डीसी से हाथ जोड़कर बोले ग्रामीण, गो-अभयारण्य को गोद ले लो मैडम
डीसी ने भी मारा नहले पे दहला बोलीं- इसे तो अब पूरे पानीपत ने अपना लिया है डॉक्टरों संग अभयारण्य पहुंचीं सुमेधा कटारिया आवास और टंकी निर्माण कार्य का किया शिलान्यास।
पानीपत [राज सिंह] : नैन गांव स्थित गो-अभयारण्य का दृश्य कुछ बदला-बदला दिखा। शेड को झाडू मारकर साफ-सुथरा किया गया था। जेसीबी से परिसर में साफ-सफाई कराई गई थी। हो भी क्यों नहीं, डीसी सुमेधा कटारिया को वहां पहुंचना था। सुबह 9:50 बजे जैसे ही डीसी सरकारी गाड़ी से उतरीं, उन्हें बैठने भी नहीं दिया, इससे पहले ही जिला गोशाला संघ के प्रधान राजरूप पानू सहित कई ग्रामीण हाथ जोड़कर बोले, मैडम आप इस गोशाला को गोद ले लो। डीसी ने भी नहले पे दहला अंदाज में जबाव दिया कि इसे तो अब पूरे पानीपत ने अपना लिया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए), पानीपत की अध्यक्ष डॉ. अंजली बंसल, सचिव डॉ. मोहित आनंद, डॉ. रितेश आनंद और पूर्व अध्यक्ष डॉ. गौरव श्रीवास्तव सुबह गो-अभयारण्य में बनने वाले शेड के लिए सीमेंट की 580 चादरें (शीट) लेकर पहुंचे थे। इनकी कीमत करीब 2.80 लाख रुपये बताई गई। डॉक्टरों के आग्रह पर ही डीसी भी अभयारण्य पहुंचीं थीं। डीसी ने यहां भूमि पूजन करते हुए टंकी और परिसर में बनने वाले लेबर क्वाटरों की आधारशिला रख दी।
उन्होंने कहा कि अभयारण्य में पैसा तो शहर वाले दे देंगे। आसपास के गांवों के युवा इससे जुडे़ं, गोवंश की सेवा के लिए कुछ समय निकालें। इस मौके पर एसडीएम वीना हुड्डा, सुरेंद्र कुमार, बलवान राठी, मदन, राजबीर, लक्ष्मण शर्मा, लीला राम और सरपंच विक्रम आदि मौजूद रहे।
जब भावुक हो गई डीसी
31 हजार लीटर की बनने वाली टंकी और लेबर क्वार्टर की आधारशिला रखते समय डीसी कुछ देर के लिए भावुक भी हो गईं। उन्होंने कहा कि गो-अभयारण्य निर्माण के लिए नैन गांव का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। आसपास गांवों और शहर से जो सहयोग मिल रहा है उसने साबित कर दिया कि पानीपत में दानियों की कमी नहीं है। डीसी ने डिमांड लिखाकर जल्द पूरा करने का दिया निर्देश प्रधान राजरूप पानू ने परिसर में सोलर लाइट और सीसीटीवी कैमरे लगवाने, अभयारण्य की कमेटी बनाकर बैंक खाता खुलवाने, संस्था का रजिस्ट्रेशन, सड़क पर स्पीड ब्रेकर बनवाने और पानी की नाली में पाइपलाइन डलवाने की मांग की। डीसी ने मौके पर ही बीडीपीओ प्रीतपाल को निर्देश दिए कि डिमांड लिखते रहें और जितना जल्द हो सके पूरा भी कराएं। शाहपुर के मास्टर हरदयाल और वहां बैठे जगदीश ने भी गो-अभयारण्य की कमेटी जल्द गठन करने की मांग दोहराई।
पांच एकड़ में बनेगा डॉग हाउस
गो-अभयारण्य के प्रति लोगों का सेवाभाव देखते हुए डीसी सुमेधा कटारिया ने कहा कि हमें एक डॉग हाउस भी बनाना है। इसके लिए पांच एकड़ भूमि चाहिए। आसपास गांव की कोई पंचायत भूमि दान में दे तो यह उत्तर भारत का सबसे अच्छा डॉग हाउस बन सकता है। इसमें शहर और देहात के लावारिस कुत्तों को लाकर रखा जाएगा, ताकि वे भूखे-प्यासे न रहें। किसी को काटकर घायल भी न करें। इसराना के दो ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत में इस प्रस्ताव को रखने का आश्वासन दिया।
सेवा के साथ होती रही तकरार
गो-अभयारण्य के हित में कुछ ग्रामीण डीसी के सामने ही सलाह देने लगे। यह बात राजरूप पानू को अखर गई। उनकी दो ग्रामीणों से जमकर बहस हुई। वहां मौजूद लोगों ने दोनों को शांत कराया। इसके बाद शाहपुर के एक बुजुर्ग ने पानू से कहा कि किसी से कहो कि मुझे गांव छोड़ आए। इसे लेकर फिर पानू भड़क गए कि मैं गोवंश की सेवा के लिए हूं, यहां आने वाले लोग अपने वाहन से घर जाएं।
तमाम कोशिशों के बाद भी खुल गई पोल
बीमार गोवंश गोशाला कमेटी ने साफ-सफाई और गोवंश की देखरेख का पूरा प्रयास किया लेकिन छोटी गोशाला में बंधे बीमार गोवंश ने पोल खोल दी। करीब 10 गोवंश गंभीर रूप से बीमार हैं। इन्हें अलग शेड में रखा गया है। चोट लगने के कारण एक बछड़ा धूप में पड़ा दिखा। उसे उठाने वाला कोई नहीं था। इसके अलावा करीब 50 गोवंश ऐसे भी हैं जिनका इलाज चल रहा है।
पानी की हौद हुई लीक
अभयारण्य परिसर में ग्राम पंचायत की मदद से करीब 25 फीट लंबी पानी की हौद बनवाई गई है। दो दिन पहले ही उसमें पानी भरा गया है, लेकिन दो स्थानों पर उससे पानी रिसता दिखा। पानू ने बताया कि ठेकेदार को मरम्मत के लिए कहा गया है। भूसा रखने के लिए नहीं गोदाम अप्रैल माह में अभयारण्य का गोवंश चारा-पानी को मोहताज था, अब इतना भूसा दान में आ चुका है कि उसे रखने के लिए जगह नहीं है। भूसा खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है। हाल ही में हुई बरसात से यह भूसा खराब भी होने लगा है।
इन्होंने गोशाला की मदद को बढ़ाया हाथ
- शादी की वर्षगांठ पर भेंट की पानी की टंकी इसराना निवासी राजपाल जागलान ने शादी की 50वीं वर्षगांठ पर अभयारण्य परिसर में 31 हजार लीटर की पानी की टंकी बनवाने की घोषणा की।
- श्री सीमेंट प्लांट से मिले 250 कट्टे श्री सीमेंट लिमिटेड, यूनिट पानीपत ने भी सामाजिक उत्तरदायित्व कार्य के तहत गो-अभयारण्य के लिए सीमेंट के 250 कट्टे दान किए।
इसी संदर्भ में डीसी ने भी कहा कि शेड या अन्य निर्माण कार्य के लिए ईंटें, रेत, कोरसेंड और लोहे की कमी नहीं होने दी जाएगी। अन्य बड़ी कंपनियों से भी मदद मांगी जाएगी।
ये चल रहे हैं निर्माण कार्य
- अभयारण्य की भूमि को समतल किया जा रहा है।
- बाउंड्री वॉल पर छह लेन तारबंदी की जा रही है।
- तीन लेबर क्वार्टर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।
- पहले से बने शेड की चौड़ाई बढ़ाई जा रही है।
- 22 लाख से लगने वाले ट्यूबवेल का सामान आ चुका है।
- हरियाली के लिए पौधरोपण कार्य चल रहा है।
यह दिखी बड़ी खामियां
- चारदीवार तैयार नहीं, जंगली कुत्ते घुस आते हैं।
- चारदीवारी के साथ पेड़ों का नामोनिशान नहीं था।
- जगह-जगह बहुत पहले होना जाना चाहिए था पौधरोपण।
- भूसा के लिए गोदाम पर्याप्त नहीं है, खुले में पड़ा ढेर।
- अनाज के लिए नहीं बनाया गया गोदाम।
- चारा उगाने की नहीं सुध, भूमि पड़ी है वीरान।
सभी गोवंश की टैं¨गग नहीं हुई।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप