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विश्‍व सुुंदरी मानुषी के कहने पर हरियाणा सरकार का नया प्रयोग, जानें पूरा मामला

हरियाणा सरकार ने विश्‍व सुंदरी मानुषी छिल्‍लर के आग्रह पर नए प्रयोग की तैयारी की है। इसके तहत पैडमैन की तर्ज पर महिला स्‍वयं समूल के माध्‍यम से सस्‍ते सेनेटरी नेपकिन तैयार होंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 10 Jan 2018 02:36 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jan 2018 07:16 PM (IST)
विश्‍व सुुंदरी मानुषी के कहने पर हरियाणा सरकार का नया प्रयोग, जानें पूरा मामला
विश्‍व सुुंदरी मानुषी के कहने पर हरियाणा सरकार का नया प्रयोग, जानें पूरा मामला

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। महिलाओं के लिए सस्ते सेनेटरी नेपकिन बनने वाले पैडमैन की तर्ज पर हरियाणा की महिलाएं काम करती दिखाई देंगी। महिलाओं के लिए सस्ते नेपकिन बनाने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता ग्रुपों को सौंपने की तैयारी है। दो-दो ब्लॉक में चार महिलाओं के ग्रुप बनाकर सेनेटरी नेपकिन बनाने की इकाइयां स्थापित करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। यह कदम हाल ही में विश्‍व सुंदरी बनीं मानुषी छिल्‍लर के आग्रह पर उठाया है।

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पैडमैन की तर्ज पर महिला समूह बनाएंगे सस्ते सेनेटरी पैड

बता दें कि पिछले दिनों विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर के आग्रह पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले दिनों स्कूली लड़कियों व गरीब महिलाओं को सरकार की तरफ से मुफ्त नेपकिन देने की घोषणा की थी। बाजार में चूंकि यह नेपकिन काफी महंगे होते हैैं, इसलिए सस्ते नेपकिन बनाने की योजना तैयार की गई। इसके बाद सरकार ने स्वयं सहायता समूहों को नेपकिन बनाने के काम से जोड़ने की मुहिम शुरू की है, ताकि उन्हें रोजगार भी मिल सके।

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प्रदेश सरकार की योजना ब्लॉक स्तर पर ही सेनेटरी नेपकिन बनवाने की है। इसके लिए स्वयं सहायता ग्रुपों को निजी कंपनियों के सहयोग से दस-दस लाख रुपये तक की मशीनें अनुदान पर दिलाई जाएंगी। यह मशीनें प्रतिदिन 15 हजार पैड तक बनाने में सक्षम होंगी। प्रदेश में करीब 20 लाख महिलाओं और किशोरियों के लिए हर महीने 80 लाख सेनेटरी नेपकिन की जरूरत होती है। ऐसे में पूरे प्रदेश में 40 ऐसी इकाइयों की आवश्यकता होगी जो हर दो ब्लॉकों में एक इकाई के रूप में काम करे।

हर दो ब्लॉक में चार-चार महिलाओं के ग्रुप बनाने की तैयारी, मशीनों पर मिलेगा अनुदान

इसके अलावा कुछ महिला उद्यमियों को व्यक्तिगत स्तर पर 65 हजार रुपये तक की मशीनों के जरिये सस्ते नेपकिन बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उत्पादन शुरू करने के लिए महिलाओं को केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के जरिये बैंक ऋण दिलाया जाएगा।

चार करोड़ खर्च कर सभी महिलाओं को सुरक्षा कवच

नई मुंबई स्थित कंपनी सरल डिजाइन 5.80 रुपये में नेपकिन मुहैया करा रही है और इसमें उसके समेत विक्रेताओं के लाभ भी शामिल हैं। चूंकि हरियाणा में नेपकिन बनाने के लिए जरूरी कपास और लकड़ी का गुदा पर्याप्त मात्रा में है, ऐसे में प्रति पैड लागत चार रुपये तक रहेगी।

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प्रत्येक यूनिट के लाभ के रूप में निश्चित हिस्सा तय कर सरकार इनकी खरीद कर सकती है। उत्पादन इकाइयों की पहचान के लिए कोई उपयुक्त नाम या यूनिट नंबर दिया जाएगा। इस तरह हर महीने करीब चार करोड़ रुपये खर्च कर पूरे प्रदेश में महिलाओं की निजी स्वच्छता सुनिश्चित की जा सकेगी। इससे महिला रोगियों में गिरावट आएगी और स्वास्थ्य बजट पर कम खर्च होगा।

पैडमैन की ये है असली कहानी

बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की आगामी फिल्म पैडमैन 25 जनवरी को रिलीज होनी है जो अरुणाचलम मुरुगननाथम की जिंदगी पर आधारित है। तमिलनाडु के कोयंबटूर निवासी अरुणाचलम ने लंबे संघर्ष के बाद सेनेटरी नेपकिन बनाने के लिए दुनिया की सबसे सस्ती मशीन बनाई।

नेशनल इनोवेशन अवॉर्ड की 943 एंट्रीज में उनकी मशीन को पहला स्थान मिला। उन्होंने 18 महीनों में 250 मशीनें बना डाली। वर्ष 2014 में उन्हें टाइम्स मैगजीन ने 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में चुना और 2016 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। आज वह जयश्री इंडस्ट्रीज से नेपकिन बिजनेस चला रहे हैं। इसकी पूरे देश में 2003 यूनिट हैं और इनमें 21 हजार से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं।

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