गेहूं पीली दिखने का मतलब पीला रतुआ नहीं, घबराएं नहीं, ऐसे करें रोग की पहचान
पीला रतुआ खेत में एक साथ गोलाई में गेहूं के 10-12 पौधों पर दिखाई देता है। इन पौधों पर उंगली लगाने से अगर पीला पाउडर उंगली पर लग रहा है तो यह पीला रतुआ है। आमतौर पर इन दिनों में ठंड के चलते गेहूं में कुछ पीलापन आ जाता है।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। गेहूं में दिखाई दे रहे पीला रतुआ के लक्षणों से किसानों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। पीला रतुआ गेहूं की उसी किस्म पर असर दिखाता है, जिसकी प्रतिरोधक क्षमता कम है। कृषि वैज्ञानिकों ने साफ किया है कि सभी पीली दिखने वाले गेहूं की फसल में पीला रतुआ नहीं है। ऐसे में किसानों को पूरी तरह से सावधानी बरतनी होगी और लगातार अपनी फसल पर नजर बनाए रखनी होगी। पीला रतुआ के लक्षण सामने आने पर भी कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से दवाई का स्प्रे करने पर इस फंगस को रोका जा सकता है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों ही बाबैन क्षेत्र के गांव मंगोली जाट्टान के खेतों में इसके लिए लक्षण दिखाई दिए थे। इसके बाद से किसानों में पीला रतुआ को लेकर बेचैनी बढ़ी हुई है। इसी बेचैन में बहुत से किसान बगैर लक्षणों के भी गेहूं की फसल में स्प्रे करने लगे हैं। इससे किसानों पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा हैै। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों को किसानों को बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर ही स्प्रे करने की सलाह दी है।
मौसम अनुकूल होने पर ज्यादा खतरा
इन दिनों में ठंड के चलते मौसम पीला रतुआ के अनुकूल चल रहा है। अधिक ठंड होने, धुंध छाने और हल्की धूप निकलने पर इस संक्रमण के तेजी से फैलने का डर बना हुआ है। अधिकारियों ने किसानों को लगातार अपनी फसल पर नजर रखने की सलाह दी है।
कुछ किस्मों में ही पीला रतुआ की आशंका
जिला भर में एक लाख 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की फसल खड़ी है। गेहूं की कुछ किस्म ही ऐसी हैं जिनमें पीला रतुआ का संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। इनमें पीबीडब्ल्यू 373, डब्ल्यूएच 147, पीबीडब्लू 550, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 88, एचडी 3059, डब्लूएच 1021 और सी 306 किस्मों में पीले रतुआ का प्रकोप होने की संभावना ज्यादा रहती है। इन किस्मों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह किस्म पीले रतुआ के लिए अति संवेदनशील हैं।
कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश अनुसार करें स्प्रे
दुकानदारों के बहकावे में आने की बजाय पीला रतुआ आने पर किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह अनुसार ही स्प्रे करें। इसके लिए प्रोपिकोनाजोल 25 फीसद ईसी एक मिलीलीटर, प्रति लीटर पानी में मिलाकर अथवा 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल 25 फीसद ईसी को 200 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ प्रभावित फसल पर कोन अथवा कट नोजल से स्प्रे करवायें। इस बीमारी को रोकने के लिए 200 लीटर पानी प्रति एकड़ का छिड़काव करना आवश्यक है। रोग के प्रकोप तथा फैलाव को देखते हुए 15 से 20 दिन के अंतराल में दूसरा स्प्रे भी करें।
पीले रंग से नहीं हाथ पर पीला पाउडर लगना है लक्षण
कृषि विशेषज्ञ डा. विनोद कुमार ने कहा कि गेहूं का पीला रंग देखकर किसान इसे पीला रतुआ न मानें। पीला रतुआ खेत में एक साथ गोलाई में गेहूं के 10-12 पौधों पर दिखाई देता है। इन पौधों पर उंगली लगाने से अगर पीला पाउडर उंगली पर लग रहा है तो यह पीला रतुआ है। आमतौर पर इन दिनों में ठंड के चलते गेहूं में कुछ पीलापन आ जाता है। प्राथमिक तौर पर गेहूं की फसल में सिफारिश शुदा फफूंदी नाशक का छिड़काव भी करवाया गया है।