सोयाबीन की मांग कमजोर होने से भाव गिरे, पाम आयल में भी मंदा दर्ज
सरसों के तेल में मंदा चल रहा है। सरसों का तेल 150 रुपये लीटर तक पहुंच गया था अब यह 130 रुपये पर आ चुका है। सरसों का सीजन सिर पर है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : मांग घटने पर सोयाबीन में मंदा दर्ज किया गया है। बर्ड फ्लू के चलते मुर्गियों को मारे जाने से सोयाबीन व सोयाबीन तेल की मांग में कमी आने से भाव में गिरावट चल रही है। मुर्गियों के फीड में सोयाबीन की अच्छी खपत होती है। मलेशिया में हड़ताल के चलते पाम आयल का उत्पादन नहीं हो रहा था। इस कारण पाम की आवक कम हो गई थी। भाव तेज चल रहे थे। हड़ताल खत्म होने के बाद मलेशिया से पाम आयल की आवक बढ़ गई है। सोया तेल 1240 और पाम तेल 1220 रुपये तक जाने के बाद 1190 और 1205 रुपये तक सोया तेल और 1190 रुपये पाम आयल के भाव चल रहे हैं।
वहीं सरसों के तेल में मंदा चल रहा है। सरसों का तेल 150 रुपये लीटर तक पहुंच गया था, अब यह 130 रुपये पर आ चुका है। सरसों का सीजन सिर पर है। सरसों की बुआई सितंबर-अक्टूबर में होती है। नई सरसों की फसल फरवरी के शुरुआत में आना शुरू हो जाती है। देश भर में सरसों के उत्पादन का अनुमान 69 लाख टन होने का है। देश में कुल तिलहन की पैदावार में सरसों की पैदावार 25 प्रतिशत होती है।
हरियाणा डिस्ट्रीब्यूटर संघ के पूर्व प्रधान राकेश गर्ग का कहना है कि खाद्य तेलों सोयाबीन, पाम आयल व सरसों के तेल में भाव में गिरावट चल रही है। मांग की अपेक्षा आपूर्ति अधिक हो रही है। मांग में पहले से कमी चल रही है। तेजी की शुरुआत के दौरान लोगों ने सरसों, सोयाबीन तेल की खरीद अधिक की।