जिंदगी बचाने में जमीन बेचता तो परिवार भूखा मरता, मिला आयुष्मान का आशीर्वाद Panipat News
आयुष्मान भारत योजना के तहत किसान को न सिर्फ एक नई जिंदगी मिली बल्कि परिवार भी भूखा रहने से बच गया। इस योजना से किसान का इलाज हुआ।
पानीपत, [राज सिंह]। धन्य हो आयुष्मान भारत योजना, मेरी बायीं टांग का घुटना बदल गया, जमीन भी बिकने से बच गई। छोटा सा किसान हूं, यूं ही कृषि भूमि इलाज के लिए बेचते तो एक दिन रोटी के लाले पड़ जाते। बड़े प्राइवेट अस्पताल में निश्शुल्क सर्जरी मेरी हुई है, लेकिन खुश पूरा परिवार है। पार्क अस्पताल में घुटने का प्रत्यारोपण कराने वाले गांव इंद्रगढ़ करनाल वासी धर्मपाल ने खुशी जाहिर करते हुए ये बातें कहीं।
धर्मपाल ने बताया कि परिवार में दो पुत्र संजीव और राजीव हैं, दोनों के छह बच्चे हैं। बेटे मजदूरी करते हैं। कुछ कृषि भूमि है जिससे परिवार का भरण पोषण हो रहा है। करीब दो साल पहले घुटनों में दर्द होना शुरू हुआ था। असहनीय हुआ तो करनाल के सिविल अस्पताल में जांच कराई।
धर्मपाल।
हड्डी रोग विशेषज्ञ ने दर्द निवारक दवा तो दे दी, पर साथ ही घुटना प्रत्यारोपण के लिए भी कहा। सरकारी अस्पताल में यह सुविधा नहीं थी, प्राइवेट में एक घुटना बदलने के ढाई लाख रुपये मांगे। इतनी रकम का इंतजाम करना मुश्किल था। एकमात्र विकल्प कृषि भूमि बेचना था लेकिन उसके लिए मन नहीं माना। नतीजा, दर्द सहता रहा और दवा खाता रहा। धर्मपाल के मुताबिक जनवरी माह में आयुष्मान भारत योजना का पीएम लेटर घर पहुंचा तो कुछ उम्मीद जगी। पत्र को लेकर करनाल के पार्क अस्पताल पहुंचा, उन्होंने पानीपत भेज दिया। यहां मेरा एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ, चिकित्सकों ने कृत्रिम घुटना लगा दिया। दो माह बाद दूसरे घुटने की सर्जरी भी कराऊंगा।
आयुष्मान भारत योजना को पात्रों के लिए संजीवनी कहा जाए तो गलत नहीं होता। इलाज से ठीक पहले की जांच और बाद की मेडिसिन का खर्च भी योजना में शामिल किया जाए तो मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा।
- डॉ. सचिन इंगोले, हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं सर्जन