अंबाला का 124 साल पुराना शिवमंदिर बना आस्था का केंद्र, कांवड़िए चढ़ाते गंगाजल
अंबाला : खटीक मंडी स्थित 124 साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में विशेष श्रद्धा है। श्रावण मास में भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।
जासं, अंबाला : खटीक मंडी स्थित 124 साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में विशेष श्रद्धा है। सावन के महीने में श्रद्धालुओं का यहां दिनभर तांता लगता रहता है।
बस स्टैंड से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदिर में आज भी पुराने जमाने की झलक दिखती है। पहले महज केवल शिवालय स्थापित था। धीरे-धीरे मंदिर में पहुंचने वाले भक्तों की संख्या को देखते हुए अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित की गई। आज मंदिर में शिव¨लग सहित देवी-देवताओं के नौ स्वरूप विराजमान है। माना जाता है कि पहले समय में साधु संत मंदिर के अंदर तप किया करते थे। उसी का फल है कि आज भी मंदिर के प्रति लोगों की अधिक मान्यता है।
इतिहास
प्राचीन शिव मंदिर की स्थापना 1894 में हुई थी। मान्यता है कि ऋषि मुनियों ने तप के लिए यह जगह चुनी थी और पूजा अर्चना के लिए शिव¨लग स्थापित किए थे। उस समय आसपास अधिकतर जंगल था। काफी दूरी पर जाकर शिव मंदिर हुआ करता था। जैसे-जैसे मंदिर के आसपास आबादी बढ़ती चली गई तो भक्तों के सहयोग से मंदिर को बढ़ाया गया। शिवालय के मुख्य द्वारा पर चाइना से मंगवाई गई टाइलें भी लगी हुई है। शिवरात्रि व सावन के अलावा भी मंदिर में हर त्योहार पर दूरदराज से भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है।
तैयारियां
सावन माह के अंदर मंदिर में सुबह व शाम को भक्तों का नंगे पैरा आकर जलाभिषेक करने का जमावड़ा लगा रहता है। श्रद्धाभाव के साथ पूजा अर्चना कर श्रद्धालु मन्नतें मांगते हैं और उन्हें मनचाहा फल प्राप्त होता है। सुबह के समय जलाभिषेक के दिन से रोजाना भव्य आरती और सावन की कथा आरंभ होती है। शाम के समय महिला मंडली द्वारा भजनों का गुणगान होता है। अन्य त्योहारों पर भी मंदिर में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते। 10 साल से वह मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे। पूरे इलाके के लोगों में मंदिर के प्रति आस्था कूट-कूट कर भरी है। मंदिर में चाहे छोटे से छोटा कार्यक्रम क्यूं न हो भक्त शिव¨लग सहित मंदिर में माथा टेकना नहीं भूलते। कई तो भोले बाबा के चमत्कार तक देख चुके है और मनचाहा फल भी पा चुके। मंदिर की चौखट पर कोई भी श्रद्धाभाव, सच्ची लग्न के आता है तो वह खाली हाथ नहीं लौटता।
दिनेश प्रोहित, मंदिर पुजारी, प्राचीन शिव मंदिर अंबाला छावनी।
केवल आसपास से ही नहीं दूरदराज से भी भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते है। सावन माह के अंदर तो कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिव¨लग पर चढ़ाते हैं और कांवड़ियों की कतारें लगती है। कमेटी व भक्तों के सहयोग से समय-समय पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं।
भोला राम नागर, प्रधान, मंदिर कमेटी छावनी।