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थर्मल से बढ़ रहा प्रदूषण, बीमारियों से जूझ रहे आसपास के ग्रामीण, नियंत्रण नहीं

1974 में थर्मल पॉवर स्टेशन में शुरू हुआ था बिजली का उत्पादन। 8 में से पांच यूनिट हो चुकी है कंडम तीन पर प्रतिमाह बढ़ रहा जुर्माना।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 03:50 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 03:50 PM (IST)
थर्मल से बढ़ रहा प्रदूषण, बीमारियों से जूझ रहे आसपास के ग्रामीण, नियंत्रण नहीं
थर्मल से बढ़ रहा प्रदूषण, बीमारियों से जूझ रहे आसपास के ग्रामीण, नियंत्रण नहीं

पानीपत, [सुनील मराठा]। प्रदूषण फैलाने और सिस्टम को बेहतर नहीं करने के आरोप में पानीपत थर्मल प्लांट पर प्रति माह, प्रति यूनिट 18 लाख रुपये का जुर्माना लगा है। तय मानकों के अनुसार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए थर्मल की ईएसपी में फ्लू गैस डीसल्फ्यूरिजेशन (एफजीडी) सिस्टम लगाया जाना था। ये नहीं करने पर एचपीजीसीएल को भारी जुर्माना भरना पड़ रहा है। वहीं प्रदूषण की वजह से आसपास के गांव वाले बीमार हो रहे हैं। 

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विशेषज्ञों की मानें तो एफजीडी सिस्टम लगाने में लगभग 300 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इस सिस्टम को इंस्टॉल होने में भी लगभग 2 से ढाई साल का समय लग सकता है। अभी तक तो इस कार्य के लिए टेंडर भी नहीं हुआ। यदि एफजीडी सिस्टम लगाने में ढाई साल का समय लगता है तो एचपीजीसीएल को 18 लाख रुपए प्रति यूनिट प्रति माह के हिसाब से ढाई साल में लगभग 17 करोड़ 40 लाख रुपए का जुर्माना सीपीसीबी को देना पड़ सकता है। 

फिलहाल थर्मल पावर स्टेशन की आठ में से पांच यूनिट कंडम हो चुकी हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने जनवरी माह में थर्मल पावर स्टेशन की जांच करके इसकी पुष्टि भी कर चुका है। बोर्ड ने पीटीपीएस पर 18 लाख रुपये प्रति यूनिट प्रति माह के हिसाब से जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि पीटीपीएस प्रबंधन को सीपीसीबी ने कई बार प्रदूषण मानक पूरे करने के लिए सचेत किया। लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। नतीजन सीपीसीबी ने थर्मल की तीन यूनिटों पर 54 लाख रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 2.70 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। एचपीजीसीएल की अनदेखी के कारण अब ये रकम सरकार को चुकानी पड़ेगी। इससे पहले भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 5 दिसंबर 2019 को थर्मल पर तीन करोड़ का जुर्माना लगाया था। थर्मल की झील में 300 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा राख जमा है।

आज भी पीटीपीएस में हैं ये कमियां

-प्लांट इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रिसीपिटेटर (ईएसपी) और एफजीडी नॉम्र्स के अनुसार नहीं हैं। इसको 31 दिसंबर 2019 तक पूरा करना था।

-प्लांट में एनओ-एक्स के बर्नर की क्षमता कम है और यहां ओवर फायर एयर (ओएफए) लगाए जाने की जरूरत है।

-सल्फर डाइऑक्साइड(एसओ-2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ-एक्स) और पीएम के नॉम्र्स थर्मल पूरा नहीं कर रहा, जो जरूरी है।

बीमारियों से जूझ रहे आस-पास के ग्रामीण

जाटल ग्राम पंचायत की शिकायत पर पीटीपीएस पर एनजीटी ने तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। खुखराना, सुताना, ऊंटला, बिंझौल, आसन कलां, आसन खुर्द के अधिकतर ग्रामीण अस्थमा, आंखों की बीमारी, चर्म रोग से ग्रस्त हैं।

1204 एकड़ में फैली है राखी झील

थर्मल पावर स्टेशन की पहली चार यूनिटों में सन् 1974 में बिजली उत्पादन शुरू हुआ था। तब 768 एकड़ में राखी झील बनाई गई। 2006 में यूनिट पांच से यूनिट आठ का निर्माण हुआ। प्रबंधन ने राखी झील में 436 एकड़ का नया हिस्सा जोड़कर इसे 1204 एकड़ में फैला दिया। यह प्रदेश की सबसे बड़ी राखी झील है। 

बार-बार होती रही जांच 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती के बाद फरवरी 2015 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने प्लांट में जांच की थी। इसमें सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा अधिक पाई गई थी। इससे पानी की खपत बढ़ जाती है। मिनिस्ट्री ऑफ पावर (एमओपी) और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) ने दिसंबर 2016 में सर्वे रिपोर्ट दी थी। इसमें सभी यूनिटों की रिपोर्ट को  जांचा गया था। सीपीसीबी व थर्मल के बीच एमओईएफ और सीसी पर 23 मई 2017 को एक बार फिर मीङ्क्षटग हुई। इसमें सीपीसीबी नियमों को पूरा करना जरूरी बताया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानीपत के थर्मल पावर प्लांट को एक नोटिस थमाते हुए प्लांट प्रबंधन को कमियों को दूर करने के लिए दिसंबर 2019 तक की मोहलत दी है। यही नहीं, प्लांट के जरनल मैनेजर को थमाए सात पेज के नोटिस में कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी।

तत्कालीन एमडी पर लापरवाही का आरोप

आइटीआइ एसोसिएशन के प्रदेश सचिव राजेश दत्त ने बताया कि अगस्त 2019 में प्रदेश के तत्कालीन परिवहन, आवास एवं जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार पीटीपीएस कॉलोनी स्थित सबोर्डिनेट क्लब में आए थे। वहां पर उन्होंने एसोसिएशन की ओर से मांग की थी कि थर्मल तय मानकों से अधिक प्रदूषण फैला रहा है। इसके लिए सीपीसीबी के आदेशानुसार यहां पर एफजीडी सिस्टम लगना जरूरी है। उन्होंने बताया कि उनकी मांग पर तत्कालीन मंत्री पंवार ने सीएम के माध्यम से एचपीजीसीएल के एमडी को इसके लिए आगाह किया था। लेकिन एचपीजीसीएल के तत्कालीन एमडी ने उनकी बात को दरकिनार करते हुए लापरवाही बरती।

प्लांट बंद हुए तो हरियाणा में पैदा हो सकता है बिजली संकट-

यदि सीपीसीबी ने अपना कड़ा रुख रखा तो हरियाणा के सभी थर्मल प्लांट बंद हो सकते हैं। हरियाणा में बिजली का उत्पादन बंद हो जाएगा। बिजली का उत्पादन बंद होते ही प्रदेश भर में बिजली के लिए संकट पैदा हो सकता है। प्रदेश के लिए बाहर से रिलायंस व अदानी ग्रुप से बिजली खरीदी जाती है। यदि प्रदेश के थर्मल बंद हुए तो महंगे दाम पर बिजली खरीदनी पड़ेगी। 


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