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Mahashivratri 2020: भूतेश्वर मंदिर का चमत्कार देख भागे थे मुगल, जितना शिवलिंग काटते उतना ही बढ़ जाते

Mahashivratri 2020 जींद में भूतेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। मान्यता है कि इस मंदिर को मुगलों ने तोडऩा चाहा। शिवलिंग का जितना काटते उतना जमीन से निकल आते।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 02:44 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 04:58 PM (IST)
Mahashivratri 2020: भूतेश्वर मंदिर का चमत्कार देख भागे थे मुगल, जितना शिवलिंग काटते उतना ही बढ़ जाते
Mahashivratri 2020: भूतेश्वर मंदिर का चमत्कार देख भागे थे मुगल, जितना शिवलिंग काटते उतना ही बढ़ जाते

पानीपत/जींद, जेएनएन। Mahashivratri 2020 पुराणों में वर्णित शहर में सफीदों गेट स्थित सबसे प्राचीनतम भूतेश्वर महादेव मंदिर की किवंदती यह है कि जब मुगलों द्वारा देश पर आक्रमण किया गया था और हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को तहस-नहस किया जा रहा था, तब भूतेश्वर मंदिर पर भी मुगलों ने आक्रमण किया था। महादेव की स्व प्रकट पिंडी पर मुगल सेना ने आक्रमण कर यहां स्थापित पवित्र शिवलिंग को काटने की कोशिश की। मुगल सेना शिवलिंग को जितना काटती, यह जमीन से उतना ही बाहर निकल आता। इस तरह का चमत्कार देख मुगल सेना यहां से भाग खड़ी हुई थी और तब से इसकी मान्यता लगातार बढ़ती आ रही है। शुक्रवार को महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में यहां पर महादेव का जलाभिषेक और महाआरती होगी। 

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ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर में पूजा-पाठ का जिम्मा जींद के राजा ने बिस्सो जोगी को सौंपा था। एक ऊंचे थेह पर बने इस मंदिर का भवन इतना छोटा होता था कि एक ही व्यक्ति अंदर घुसकर पूजा-अर्चना कर सकता था। प्राचीन समय में इसके चारों ओर भूतेश्वर तीर्थ होता था। शहर में ऊंचे दड़े की ओर से तीर्थ में घाट उतरते थे, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं। 

 Mahashivratri

बस्सो की मौत के बाद जंगी ने शुरू की पूजा

बिस्सो की मौत के बाद उसके पुत्र जंगी ने पूजा अर्चना का कार्य संभाला था। जंगी पशुपालन विभाग में नौकरी करता था। जंगी के किसी पारिवारिक कारण से इस मंदिर के कपाट बंद हो गए थे, जो 20 साल तक बंद रहे। इसके बाद श्री शिव प्राचीन महादेव संस्था का गठन कर मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया गया और उन्होंने कानूनी और पंचायती प्रक्रिया अपनाते हुए मंदिर परिसर को गृहस्थ आश्रम से मुक्त कराया। शहर के दानियों और श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर परिसर आज अपने भव्य स्वरूप की ओर बढ़ रहा है। 

आज हुआ जलाभिषेक और महाआरती 

श्रीशिव मंदिर महादेव ट्रस्ट के प्रधान देशराज अरोड़ा और महासचिव रमेश सैनी ने बताया कि फाल्गुन महीने की महाशिवरात्रि और श्रावण महीने की शिवरात्रि को यहां पर यहां महादेव का जलाभिषेक होता है और बड़ा मेला लगता है। पुराणों में वर्णित शहर के चार तीर्थों में से यह एक है। हजारों साल पुराने इस मंदिर में विशेष बात यह है कि इसमें पवित्र शिवलिंग किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित नहीं किया गया है, बल्कि स्वत: ही प्रकट है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो व्यक्ति बिना रूकावट के 40 दिन तक दीया जलाता है तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।


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