रहस्यमयी बीमारी से दांव पर लगी NDRI Karnal की साख, 43 पशुओं की मौत, कई संक्रमित Panipat News
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में मर रहे पशुओं के कारणों का पता नहीं लग पा रहा है। अब तक 43 भैंसों की मौत हो चुकी है जबकि 50 से अधिक संक्रमित हैं।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में 11 सितंबर को आई अज्ञात बीमारी से अब तक 43 भैंसों की मौत हो चुकी है। बुधवार को भी पांच भैसों ने दम तोड़ दिया। बीमारी के कारण एक थारपारकर नस्ल की गाय की मौत की सूचना है, लेकिन इसकी अभी संस्थान की ओर से अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लगातार मर रहे पशुओं के सिलसिले को रोकने में वैज्ञानिक विफल हो रहे हैं। इससे एनडीआरआइ की साख भी दांव पर लग गई है, क्योंकि यही संस्थान लोगों को पशुओं का पालन-पोषण करने और उन्हें रोग रहित रखने की ट्रेनिंग देता है। अब ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि जो संस्थान लोगों को पशुपालन के तौर-तरीके सिखाता है वही अपने पशुओं को नहीं संभाल पा रहा। दूसरी ओर वैज्ञानिक का दावा है कि स्थिति पर जल्द नियंत्रण कर लिया जाएगा।
कहीं फीड में तो गड़बड़ी नहीं, भेजा जांच के लिए
एनडीआरआइ की पशुशाला में जो फीड दिया जा रहा था उसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं है उसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने उसकी जांच अलग-अलग दो लैबों से कराई है। एक लैब की रिपोर्ट आ चुकी है। उसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। गुरुवार शाम तक दूसरी रिपोर्ट के आने के बाद वैज्ञानिक कोई निर्णय ले सकेंगे।
करनाल, हिसार और बरेली की टीम कर रही छानबीन, अब तक सिर्फ दावे
एनडीआरआइ में बिगड़ते हालात को देखते हुए तीन संस्थानों लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी ऑफ वेटनरी एंड मेडिकल साइंस हिसार, इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली की टीम को बुला लिया था। उनके साथ एनडीआरआइ की वेटनरी डिपार्टमेंट की टीम भी लगी हैं। इसके बावजूद स्थिति नियंत्रित नहीं होने पर सवाल उठ रहे हैं। स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है।
संक्रमित पशुओं के लिए यार्ड से बाहर कर खेतों में बनाया शेड
सूत्रों के मुताबिक एनडीआरआइ में 50 से अधिक और मवेशी संक्रमित हैं। जो पशु संक्रमित हैं उनको पशुशाला से बाहर कर खेतों में अस्थायी शेड बनाकर इलाज किया जा रहा है। ऐसे में मवेशियों की मौत में और इजाफा हो सकता है।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजन शर्मा ने बताया कि बुधवार को पांच पशुओं की मौत और हुई है। अब तक 43 मर चुके हैं। तीन संस्थानों की टीम पशुओं को बचाने में जी जान से जुटी हुई हैं। फीड की जांच के लिए सैंपल भेजे गए हैं, एक की रिपोर्ट आ चुकी है, दूसरी भी जल्द आ जाएगी। संस्थान की प्राथमिकता है कि जो स्वस्थ पशु हैं उनको सुरक्षित रखा जाए।
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