रेलवे की अब विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक निजी हाथों में सौंपने की तैयारी, किराया भी बढ़ सकता है
World Heritage Kalka-Shimla Track रेलवे विश्व धरोहर कालका - शिमला रेल ट्रैक काे लेकर बड़ा कदम उठाने जा रहा है। रेलवे अब इस रेल ट्रैक को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। इससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
दीपक बहल, अंबाला। World Heritage Kalka-Shimla Track : रेलवे के लिए विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल ट्रैक आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया साबित हो रहा है। घाटे से उबारने के लिए अब इस ऐतिहासिक रेलवे ट्रैक को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। केंद्र सरकार की मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना के तहत देश के चार क्षेत्रों से गुजरने वाले नैरोगेज, 244 किलोमीटर रूट का निजीकरण होगा। इनमें अंबाला रेल मंडल का कालका-शिमला रेल ट्रैक, बंगाल का सिलीगुड़ी-दार्जि¨लग, तामिलनाडु का नीलगिरी और महाराष्ट्र का नेरल माथरान ट्रैक शामिल है। ये चारों ट्रैक प्रकृति की गोद में हैं और टूरिस्टों का आकर्षण होते हैं।
मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना में केंद्र सरकार की तरफ से लिया गया फैसला
अंबाला मंडल के कालका-शिमला रेल ट्रैक पर 1903 से रेलगाड़ी दौड़ रही है, जिसका सालाना खर्च करीब 35 करोड़ है, जबकि आमदनी 10 करोड़ के आसपास ही है। कर्मचारियों के वेतन और अन्य मदों में खर्च करीब 35 करोड़ रुपये है।
सालाना 35 करोड़ रुपये का खर्च, लेकिन आमदनी महज 10 करोड़ के लगभग
कालका से शिमला के बीच में 18 स्टेशन हैं। इस कारण इंजीनियरिंग, आपरेटिंग और अन्य विभागों के कर्मचारियों की अच्छी खासी संख्या है। इस रूट पर मालगाड़ी की सेवा नहीं है, इसलिए आमदनी के अन्य स्रोत रेलवे के पास नहीं हैं। अब इस रेल ट्रैक को निजी हाथों में सौंपने से जहां यात्री सुविधाओं में इजाफा होगा, वहीं किराया भी बढ़ सकता है।
कोरोना काल से पहले आठ लाख यात्रियों ने किया सफर
2019 -20 की बात करें तो कालका-शिमला रूट पर सात लाख 91 हजार 654 यात्रियों ने सफर किया, जिनसे रेलवे को आठ करोड़ 29 लाख 18 हजार 76 रुपये की आमदनी हुई। यात्री आमदनी के अलावा अन्य आय के रूप में 66 लाख 28 हजार 728 रुपये रही है, जिसे मिलाकर कुल आमदनी आठ करोड़ 98 लाख 75 हजार 531 रुपये हो जाती है। कोरोना काल में ट्रेनें बंद होने के कारण यात्रियों से आमदनी ज्यादा नहीं हुई, जबकि खर्च बरकरार रहा।
करीब 117 साल पहले शुरु हुआ था यह ट्रैक
कालका-शिमला रेल ट्रैक पर करीब 117 साल पहले दो फीट छह इंच की नैरो गेज लेन पर ट्रेन चलाई गई थी। कालका-शिमला रेलमार्ग पर 861 पुल बने हुए हैं। बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है। इसकी लंबाई 1143.61 मीटर है। यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन (यूनेस्को) ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था।