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मुश्किल में आधी आबादी, महिलाएं न दहलीज के भीतर सुरक्षित और न बाहर

हरियाणा में महिलाओं के प्रति अपराध में लगातार वृद्धि हो रही है और लाख प्रयासाें के बावजूद इसमें कमी नहीं हो पा रही है। हालत यह है कि महिलाएं आज न तो अपने घर में सु‍रक्षित हैं और न बाहर।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 10:08 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 10:08 AM (IST)
मुश्किल में आधी आबादी, महिलाएं न दहलीज के भीतर सुरक्षित और न बाहर
मुश्किल में आधी आबादी, महिलाएं न दहलीज के भीतर सुरक्षित और न बाहर

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में महिलाएं न तो घर के बाहर सुरक्षित हैैं और न ही उन्हें घर में चैन से रहने दिया जा रहा है। पिछले चार सालों में राज्य में हजारों महिलाएं न केवल घर की दहलीज के भीतर प्रताडि़त की गई, बल्कि घर के बाहर भी उन्हें छेड़छाड़, अपहरण तथा दुष्कर्म की घटनाओं का सामना करना पड़ा है। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध रोकने को बनाए गए पुलिस थानों के बावजूद इनमें खास सुधार नहीं आ पाया है।

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राज्य में बढ़ रहे दहेज उत्पीडऩ, हत्या, दुष्कर्म, अपराध और छेड़छाड़ के मामले

पुलिस की दलील है कि महिलाओं के प्रति होने वाले हर छोटे बड़े अपराध की प्राथमिकी दर्ज की जाने लगी, इसलिए अपराध का आंकड़ा बढ़ा हुआ महसूस हो रहा है। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में भी राजनीतिक दलों ने महिलाओं की सुरक्षा पर अपनी चिंता जाहिर की थी। गोहाना से कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक ने यह मुद्दा उठाया था।

हरियाणा में महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना प्रत्येक राज्य सरकार के लिए बरसों से चुनौती रहा है। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर राज्य सरकारें अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहती हैैं। पिछली हुड्डा सरकार में महिलाओं के प्रति हुए दुष्कर्म के करीब एक दर्जन मामले सुर्खियों में रहे, जबकि यही स्थिति मौजूदा मनोहर सरकार में है। रेवाड़ी और फरीदाबाद सामूहिक दुष्कर्म के आरोपितों को पकड़ा जा चुका है, लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा कि क्या वाकई महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिल पा रहा है।

विधानसभा में प्रदेश सरकार ने खुद माना कि राज्य में महिला थाने खुलने के बावजूद महिलाओं के प्रति अपराध में खास कमी नहीं आई है, लेकिन साथ ही यह भी जानकारी दी कि अब महिलाओं की हर शिकायत को गंभीरता से लेकर उसे थाने में दर्ज किया जाने लगा है। इससे अपराध का आंकड़ा तो बढ़ा है लेकिन वास्तव में अपराध कम हुए हैैं।

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दहेज उत्पीड़न के मामलों में नहीं आ रही कमी

हरियाणा में महिलाएं आज भी दहेज उत्पीडऩ का शिकार हैैं। सितंबर 2014 से सितंबर 2017 के बीच चार सालों में दहेज उत्पीड़न की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। पहले साल 3408, दूसरे साल 3341, तीसरे साल 3493 और चौथे साल सितंबर माह तक 2896 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैैं। दहेज नहीं देने के कारण इन चार सालों में महिलाओं की मौत के मामलों में भी कमी नहीं आई है। पहले साल 260, दूसरे साल 253, तीसरे साल 254 और चौथे साल सितंबर 2017 तक 202 महिलाएं दहेज हत्या का शिकार हुई हैैं।

महिलाओं के अपहरण के मामलों में बढ़ोतरी

हरियाणा में महिलाओं के अपहरण के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैैं। पहले साल 1664, दूसरे साल 2330, तीसरे साल 3055 और चौथे साल सितंबर 2017 तक 3494 महिलाओं अथवा लड़कियों के अपहरण हुए हैैं। अपहरण के इन मामलों से राज्य पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैैं।

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दुष्कर्म की घटनाओं ने भी किया शर्मसार

प्रदेश में महिलाओं के प्रति दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सितंबर 2014 से सितंबर 2017 तक पहले साल 961, दूसरे साल 1026, तीसरे साल 1193 और चौथे साल 1413 दुष्कर्म के केस दर्ज किए गए हैैं। इसी तरह पहले साल छेड़छाड़ के 1853, दूसरे साल 1774, तीसरे साल 1991 और चौथे साल 2320 मामले पुलिस थानों में दर्ज हुए हैैं।

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