स्वतंत्रता के बने सारथी, जज्बे से जगा रहे शिक्षा की अलख Panipat News
सेवानिवृत्ति होने के बाद मास्टर जागेराम अभी भी शिक्षा की अलग जगा रहे हैं। अब वे कमजोर तबके के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जानिए उनके जज्बे की वजह।
पानीपत, [सुनील मराठा]। सेवानिवृत्ति के बाद कम लोग होते जो दिनचर्या को मेंटेन कर पाते हैं। मास्टर जागेराम उनमें से एक हैं। मतलौडा में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों को मुफ्त में दो अक्षर का ज्ञान बांट रहे हैं। बुढ़ापे में उनका जज्बा समाज को सुशिक्षित बनाने में अपने कर्तव्य का निर्वहन करना है।
आजादी के बाद वर्ष 1947 में 5 अक्टूबर को अटावला गांव में जन्मे मास्टर जागेराम ने सरकारी स्कूल में शिक्षक पद पर सेवाएं दी। वर्ष 2005 में रिटायरमेंट के बाद मन में ठानी की बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ेंगे। जो अभिभावक बच्चों की पढ़ाई पर पैसे नहीं खर्च कर पाते हैं उन्हें दो अक्षर का ज्ञान उपलब्ध कराएंगे।
13 वर्षों से फ्री एजुकेशन दे रहे
बीते 13 वर्षों से बच्चे को मुफ्त में पढ़ाते हैं। मास्टर जागेराम कहते हैं कि समाज को शिक्षित बनाकर ही उसे जागरूक किया जा सकता है। व्यक्ति शिक्षा को अपना हथियार बना ले तो जीवन में कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। शिक्षा के प्रति इतने अधिक समर्पित हैं कि वह हर रोज 3 से 4 घंटे 24 बच्चों को मुफ्त में ज्ञान बांटने का कार्य करते हैं। परीक्षाएं नजदीक आने पर बच्चों की संख्या 45-50 के करीब हो जाती है।
जिसे पढ़ाया वो बना अधिकारी
मास्टर जागेराम ने दैनिक जागरण को बताया कि उनके पढ़ाए राजरूप फुलिया और जगजीत देसवाल दिल्ली पुलिस में अधिकारी हैं। ऊंचे पदों पर पहुंचने वाले उनके छात्र जब मिलने आते हैं तो गर्व महसूस करते हैं। मन को सुख का अनुभव होता है।
औषधीय पौधों का देते हैं ज्ञान
मास्टर जागेराम ने घर में 20 तरह के औषधीय पौधे लगा रखे हैं। बच्चों को किताबी ज्ञान के अतिरिक्त औषधीय पौधों से होने वाले फायदे भी बताते हैं। बच्चों को पेड़ लगाने को प्रेरित करते हैं।
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