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मासूम बच्ची की दर्द भरी जिंदगानी, छोटी उम्र में ई-रिक्शा चला पाल रही परिवार का पेट Panipat News

इतनी कम उम्र बच्ची को ई-रिक्शा पर सवारियां ढोते देख लोग चौंक उठते हैं। चार महीने पहले पिता का निधन होने के बाद पिता का ई-रिक्शा चला परिवार को संभाल रही है तेरह साल की कोमल।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 11:17 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 03:11 PM (IST)
मासूम बच्ची की दर्द भरी जिंदगानी, छोटी उम्र में ई-रिक्शा चला पाल रही परिवार का पेट Panipat News
मासूम बच्ची की दर्द भरी जिंदगानी, छोटी उम्र में ई-रिक्शा चला पाल रही परिवार का पेट Panipat News

पानीपत, [अरविंद झा]। नाम कोमल। उम्र महज 13 साल। ई-रिक्शा का हैंडल संभाले देखकर जब भी कोई सवाल पूछता है, तो जुबां भले ही खामोश रहे, नम आंखें उसकी दास्तां बयां कर देती है। खेलने और पढऩे की उम्र में कोमल का सामना जिंदगी की कठोर कठिनाइयों से है। चार महीने पहले पिता का निधन हो गया। अब पिता का ई-रिक्शा चलाकर परिवार को संभालने की जिम्मेदारी कोमल के कंधों पर है।

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ई-रिक्शा चलाते वक्त पिता का चेहरा रह-रहकर कोमल के जेहन में कौंधता है। हालांकि वह जानती है कि अब वह कभी पिता की सूरत देख नहीं पाएगी। पिता कंवरपाल की मौत के बाद घर का खर्च एक बड़ी चुनौती थी। कोमल ने पढ़ाई के साथ-साथ पिता के ई-रिक्शा को ही जरिया बनाया और जिंदगी की डगर पर निकल पड़ी। 

कुटानी रोड में एक छोटा सा मकान
मूलरूप से रामपुर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला कोमल का परिवार हरियाणा के पानीपत में कुटानी रोड पर एक छोटे से मकान में बसर करता है। परिवार में मां सुमन, दो बहनें और एक भाई है। घर के पास ही मौजूद राजकीय प्राथमिक पाठशाला से कोमल ने मार्च 2019 में पांचवीं की परीक्षा पास की। 

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पिता के साथ जाती थी ई रिक्शा पर
अप्रैल में पिता ने घर से पांच किलोमीटर दूर जीटी रोड राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल में कक्षा छह में दाखिला करा दिया। ई-रिक्शा पर सवारी बिठाने से पहले कंवरपाल कोमल को स्कूल छोड़ देते थे। पिता के बगल में बैठी कोमल को ई-रिक्शे पर बैठकर स्कूल जाना अच्छा लगता। सिलसिला चल ही रहा था कि पिता को अचानक सांस की तकलीफ होने लगी। मई में वह दुनिया को अलविदा कह गए।

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स्कूली छात्राओं को लेकर जाती है
कोमल बताती है, दो बहनों की शादी पिता के रहते ही हो गई थी। पिता की मौत के बाद घर में वही सबसे बड़ी थी। इसलिए घर का खर्च चलाने की जिम्मेदारी उसी ने उठा ली। पिता ई-रिक्शा चलाते थे तो उसने भी ई-रिक्शा को ही कमाई का जरिया बना लिया। अब सुबह व दोपहर को स्कूली छात्राओं को लाने-ले जाने के अलावा वह आसपास के क्षेत्र की सवारियां भी बिठाती है। इससे रोज के करीब 100 से 150 रुपये की कमाई हो जाती है। इसी से घर का खर्च भी चल रहा है। मां पढ़ी लिखी नहीं है, इसलिए वह घर का ही काम करती है।

घर का कामकाज भी संभालती
मां सुमन का कहना है कि पति की मौत के बाद कोमल परिवार का सहारा बनी। सुबह उठकर घर का कामकाज भी संभालती है। स्कूल भी जाती है और ई-रिक्शा भी चलाती है। इस छोटी सी उम्र में उसे इस बड़ी जिम्मेदारी को निभाने में कितनी ही परेशानी आई, मगर कभी घबराई नहीं। पानीपत स्थित मॉडल संस्कृति स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका सुनीता के अनुसार छठी कक्षा की छात्रा कोमल पढ़ाई में अव्वल है। गणित के सवालों को चंद सेकंड में हल कर लेती है। दूसरी छात्राएं कोमल से प्रेरणा लेती हैं। 

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