इस जमीन के पानी को पीना तो दूर नहाने से डरते हैं यहां के लोग Panipat News
एकता विहार में दूषित पानी से नहाने से त्वचा संबंधी रोग हो रहे हैं। लगातार डाइंग हाउसों के रसायनयुक्त पानी की वजह से जमीनी पानी जहरीला होता जा रहा है।
पानीपत, जेएनएन। डाइंग हाउसों से निकलते रंग-रसायन युक्त पानी ने भूजल को इतना दूषित कर दिया है कि पीना तो दूर यह नहाने लायक भी नहीं है। पानी शरीर पर गिरते ही त्वचा में खुजली होने लगती है। वार्ड-13, ऊझा रोड स्थित एकता विहार कॉलोनी इसका उदाहरण है।
ट्यूबवेल नंबर तीन से करीब 300 घरों में पेयजल आपूर्ति है। अधिकांश घरों में आरओ लगा है। कुछ घरों में सबमर्सिबल का पानी इस्तेमाल होता है। बावजूद इसके यहां के तमाम घरों में त्वचा और पेट रोगी मिलेंगे। मौजूदा और पूर्व पार्षद सहित कॉलोनीवासियों का आरोप है कि उद्योगों का दूषित जल सीधा जमीन में समा रहा है, इस कारण भूजल दूषित हो गया है।
एकता विहार ही नहीं, बल्कि वार्ड के अधिकांश हिस्सों में जन स्वास्थ्य विभाग के ट्यूबवेल से दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। किसी ट्यूबवेल का पानी लाल रंग का हे तो किसी का पीले रंग का। आठ-दस वर्षों में भूजल अधिक दूषित हुआ है। लोग पानी में पहले कैलामाइन लोशन डालते हैं, इसके बाद स्नान करते हैं। शिकायत के बावजूद समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है।
शिव कुमार, पार्षद वार्ड-13
सबसे अधिक दूषित पानी ट्यूबवेल नंबर तीन का है। कॉलोनी में 300 से अधिक घरों में इसकी सप्लाई होती है। पीने के लिए तो इस पानी का कोई इस्तेमाल नहीं करता। सिर्फ स्नान, शौचालय और कपड़े धोने में इसका प्रयोग होता है। नहाने के बाद करीब आधा-पौना घंटा ते शरीर में खुजली होती है। नारियल का तेल, कोई क्रीम या बॉडी लोशन लगाना पड़ता है। कॉलोनीवासी बहुत परेशान हैं।
रामरतन अग्रवाल, पूर्व पार्षद-वार्ड 13
सरकारी ट्यूबवेल के कनेक्शन से हैंडपंप कनेक्ट है। कई माह से दूषित पानी आ रहा है। पानी को स्टील, पीतल के बर्तन में भरकर रख दें तो एक घंटे में ही रंग बदल देता है। बर्तन भी खराब हो जाते हैं। कपड़े धुलाई के बाद हाथ की त्वचा फट जाती है। गलती से कोई इस पानी को पी ले तो उल्टी-दस्त हो जाते हैं।
शकुंतला, स्थानीय निवासी
जन स्वास्थ्य विभाग की ट्यूबवेल से दूषित पानी की सप्लाई हो रही है, सभी जानते हैं। पानी कहां से लाएं, इसलिए मजबूरी में नहाने और कपड़े धोने का काम इसी से हो रहा है। पड़ोसी के घर में सबमर्सिबल लगा हुआ है, वहां से पीने के लिए पानी मांगना पड़ता है।
सुमन, स्थानीय निवासी
सरकारी ट्यूबवेल से रंग-रसायन युक्त पानी की आपूर्ति लंबे समय से हो रही है। कॉलोनी वासी खुजली, उल्टी-दस्त का शिकार हो रहे हैं। हर तीसरे घर में बीमार मिल जाएगा। जन स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं हैं।
जोगेंद्र, स्थानीय निवासी
मेरे घर में करीब 20 किराएदार हैं। सभी को गंदे पानी से नहाने से एलर्जी हो गई है। कुछ तो पानी में दवा डालकर भी स्नान करने लगे हैं। इसी पानी को पीने से पहले उल्टी-दस्त भी हुए थे। सरकार ट्यूबवेल तो लगा देती है, उसका पानी पीने लायक है या नहीं, इसकी जांच नहीं करती।
मुन्नी, स्थानीय निवासी
दूषित पानी में स्नान करने से पहले शरीर में खुजली होती थी, कुछ देर बाद स्वत: कम हो जाती थी। अब तो दवा खाने भी खुजली ठीक नहीं हो रही है। मेरे पुत्र राहुल और जसबीर को भी यही रोग हो गया है। सभी अपना इलाज करा रहे हैं। उद्योगों से दूषित जल जमीन में जा रहा है, वही ट्यूबवेल और पंप के जरिए बाहर आ रहा है।
करण सिंह, स्थानीय निवासी
तेज गर्मी से शरीर में खुजली होती है। स्नान के बाद खुजली हो रही है तो पानी रसायन युक्त हो सकता है। पानी में कुछ लोग डिटोल डालकर उससे स्नान करते हैं, यह तरीका गलत है। कैलामाइन नाम का लोशन आता है, उसे पानी में डाल सकते हैं। शरीर पर दाने, लाल चकते हैं तो स्किन विशेषज्ञ को जरूर दिखाएं।
डॉ. राज रमन, त्वचा रोग विशेषज्ञ।