Sakat Chauth 2022: जानिए क्या है संकष्टी चतुर्थी का महत्व, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Panipat Moonrise Time Today सकट चौथ 2022 आज सनातन संस्कृति में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विध्नविनाशक गणेश की विशेष आराधना की जाती है। लोक व्यवहार में इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह 21 जनवरी शुक्रवार को है।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। सनातन संस्कृति में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विध्नविनाशक गणेश की विशेष आराधना की जाती है। लोक व्यवहार में इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह 21 जनवरी शुक्रवार को है।
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि संकष्टी चतुर्थी शुक्रवार 21 जनवरी को है। इस दिन सुबह 8:52 बजे तक तृतीय तिथि है। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग रही है। इस दिन 9:43 बजे तक मघा नक्षत्र होगा। इसके बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र प्रभाव में आ जाएगा। जबकि 10:30 बजे से 12 बजे तक राहुकाल रहेगा। ऐसे दिन में संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ समय 9:43 से 10:30 बजे तक रहेगा। हालांकि चतुर्थी व्रत में संध्या काल में गणपति पूजन और चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। रात 8:03 बजे दिल्ली व आसपास में चंद्रदर्शन का समय रहेगा, जबकि मुंबई में 8:27 बजे चंद्रदर्शन किया जा सकेगा। संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर सौभाग्य योग भी रहेगा। ऐसे में इस योग में गणपति पूजन से सौभाग्य की भी प्राप्ति होगी।
चंद्रोदय काल मिलने पर महिलाएं रखेंगी व्रत
शुक्रवार को चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय काल मिलने से माताएं 21 जनवरी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगी। शास्त्रीय मान्यताओं के मुताबिक माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, आरोग्यता, सुख-समृद्धि की कामना के लिए भगवान गणेश की विशेष रूप से उपासना करती हैं। विधि-विधान से इस व्रत को करने वाले साधकों के जीवन में आने वाले समस्त संकट समाप्त हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार संकटा चौथ के दिन ही भगवान गणेश के जीवन पर सबसे बड़ा संकट आया था। इसके बाद उन्हें हाथी का शीश लगाया गया था।
व्रत की पूजन विधि
माताएं सुबह स्नान करने के बाद गणेश के व्रत करने का संकल्प लें। रात में नूतन वस्त्र धारण करके भगवान गणेश का पूजन करें। ओम गं गणपतये नम: मंत्र का जाप, गणेश स्तुति, गणेश चालीसा, संकटा चौथ व्रत कथा का श्रवण करें। पूजन में पांच मौसमी फल के साथ ही तिल और गुड़ से बने लड्डू, फूल-दुर्वा, अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद दुग्ध से चंद्रदेव को अर्घ्य दें। इससे व्रतधारी को शुभफल की प्राप्ति होगी। पूजन के पश्चात फिर फलाहार ग्रहण करें।
लंबोदर संकष्टी चतुर्थी : दोनों पक्षों की चतुर्थी गणेश जी को समर्पित होती है। हर माह की चतुर्थी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं।
माघी चौथ : माघ मास में पड़ने वाली चतुर्थी को माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा उपासना की जाती है और जीवन से सारी बाधाएं दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
तिलकुटा चौथ : धार्मिक दृष्टि से सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा के बाद उन्हें तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाता है, इसी कारण इसे तिलकुटा चौथ, तिलकुट चतुर्थी और तिल चौथ आदि के नाम से भी जानते हैं।
गणेश मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥