जन सुविधाओं की आड़ में बड़ा घोटाला, बड़े अधिकारी से लेकर बाबू तक फंसे Panipat News
जींद में दो बड़े घोटालों का पर्दाफाश हुआ है। एक तरफ जन स्वास्थ्य विभाग के एसडीओ जेई समेत छह को गिरफ्तार किया गया। वहीं बिजली निगम के एक्सईएन व एसडीओ से पूछताछ की जा रही।
पानीपत/जींद, जेएनएन। जींद में जन स्वास्थ्य विभाग और बिजली निगम में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। दोनों विभागों के एक्सईएन से लेकर बाबू तक इस घोटाले में लिप्त हैं। जन स्वास्थ्य विभाग में सीवर व पेयजल लाइन की मरम्मत के लिए फर्जी बिल बना 31 लाख रुपये का घोटाला करने के आरोप में विजिलेंस ने सोमवार को तत्कालीन एसडीओ, जेई समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है।
वर्ष 2016 में जींद शहर व सफीदों उपमंडल क्षेत्र में सीवर व पेयजल लाइन की मरम्मत के लिए विभाग ने मनजीत व अंग्रेज सिंह को ठेका दिया था। ठेकेदारों ने तत्कालीन एक्सईएन भानू प्रताप, एसडीओ जगदीप सिंह, जेई अमरीक सिंह, क्लर्क सुभाष, सुरेश सहित आठ कर्मचारियों से मिलीभगत करके बिना सामान खरीदे ही 31 लाख के फर्जी बिल पास करा लिये। फर्जीवाड़े की भनक लगते ही विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी। जांच शुरू होते ही एसई ने 18 अगस्त 2018 को विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ को मामले की जानकारी दी। उन्होंने कार्रवाई करते हुए क्लर्क सुरेश कुमार और सुभाष को निलंबित कर दिया था।
घोटाले में ये रहे शामिल
विजिलेंस की जांच के दौरान घोटाले में फिलहाल रोहतक में कार्यरत एक्सईएन भानू प्रताप, एसडीओ जगदीप सिंह जो जांच के दौरान सेवानिवृत्त हो गए, जेई अमरीक सिंह, क्लर्क सुरेश, क्लर्क सुभाष (वर्तमान में भिवानी कार्यालय में कार्यरत) , ठेकेदार मनजीत, अंग्रेज के अलावा दो अन्य कर्मचारी शामिल मिले। 7 दिसंबर 2018 को इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। विजिलेंस ने बताया कि सेवानिवृत एसडीओ जगदीप, जेई अमरीक सिंह, क्लर्क सुभाष, सुरेश व ठेकेदार मनजीत, अंग्रेज को गिरफ्तार कर लिया गया है। जल्द ही अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।
सभी ने बांटी थी राशि
जांच के दौरान ठेकेदारों को 24,84,745 रुपये के ऐसे भुगतान का पता चला जिसके एवज में कोई काम ही नहीं हुआ। जांच शुरू होने के बाद क्लर्क सुभाष चंद्र ने 7,45,423 रुपये, क्लर्क सुरेश कुमार ने 7,45,423 तथा जेई अमरीक सिंह ने 9,93,899 रुपये सरकारी खजाने में जमा करवा दिए। जांच में जब घोटाला 31 लाख का निकला तो एक्सईएन और एसडीओ ने भी रुपये जमा करा दिए।
पूछताछ में तत्कालीन एसडीओ जगदेव का नाम आया सामने
जनस्वास्थ्य विभाग में सीवर व पेयजल लाइन की मरम्मत के सामान के फर्जी बिल बनाकर 31 लाख रुपये के घोटाला में तत्कालीन एसडीओ जगदेव मोर का नाम सामने आया है। आरोपित ठेकेदार मनजीत व अंग्रेज ङ्क्षसह से पूछताछ में बताया कि फर्जी बिल को पास करने में एसडीओ जगदेव मोर भी शामिल थे। विजिलेंस की टीम ने मंगलवार को आरोपित सेवानिवृत एसडीओ जगदीप सिंह, जेई अमरीक सिंह, क्लर्क सुभाष, सुरेश, ठेकेदार मनजीत, अंग्रेज सिंह को अदालत में पेश किया। जहां से अदालत ने आरोपित को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। अब विजिलेंस की टीम आरोपित रोहतक के एक्सईएन भानू प्रताप व एसडीओ जगदेव मोर को गिरफ्तार करेगी।
इधर, आइपीडीएस घोटाले में बिजली निगम के एक्सईएन व एसडीओ को हिरासत में लेकर पूछताछ
इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलेपमेंट स्कीम (आइपीडीएस) के तहत बिजली लाइन खींचने और अन्य कामों में छह करोड़ 34 लाख 50 हजार का घोटाला करने के मामले में बिजली निगम के तत्कालीन सफीदों एक्सईएन दलबीर सिंह व जुलाना एसडीओ राजीव शर्मा को सिविल लाइन पुलिस ने हिरासत में लेेकर पूछताछ की। दोनों को इस मामले में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली हुई है। इस कारण पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया। हालांकि दोनों ही अधिकारी सस्पेंड चल रहे हैं, जबकि इस मामले में तीन जेई सहित पांच लोग पहले गिरफ्तार हो चुके हैं।
चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर ने दी थी शिकायत
10 अक्टूबर, 2018 को बिजली निगम ऑपरेशन सर्कल के अधीक्षक अभियंता राजीव राय ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि इंटीग्रेटेड पावर डेवलेपमेंट स्कीम के तहत सफीदों, उचाना और जुलाना में बिजली लाइन लगाने का काम किया जाना था। तीनों जगह का काम ठेका हिसार जिले के गांव कुंवारी निवासी कुलदीप दूहन को सौंपा गया है। इस काम में ठेकेदार ने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर बड़ी गड़बड़ी की बात सामने आई। किसी व्यक्ति ने निगम के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर शत्रुजीत कपूर को घोटाले की शिकायत दी थी।
निरीक्षण में सामने आया बड़ा घोटाला
हिसार से चीफ इंजीनियर आरके जैन के नेतृत्व में टीम जांच करने के आदेश दिए। जब टीम ने कागजों में दिखाई गई लाइनों का निरीक्षण किया। जहां पर सामने आया कि 1200 खंभों की जगह सिर्फ तीन सौ खंभे मिले, जबकि स्टोर में सामान भी उपलब्ध नहीं था। जांच में स्टोर में भी सामान कम मिला। रिकार्ड में मिलान के दौरान सामने आया कि छह करोड़ 34 लाख 50 हजार रुपये तो बिना काम किए ही ठेकेदार के पास किए हुए हैं। इस घोटाले में फिल्ड में कार्यरत एएफएम से लेकर फाइनेंसियल अकाउंटेंट गांव हसनपुर निवासी अनिल, सफीदों के एक्सईएन दलबीर सिंह, जुलाना के एसडीओ राजीव शर्मा की की संलिप्ता मिली। जांच के दौरान दोनों का नाम सामने आते ही निगम ने उनको सस्पेंड कर दिया था। पुलिस ने ठेकेदार कुलदीप दूहन व निगम के पूर्व फाइनेंसियल अकाउंटेंट नारनौल के गांव हसनपुर निवासी अनिल कुमार को पुलिस पहले गिरफ्तार कर चुकी है। इसके बाद आरोपित एक्सईएन दलबीर सिंह व जुलाना के एसडीओ राजीव शर्मा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत लगा दी और वहां से उनकी मंजूर हो गई।