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Non-Resident Indian Day: हरियाणा के इस गांव से फ्रांस पहुंचे , ग्रामीणों की तरक्की के लिए खोल दी लाइब्रेरी

हरियाणा के जींद स्थित निडाना गांव के नौकरीपेशा युवाओं की टीम बनाकर दादा खेड़ा लाइब्रेरी शुरू की। लाइब्रेरी में पढ़कर छह बेटियों की मेरिट आई और एक का नेट क्लीयर हुआ। ये सब कुछ हुआ विदेश में रह रहे फूल कुमार की वजह से।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 04:43 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 04:43 PM (IST)
Non-Resident Indian Day: हरियाणा के इस गांव से फ्रांस पहुंचे , ग्रामीणों की तरक्की के लिए खोल दी लाइब्रेरी
जींद के गांव निडाना के फूल कुमार मलिक।

पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। जींद के गांव निडाना के फूल कुमार मलिक 2006 से फ्रांस में रहते हैं। पहली बार स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत वहां गए थे और वहीं के होकर रह गए। अब डिजिटल मार्केटिंग में जॉब के साथ खुद का बिजनेस भी करते हैं। लेकिन उनका दिल अब भी अपने गांव विकास के लिए धड़कता है। फूल कुमार अपने गांव के युवाओं को भी उच्च पदों पर देखना चाहते हैं। इस सपने को साकार करने के लिए गांव के नौकरीपेशा युवाओं की टीम बनाकर गांव में तीन साल पहले दादा खेड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की, जहां गांव के बच्चे शांत माहौल में भविष्य संवार रहे हैं।

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दैनिक जागरण से बातचीत में फूल कुमार ने बताया कि इजराइली कल्चर पढ़कर गांव में लाइब्रेरी खोलने का आइडिया आया। इजराइल में लोग धर्म के नाम पर या दूसरे दान करने से पहले यह देखते हैं कि विद्यार्थियों के लिए लाइब्रेरी है या नहीं। इसी कल्चर के कारण छोटा सा इजराइल कई मामलों में हमसे आगे है। उसी आइडिये के तहत पहले गांव में सर्वे किया। गांव के नौकरीपेशा युवाओं से बात की अौर टीम बनाकर दादा खेड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की। मात्र दो साल में ही लाइब्रेरी का बहुत अच्छा परिणाम सामने आ गया है। लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ने वाली छात्रा बंटी का नेट क्लीयर हुआ है।

छह लड़कियों ने दसवीं में मेरिट हासिल की। फूल कुमार कहते हैं कि यह टीम वर्क है। आइडिया उनका था, लेकिन इसको साकार करने में गांव के शिक्षक पवन, विकास सहित कई युवाओं का अहम योगदान है। लाइब्रेरी में चार कंप्यूटर और सीसीटीवी भी लगा रखे हैं। बच्चे कंप्यूटर भी सीख रहे हैं। लाइब्रेरियन और स्वीपर भी लगा रखा है ताकि अनुशासन बना रहे। फूल कुमार बताते हैं कि फ्री की चीजों को लोग गंभीरता से नहीं लेते, इसलिए लाइब्रेरी का खर्चा निकालने के लिए लड़कों की मामूली फीस भी रखी है। बेटियों के लिए पूरी तरह फ्री है। अच्छी बात यह है कि गांव के लोगों व विद्यार्थियों ने इस मुहिम में साथ दिया है।

सपना: गांवों के बच्चे भी शहरियों जितने बनें योग्य

फूल कुमार कहते हैं कि उनका सपना है कि गांव के बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें। अपने अधिकारों के बारे में जानें और योग्य नागरिक बनें। वह यह मिथ तोड़ना चाहते हैं कि शहर में रहकर पढ़ने वाला बच्चा ही ज्यादा योग्य होता है। गांवों के बच्चों को ज्ञानवान बनाना और शहरियों के बराबर योग्य बनाना ही उनका लक्ष्य है। इसीलिए कोरोना खत्म होने के बाद लाइब्रेरी इंटरनेट सहित कई तरह की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। कोरोना से पहले इंटरनेट सेवा चालू की थी, लेकिन अब फिर उसको शुरू करवाया जाएगा। शहरी स्टैंडर्ड को गांव में डेवलप करने का प्रयास है।

शुरू में 600 किताबें थी, अब 1600 हुई

दादा खेड़ा लाइब्रेरी से जुड़े शिक्षक पवन मलिक बताते हैं कि शुरू में यहां 600 किताबें रखी थी। अब इनकी संख्या 1600 हो गई हैं। तीन कैटेगरी की किताबें रखी गई हैं। इनमें जनरल स्टडीज जैसे हिस्ट्री, बायोग्राफी, नॉवेल, कंपीटीशन की किताबें और सिलेबस की किताबें शामिल हैं। हिंदी व अंग्रेजी के अखबार व मैग्जीन भी आती हैं। शुरुआत 35 विद्यार्थियों की सीटिंग से की थी। इसे धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं। लाइब्रेरी की शुरुआत के समय जींद की तत्कालीन डीसी अमित खत्री ने कहा था कि यह गांव के युवाओं के लिए बहुत लाभप्रद रहेगी, जो अब सही सिद्ध हो रही है।

गांव भी आया साथ, पंचायत ने दी जमीन

दादा खेड़ा लाइब्रेरी पहले किराए के मकान शुरू की गई थी। मकान मालिक ने उस भवन को बेचना निकाल दिया तो फूल कुमार ने खुद खरीद लिया ताकि लाइब्रेरी चलती रहे। अब गांव भी इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए साथ आ गया है। पंचायत ने करीब एकड़ जमीन पर लाइब्रेरी बनवानी शुरू कर दी है। इसलिए जिला प्रशासन ने भी शुरू में ग्रांट दी थी। गांव के लोगों ने भी चंदा दिया है। अत्याधुनिक लाइब्रेरी के साथ महिलाओं के लिए जॉगिंग पार्क बनाया जाएगा। मिट्टी के 500 डंफर डालकर भर्ती भी कर दी है। लेकिन कोरोना के कारण काम धीमा हो गया है।

फ्रांस से ऑनलाइन सिखा रहे अंग्रेजी

फूल कुमार कहते हैं कि गांव के बच्चों के सामने अंग्रेजी बड़ी समस्या है। इसलिए उन्होंने हर रविवार को अंग्रेजी की ऑनलाइन क्लास लेनी शुरू कर दी थी। इसका काफी अच्छा असर भी दिखा था और बच्चे तेजी से अंग्रेजी बोलने लग गए थे। लेकिन कोरोना के कारण यह कक्षाएं बंद हो गईं। अब जल्द ही इसे दोबारा शुरू किया जाएगा। लाइब्रेरी में चौथी से लेकर बीए तक के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। एसएससी, बैंकिंग व नेट एग्जाम की तैयारी करने वाले छात्र भी लाइब्रेरी का फायदा उठा रहे हैं। रेगुलर कक्षाएं शुरू होने के बाद आईआईटी व नीट के लिए साप्ताहिक कोचिंग कक्षा भी लगाई जाएगी।


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