राष्ट्रीय लोक अदालत में 769 केसों का निस्तारण
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सीजेएम मनोज कुमार राणा ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटीगेशन के 1701 केस लिए गए थे। इनमें से 451 का निस्तारण कराते हुए 97.59 लाख 168 रुपये सैटलमेंट राशि वसूली। अदालतों में विचाराधीन 829 केस सुनवाई-समझौता के लिए शामिल किए गए। इनमें से 318 का निस्तारण हुआ और 1.81 करोड़ 80 हजार 540 रुपये सैटलमेंट राशि वसूली।
जागरण संवाददाता, पानीपत : जिले की अधिकांश अदालतों में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हुआ। कुल 2530 केसों को सुनवाई के लिए शामिल किया गया। कुल 769 केसों का निस्तारण हुआ और 2.79 करोड़ 39 लाख 708 रुपये सेटलमेंट राशि वसूली गई। निस्तारित केसों में प्री-लिटिगेशन (कोर्ट में विचाराधीन नहीं) के 451 केस भी शामिल हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सीजेएम मनोज कुमार राणा ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटीगेशन के 1701 केस लिए गए थे। इनमें से 451 का निस्तारण कराते हुए 97.59 लाख 168 रुपये सैटलमेंट राशि वसूली। अदालतों में विचाराधीन 829 केस सुनवाई-समझौता के लिए शामिल किए गए। इनमें से 318 का निस्तारण हुआ और 1.81 करोड़ 80 हजार 540 रुपये सैटलमेंट राशि वसूली। सबसे अधिक केस बिजली बिल, बैंक रिकवरी, फैक्ट्री एक्ट, मोटर दुर्घटना और चेक बाउंस के शामिल रहे।
स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन आरके शर्मा ने कहा कि लोक अदालतों का उद्देश्य केसों का जल्द निपटारा कर अदालतों का वर्क लोड करना है। इस बार भी वादी-प्रतिवादी पक्ष ने राष्ट्रीय लोक अदालत में विश्वास जताया है। यहां हुए समझौता के बाद कोई भी पक्ष किसी भी अदालत में दोबारा केस चलाने की अपील नहीं कर सकेगा। सिक्योरिटी गार्ड को मूलधन का आधा चुकाना पड़ा
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संतनगर के निवासी सुनील ने वर्ष 2014 में लकड़ी के फर्नीचर का काम शुरू करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 50 हजार रुपये का ऋण लिया था। उसे यह रकम 1500 रुपये मासिक किस्त में चुकानी थी। काम नहीं चला और वह मुश्किल से तीन किस्त जमा कर सका। मजबूरी में उसे जॉब करनी पड़ी। मूलधन में करीब 15000 रुपये ब्याज जुड़ गया। इसके बाद बैंक का लीगल खर्च भी मूलधन में जुड़ा। बैंक के मुख्य प्रबंधक ललित कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में हुए समझौता के मुताबिक अब सुनील को मात्र 25 हजार रुपये चुकाने होंगे। ट्रैक्टर के लिए लिया था लोन, 21 साल बाद चुकता :
गांव बोहली वासी चंदगीराम ने वर्ष 1998 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने करीब दो लाख रुपये का ट्रैक्टर लोन लिया था। कुछ किस्तें जमा कराई इसके बाद नहीं करा सके। मूलधन में ब्याज जुड़ता गया और रकम 5.28 लाख 384 रुपये तक पहुंच गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में 2.25 लाख में समझौता हुआ। चंदगीराम ने यह रकम चेक के जरिए मौके पर ही जमा करा दी।