महिलाओं की बेरुखी नहीं बढ़ने दे रही वोट फीसद, जानें कब कितनों ने किया मतदान
चुनाव आयोग के तमाम प्रयासों के बावजूद लोकतंत्र के महापर्व में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ने का नाम नहीं ले रही।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। चुनाव आयोग के तमाम प्रयासों के बावजूद लोकतंत्र के महापर्व में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ने का नाम नहीं ले रही। हरियाणा गठन के बाद पहले आम चुनाव में जहां सिर्फ सवा छह लाख महिलाएं वोट नहीं डाल पाईं थी, वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में ऐसी महिलाओं का आंकड़ा 22 लाख के पार कर गया। महिलाओं की चुनाव प्रक्रिया से दूरी का परिणाम है कि प्रदेश में कभी मतदान का ग्राफ तीन चौथाई से अधिक नहीं हो पाया।
प्रदेश में अधिकतम मतदान का रिकॉर्ड 73.26 का है जो आपातकाल के बाद वर्ष 1977 के लोकसभा चुनावों में बना था। तब महिलाओं ने जमकर वोटिंग में हिस्सा लिया और करीब 27 लाख महिला मतदाताओं में से 19 लाख ने वोट डाले। इसके बाद लगातार मतदान में महिलाओं की भागीदारी घटती चली गई।
इतना ही नहीं, पिछले 40 वर्षो में केवल पांच महिलाएं ही नौ बार लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार कर पाई हैं। वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों की टिकट के बल पर। निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद का मुंह नहीं देख पाई। कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा, कैलाशो सैनी (तब इनेलो) और श्रुति चौधरी तथा भाजपा की सुधा यादव ही हरियाणा गठन के बाद इस दौरान लोकसभा में पहुंच पाईं।