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शरीर इतना कमजोर कि चलते-चलते गिर जाते, अब ये हैं Boxing Champion Panipat News

मिलन और गौरव शारीरिक रूप से काफी कमजोर थे। लोग इनका मजाक उड़ाते थे। अब प्रथम सब जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मिलन देशवाल ने कांस्य और शांति नगर के गौरव सैनी ने स्वर्ण पदक जीता।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 12:33 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 06:09 PM (IST)
शरीर इतना कमजोर कि चलते-चलते गिर जाते, अब ये हैं Boxing Champion Panipat News
शरीर इतना कमजोर कि चलते-चलते गिर जाते, अब ये हैं Boxing Champion Panipat News

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। बचपन में शारीरिक रूप से इतने कमजोर थे कि चलते-चलते लड़खड़ाकर गिर जाते थे। लोग उनका मजाक उड़ाते थे। परिजन उनके भविष्य को लेकर चिंतित थे, लेकिन आज लोगों को उन पर गर्व है। हम बात कर रहे हैं बतरा कॉलोनी के मिलन देशवाल (14) और मॉडल टाउन के शांति नगर के गौरव (14) की। रोहतक में एक से आठ जुलाई को हुई प्रथम सब जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में दोनों ने पदक जीतकर जिले का नाम रोशन कर दिया।

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गौरव ने 64 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण और मिलन ने 52 किग्रा में कांस्य पदक जीता। अब गौरव अगस्त में कुवैत में होने वाली प्रथम सब जूनियर एशियन बॉक्सिंग चैंपिनशिप में दमखम दिखाएगा। मिलन का भी इंडिया कैंप में चयन हुआ है। मिलन स्कूल नेशनल और ग्रामीण नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण जीत चुका है। इसके अलावा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी चार गोल्ड मेडलों पर कब्जा किया है। दोनों बॉक्सरों ने दिखा दिया है कि हौसले मजबूत हो तो कठिनाई के पहाड़ को भी आसानी से लांघा जा सकता है।

मिलन को मिला पिता का सहारा
मिलन के पिता पवन देशवाल राज्य स्तर पर बॉक्सिंग खेल चुके हैं। उनकी इच्छा थी कि बेटा भी बॉक्सर बने। लेकिन वह पैरों से इतना कमजोर था कि चलते-चलते गिर जाता था। लोग उस पर हंसते थे। इसलिए पवन उसे अकेले घर से नहीं निकलने देते थे। छह साल पहले बेटे को शिवाजी स्टेडियम में बॉक्सिंग कोच सुनील कुमार के पास ले गया। उन्होंने मिलन को तकनीकी रूप से मजबूत बनाया। साथ ही कोच के सहयोगी स्वतंत्र कुमार ने कई महीनों तक उसके पैरों की मालिश की। आज वही मिलन धुरंधर बॉक्सरों को मात देकर नेशनल चैंपियन बन गया है। 

गौरव ने नहीं की तानों की परवाह 
गौरव के पिता बलराज सैनी की इनवर्टर-बैट्री की दुकान है। उन्होंने बताया कि गौरव दुबला-पतला था। बॉक्सर बिजेंद्र को टीवी पर खेलते देख उसकी इच्छा भी बॉक्सर बनने की थी। पांच साल पहले शिवाजी स्टेडियम में गौरव को कोच के पास छोड़ा। लोगों ने मजाक उड़ाया कि ठीक से तो चला नहीं जाता, बॉक्सर बनेगा। बेटे ने तानों की परवाह नहीं की और कड़ा अभ्यास किया। आज उसकी पहचान राष्ट्रीय चैंपियन के रूप में है।

दोनों बॉक्सरों की ये है ताकत 
बॉक्सिंग कोच सुनील कुमार ने बताया कि मिलन रोजाना सात घंटे अभ्यास करता है। उसमें बहुत सहनशक्ति है। मुकाबला चाहे कितना भी कड़ा हो, वह थकता नहीं है। चलते हुए पीछे मुड़कर विरोधी बॉक्सर को पंच लगाता है। यही खूबी उसे दूसरे बॉक्सरों से अलग करती है। वहीं गौरव का राइट हुक जबरदस्त है। रोहतक में हुई प्रतियोगिता से पांच दिन पहले गौरव को बुखार था। चार दिन उसने अभ्यास भी नहीं किया, लेकिन हिम्मत रखी। इसी जज्बे ने उसे चैंपियन बनाया।


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