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फाइलों में सिमटे डी-प्लान के करोड़ रुपये, अधिकारी प्रस्ताव तक नहीं बना पाए

सरकार डी-प्लान में विकास कार्य कराने के लिए हर साल दो किस्तों में 19 करोड़ रुपये देती है। नगर निगम नगर पालिका और पंचायती राज विभाग इसकी तीन एजेंसियां होती हैं।

By Edited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 10:05 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 10:09 AM (IST)
फाइलों में सिमटे डी-प्लान के करोड़ रुपये, अधिकारी प्रस्ताव तक नहीं बना पाए
फाइलों में सिमटे डी-प्लान के करोड़ रुपये, अधिकारी प्रस्ताव तक नहीं बना पाए
जगमहेंद्र सरोहा, पानीपत : डी-प्लान के 17.92 करोड़ के विकास कार्य अफसरशाहों की टेबल पर सिमट कर रह गए हैं। अधिकारी एक महीने बाद भी इतनी मोटी ग्रांट को खर्च करने की योजना तक नहीं बना पाए। यह हाल तब है, जब एडीसी इसकी प्ला¨नग से जुड़ी हैं। विभागीय जानकारों की मानें तो तीनों (नगर निगम, नगर पालिका व पंचायती राज) में से कोई भी एजेंसी अपने विकास कार्यो तक का प्रस्ताव भी नहीं दे पाई हैं। अधिकारियों का काम करने का तरीका और गति यही रही तो इस बार भी डी-प्लान की ग्रांट लैप्स हो जाएगी। सरकार डी-प्लान में विकास कार्य कराने के लिए हर साल दो किस्तों में 19 करोड़ रुपये देती है। नगर निगम, नगर पालिका और पंचायती राज विभाग इसकी तीन एजेंसियां होती हैं। 53:47 अनुपात में ग्रांट दी जाती हैं। इसमें 53 प्रतिशत शहरी क्षेत्र यात्री नगर निगम और नगरपालिका समालखा के अंतर्गत खर्च करनी पड़ती है, जबकि बाकी 47 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में खर्च करना होता है। अनिल विज कमेटी के चेयरमैन इसकी कमेटी के चेयरमैन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज हैं। उनकी मंजूरी पर काम होते हैं। उनके पास समय न होने पर डीसी कमेटी की बैठक बुलाकर विकास कार्यो को मंजूर कर सकती हैं। जिले में गत महीने 17.92 करोड़ रुपये की ग्रांट आ गई थी, लेकिन अधिकारी प्रस्ताव तक नहीं बना पाए हैं। सरकार ने पहली बार एक साथ भेजी ग्रांट 9.5 करोड़ की एक किस्त मई या जून में आती है। इसके खर्च होने पर इतने ही पैसे की दूसरी किस्त सितंबर या अक्टूबर महीने में जारी की जाती है। इस बार अक्टूबर में प्रदेश विधानसभा के चुनाव संभावित हैं। अगर ऐसा होता है तो सितंबर में आचार संहिता लग सकती है। सरकार ने विकास कार्य लगातार जारी रखने के लिए दोनों ग्रांट एक साथ जारी कर दी थी। 14 करोड़ की अतिरिक्त ग्रांट दी थी फिर भी 12 करोड़ लैप्स सरकार विकास कार्यो के लिए पैसे की कोई कमी नहीं छोड़ रही, लेकिन अधिकारी काम करने को ही तैयार नहीं हैं। गत वर्ष 19 करोड़ की दो किस्तों में पैसा दिया था। इसके अलावा 14 करोड़ रुपये की एक अतिरिक्त ग्रांट सरकार ने दी थी। अधिकारी 33 करोड़ रुपये की बड़ी राशि आने के बाद भी विकास नहीं करा पाए। इसी ढुलमुल रवैये के चलते 12 करोड़ रुपये 31 मार्च को लैप्स हो गए। लैप्स ग्रांट को किया ट्रांसफर डी-प्लान की ग्रांट 19 करोड़ रुपये मिलती है, लेकिन इस बार 1.08 करोड़ कम मिली है। इसका बड़ा कारण पिछली ग्रांट का पूरा खर्च न करना है। सरकार ने पूरे प्रदेश की लैप्स ग्रांट को दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया। ----------- डी-प्लान की मी¨टग का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। तीनों एजेंसियों से कामों के प्रस्ताव मांगे गए हैं। बिजेंद्र ¨सह, प्रोजेक्ट अधिकारी, पानीपत।

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