पंडित बिरजू महाराज को दिया था करनाल आने का न्यौता, संस्कृतकर्मियों का स्वप्न रह गया अधूरा
कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का सोमवार को निधन हो गया है। भारतीय कला का चमकता सितारा अस्त हो गया है। इससे देश भर के कलाप्रेमियों के साथ-साथ करनाल के संस्कृतकर्मियों को गहरा झटका लगा है। कर्ण नगरी के संस्कृतिकर्मियों का स्वप्न रह गया अधूरा।
करनाल, जागरण संवाददाता। कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज के करनाल आने का स्वप्न अधूरा ही रह गया। बात 2017 की है, जब सामाजिक संस्था नेशनल इंटिग्रेटड फ़ोरम आफ़ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्टस (निफ़ा) के चेयरमैन प्रीतपाल सिंह पन्नू करनाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव हारमनी का न्यौता देने के लिए पंडित बिरजू महाराज से मिले थे। तब सेहत ठीक न होने के कारण वे आ तो नहीं पाए थे लेकिन उन्होंने इस प्रयास की भरपूर सराहना करते हुए न केवल अपनी शुभकामनाएं दी थीं बल्कि स्वस्थ होने पर करनाल आने का भरोसा भी दिलाया था। लेकिन ऐसा न हो सका।
सुविख्यात कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज से जुड़ी यादें साझा करते हुए निफा के चेयरमैन प्रीतपाल सिंह पन्नू ने बताया कि करनाल में संस्था की ओर से प्रतिवर्ष हारमनी शीर्षक से अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है। हालांकि, कोरोना काल में कुछ समय से यह परंपरा नहीं निभाई जा रही। 2017 में भी इस वृहदस्तरीय आयोजन की रूपरेखा तैयार करते समय ही यह तय किया गया कि कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज को आमंत्रित किया जाए। इसके लिए निफा की दिल्ली टीम से संपर्क साधा गया। आखिरकार दिन और समय निश्चित करने के बाद वह दिल्ली पहुंचे और पंडित बिरजू महाराज के आवास का रुख किया। तब उनसे मिलने वालों में निफा दिल्ली के भूपिंदर चाहर सहित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार और जितेंद्र नरवाल भी शामिल थे। पंडित बिरजू महाराज ने पूरे स्नेह और आत्मीयता के साथ उनसे वार्ता की।
पन्नू बताते हैं कि निफा की ओर से उन्होंने पंडित बिरजू महाराज को हारमनी में शिरकत के लिए आमंत्रित करते हुए अनुरोध किया कि वह इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन का हिस्सा अवश्य बनें और भारत के विभिन्न राज्यों सहित अन्य देशों से आने वाले संस्कृतिकर्मियों को शुभाशीष प्रदान करें। पंडित बिरजू महाराज ने पूरे धैर्य से उनकी बात सुनने के साथ आश्वस्त किया कि अभी तो उनकी सेहत इजाजत नहीं दे रही लेकिन स्वस्थ होने पर वह अवश्य करनाल आने का प्रयास करेंगे। उन्होंने निफा की ओर से चलाई जा रही सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि गीत, संगीत, नृत्य, रंगमंच तथा इसी प्रकार की अन्य विधाओं को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे प्रयासों की निरंतरता नितांत आवश्यक है। पन्नू ने कहा कि इतनी महान शख्सियत के साक्षात दर्शन करना उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव है और इससे जुड़ी स्मृतियां उन्हें सदैव बेहतर करने के लिए प्रेरितर करती रहेंगी।
थम गई लय, सुर हुए मौन
करनाल की युवा कोरियोग्राफर मनीषा नागपाल ने पंडित बिरजू महाराज को याद करते कहा कि पंडित बिरजू महाराज के निधन का समाचार अपनी विधाओं के लिए समर्पण भाव से कार्य कर रहे सभी कलाकारों के लिये बहुत दुखद एवं पीड़ादायक है। आज भारतीय संगीत की लय थम गई, सुर मौन और भाव शून्य हो गए। हमने कला क्षेत्र का शिखर पुरुष खो दिया। उन्होंने अपनी प्रतिभा से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया। नृत्य और कला की दुनिया में उनके जैसा होना नामुमकिन है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके अवसान पर यही कहना चाहती हूं कि-बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया...। वरिष्ठ संगीतज्ञ कृष्ण अरोड़ा ने भी उनकी स्मृतियों को भावपूर्ण शब्दों में नमन किया।