RC forgery: अमित ने कई अफसर और कर्मियों के उगले नाम, कई एजेंट पुलिस के राडार पर
सिरसा पुलिस ने सबसे पहले रोहतक निवासी सुनील चिटकारा को आरसी फर्जीवाड़े में गिरफ्तार किया। उसके हवाले से ही पता लगा कि इस फर्जीवाड़े का पूरा खेल जगाधरी एसडीएम कार्यालय से चल रहा था। जगाधरी एसडीएम कार्यालय के कंप्यूटर आपरेटर अमित कुमार ने सिरसा कोर्ट में सरेंडर किया था।
यमुनानगर, जेएनएन। आरसी फर्जीवाड़े में गिरफ्तार कंप्यूटर आपरेटर अमित व एमआरसी राजेंद्र डांगी का रिमांड मंगलवार को पूरा हो जाएगा। एसआइटी दोनों आरोपितों से पूछताछ कर चुकी है। उनसे पूछताछ में प्रशासनिक अफसरों व कर्मियों के नाम भी सामने आए हैं। इसके साथ ही कुछ एजेंटों के नाम पुलिस को मिले हैं। अब इन्हें भी पूछताछ में शामिल किया जाएगा। वहीं सिरसा जेल से आरोपित डीलर सुनील चिटकारा का भी एसआइटी को रिमांड मिल गया है। उससे पूछताछ में कुछ अन्य डीलरों के नामों का भी पर्दाफाश हो सकता है। सुनील चिटकारा को दस दिन के रिमांड पर लिया गया है।
इस तरह हुआ था फर्जीवाड़े का खुलासा
सिरसा पुलिस ने सबसे पहले रोहतक निवासी सुनील चिटकारा को ही आरसी फर्जीवाड़े में गिरफ्तार किया। उसके हवाले से ही पता लगा कि इस फर्जीवाड़े का पूरा खेल जगाधरी एसडीएम कार्यालय से चल रहा था। इस फर्जीवाड़े में शामिल जगाधरी एसडीएम कार्यालय के कंप्यूटर आपरेटर अमित कुमार ने सिरसा कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। उससे 25 लाख रुपये की रिकवरी पुलिस ने की। अब अमित एसआइटी यमुनानगर के रिमांड पर है। एसआइटी ने एसडीएम कार्यालय के एमआरसी राजेंद्र डांगी को गिरफ्तार किया। वह भी रिमांड पर है। बिलासपुर एसडीएम कार्यालय से भी एक एमआरसी संजीव गिरफ्तार किया गया। वह जेल में है।
सोनीपत में बेचे गए अधिक वाहन
पुलिस की अब तक की जांच में सामने आया कि यहां से नीलामी के वाहनों के फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते थे। सबसे अधिक वाहन सोनीपत में बेचे गए। कुछ ऐसे भी वाहनों के यहां से फर्जी दस्तावेज बनाए गए, जो वाहन दूसरे राज्यों में टैक्सी के रूप में चलते हैं। उन पर काफी टैक्स बकाया होता है। यहां पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उनका टैक्स कम दिखा दिया जाता था। नीलामी के वाहनों के फाइनेंस कंपनी से सेल सर्टिफिकेट मिलता है। यह सर्टिफिकेट भी आरोपित फर्जी तैयार करते थे। इसमें फाइनेंस कंपनी के कर्मियों से भी पुलिस पूछताछ करेगी। जिससे यह पूरा मामला समझा जा सके। पुलिस फाइनेंस कंपनी के कर्मियों की भूमिका संदिग्ध मान रही है।
एक हजार वाहनों के दस्तावेज तैयार करने का अंदेशा
करीब तीन साल में आरोपितों ने एक हजार वाहनों के दस्तावेज तैयार किए। आरोपित वाहनों का इंजन व चेसिस नंबर बदला जाता था। साफ्टवेयर में आर्मी का एक ऑप्शन होता है। इस ऑप्शन से गाड़ी के दस्तावेज तैयार करने पर एनओसी की जरूरत नहीं पड़ती है। इसका ही फायदा आरोपित उठाते थे। फर्जी दस्तावेज तैयार करने के साथ-साथ टैक्स में भी हेराफेरी की जाती थी। सबसे अधिक रजिस्ट्रेशन भी लॉकडाउन के दौरान होने की बात सामने आई है। इसके साथ ही आरोपित विभाग में ही वाहनों के रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोगों के दस्तावेजों का प्रयोग करते थे। जिसके बारे में मालिक तक को पता नहीं होता था।
सॉफ्टवेयर से जुटा रहे डाटा :
एसआइटी अब सॉफ्टवेयर का भी डाटा खंगाल रही है। इसके साथ ही रिकार्ड रूम से भी फाइलों का पता लगाया जा रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि रिकार्ड रूम में कोई स्टोरकीपर नहीं है। वहां पर लाखों फाइलें हैं और पूरी तरह से अव्यवस्थित हैं। हालांकि एसआइटी ने आरोपित अमित व राजेंद्र डांगी को लेकर रिकार्ड खंगाला है। कुछ फाइलें भी मिलने का दावा किया जा रहा है।
सुनील व राजेंद्र में थी अच्छी जान-पहचान
एसपी कमलदीप गोयल ने बताया कि कुछ गाड़ियां भी रिकवर हुई है। अभी तफ्तीश चल रही है। पूछताछ में कुछ कर्मियों के नाम भी आरोपितों ने बताए हैं। उन सभी को जांच में शामिल किया जाएगा। अब सुनील चिटकारा को भी रिमांड पर लिया गया है। यह इस फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपित है। सुनील व राजेंद्र दोनों रोहतक के रहने वाले हैं और एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। अब सुनील से पूछताछ की जाएगी।