कहना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत उसे गलत जानकारी दी गई है। इससे साफ है कि अधिकारियों की मंशा सही नहीं है। ऐसा किसने और क्यों किया इसका जवाब मांगा जाएगा।
दो महीने बाद पांच में से एक ¨बदु की जानकारी दी
सुरजीत ¨सह ने कहा कि निगम आरटीआइ के तहत आसानी से जानकारी नहीं देता। 21 जून को उसने आरटीआइ लगाई थी। पांच ¨बदुओं पर जवाब मांगा गया था लेकिन निगम ने दो महीने बाद 28 अगस्त को जवाब दिया। इसमें पांच में से किसी भी ¨बदु की पूरी जानकारी नहीं दी गई। ¨बदु नंबर एक की अधूरी जानकारी दे दी गई। हैरानी इस बात की है कि वह भी सही नहीं है। आरोप लगाया कि अधिकारी आरटीआइ अधिनियम की सरेआम अवहेलना कर रहे हैं।
प्रथम अपील में अधिकारियों से मांगेंगे जवाब
आरटीआइ के तहत गलत और अधूरी जानकारी मिलने से सुरजीत ¨सह ने प्रथम अपील लगाई है। अगस्त में अपील लगाने के बाद भी आज तक इस पर सुनवाई नहीं की। इसमें अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा कि आखिर उसे सही जानकारी क्यों नहीं दी गई। इसके लिए जिम्मेदार कौन है। सुरजीत के अनुसार जरूरत पड़ी तो राज्य सूचना आयोग का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। यदि आरोप सही मिले तो संबंधित अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
जुर्माने तक का प्रावधान : एडवोकेट शिवम
एडवोकेट शिवम शर्मा के अनुसार सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत समय पर जानकारी देने का प्रावधान है। देरी से जानकारी देना गलत है। जानबूझकर गलत जानकारी देना तो और संगीन है। ऐसा करने पर सूचना अधिकारी को राज्य सूचना आयोग जुर्माना भी कर सकता है। इन सवालों के जवाब नहीं दिए
1. नगर निगम में किन-किन अधिकारियों व कर्मचारी के कमरों में एससी लगे हैं।
2. किस-किस अधिकारी को एसी लगाने की पावर है?
3. कौन-कौन से कर्मचारियों के कमरों में एसी लगे हैं, सी क्लास के कर्मचारी को एसी लगाने की पावर किसने दी?
4. जिन कर्मचारियों ने पावर नहीं होने के बाद एसी लगाए उनके खिलाफ क्या एक्शन लिया?
5. इन एसी की वजह से कितना बिजली का बिल आया। इन्हें पास किसने किया? दो साल में तीन कनिष्ठ अभियंताओं पर लगा 12 हजार जुर्माना
जनवरी 2017 से नवंबर 2017 तक 246 लोगों नगर निगम में आरटीआइ लगाई। इनमें से 20 से 25 प्रतिशत आवेदकों को प्रथम अपील के बाद ही जानकारी मिल पाई जबकि 8 आवेदकों को तो जानकारी के लिए चंडीगढ़ तक दौड़-धूप करनी पड़ी। बीते दो साल में निगम के तीन कनिष्ठ अभियंताओं पर 12 हजार रुपये जुर्माने इसलिए लगा क्योंकि उन्होंने आरटीआइ के तहत सूचना देने में आनाकानी की थी।
इसलिए आसानी से नहीं देते जानकारी
आरटीआइ एक्टिविस्ट एडवोकेट शिवम का कहना है कि सूचना देने में जानबूझकर आनाकानी की जाती है। ताकि आवेदक का हौसला टूट जाए। करीब 15 से 20 प्रतिशत तो प्रथम अपील ही नहीं लगाते। दूसरी अपील लगाने में भी लोग हिचकिचाते हैं। सही आंकड़ा निकालें तो आधे से अधिक आवेदकों को जानकारी मुहैया ही नहीं हो पाती। प्रथम अपील में अक्सर 10 से 15 दिन मांग लिए जाते हैं। इसके बाद भी महत्वपूर्ण आंकड़े छिपा लिया जाते हैं।
जांच के बाद बता पाएंगे
आरटीआइ के तहत गलत जानकारी तो नहीं दी जा सकती है। मामला संज्ञान में नहीं है। पहले इसकी जांच करेंगे तब ही कुछ कहा जा सकता है।
धीरज कुमार, ईओ, नगर निगम, करनाल