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14 महीने में 16 फीसद बने गोल्डन कार्ड, तीन लाख से अधिक वंचित

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना जिले में 15 अगस्त 2018 को लागू हुई थी। 23 सितंबर 2018 को योजना की अधिकारिक शुरुआत की गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 06:33 AM (IST)
14 महीने  में 16 फीसद बने गोल्डन कार्ड, तीन लाख से अधिक वंचित
14 महीने में 16 फीसद बने गोल्डन कार्ड, तीन लाख से अधिक वंचित

जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना जिले में 15 अगस्त 2018 को लागू हुई थी। 23 सितंबर 2018 को योजना की अधिकारिक शुरुआत की गई। जिले में करीब पौने चार लाख पात्रों का गोल्डन कार्ड बनना है। अभी तक मात्र 16 फीसद (लगभग 60 हजार) के ही कार्ड बन सके हैं। तीन लाख से अधिक पात्र योजना के लाभ से वंचित हैं।

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केंद्र सरकार ने सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना-2011 को आधार मानकर योजना को लागू किया था। जिले के 75 हजार 392 परिवारों को योजना में शामिल किया गया था। इन परिवारों के हर सदस्य (लगभग पौने चार लाख)का गोल्डन कार्ड बनना है। उसी से पात्र पैनल वाले सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में निश्शुल्क इलाज करा सकता है। सिविल अस्पताल में खुला आयुष्मान मित्र काउंटर, जिले के कॉमन सर्विस सेंटर, सरल केंद्र और प्राइवेट अस्पताल मिलकर लगभग 60 हजार पात्रों के ही गोल्डन कार्ड बना सका है। गोल्डन कार्ड वितरण में योजना से जुड़े अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग ग्राम सरपंचों-पंचों, आशा-आंगनबाड़ी वर्कर्स, एएनएम की सेवाएं भी नहीं ले सका है।

गोल्डन कार्ड न बनाने वाले प्राइवेट अस्पतालों को पैनल से बाहर करने में भी परहेज है। हालात ऐसे ही रहे तो कार्ड बनाने में अभी पांच साल और लग जाएंगे। जागरण की सीख :

-आशा-आंगनबाड़ी वर्कर्स, एएनएम पात्रों को जागरूक करें।

-कॉमन सर्विस सेंटर संचालक गांव-गांव जाकर कार्ड बनाएं।

-पैनल वाले अस्पतालों की जबावदेही तय होनी चाहिए।

-किसी प्राइवेट एजेंसी को भी ठेका दिया जा सकता है।

-धार्मिक स्थलों, चौपालों पर शिविर लगाए जाएं।

-गोल्डन कार्ड न बनाने वाले अस्पताल पैनल से बाहर हों। ईएसआइ अस्पताल शून्य पर :

सिविल अस्पताल, ईएसआइ अस्पताल सहित आठ सरकारी और 33 प्राइवेट(कुल 45)अस्पताल पैनल में हैं। अभी तक 1701 मरीज 2.57 करोड रुपये का फ्री इलाज करा चुके हैं। सिविल अस्पताल में 60 मरीजों ने साढ़े पांच लाख रुपये का इलाज कराया है। ईएसआइ अस्पताल तो अभी तक हेल्प डेस्क तक नहीं बना सका है। वर्जन :

गोल्डन कार्ड बनाते समय पात्र का केवाइसी जरूरी है।इसके लिए पात्र को आयुष्मान मित्र काउंटर,

कॉमन सर्विस सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर और सरल केंद्र पहुंचना होगा। आशा-आंगनबाड़ी वर्कर्स, एएनएम, अस्पतालों के प्रतिनिधि और सेंटर संचालकों की बैठक बुलाई जाएगी।

डॉ. नवीन सुनेजा, जिला नोडल अधिकारी, आयुष्मान भारत।


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