जोगिया सब जानता है: दीपेंद्र के सिर पर आखिर कौन सा मुकुट, पढ़ें हरियाणा सियासत की रोचक खबरें
जोगिया सब जानता है हरियाणा की सियासत में नेताओं रंग कब बदल जाएं और वे कब पाला बदल लें यह कहना मुश्किल है। इससे कई बार रोचक मामले व उदाहरण सामने आते हैं। पेश है हरियाणा की सियासत के कुछ खास रंग।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। बीते वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले 11 सितंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जन आशीर्वाद यात्रा के हिसार के बरवाला में स्थानीय नेता हर्षमोहन भारद्वाज के साथ हुआ फरसा कांड देश भर में चॢचत हो गया था। दरअसल, जन आशीर्वाद यात्रा में हर्षमोहन पीछे से मुख्यमंत्री को चांदी का मुकुट पहनाना चाहते थे। इस दौरान भेंट में मिला फरसा हाथ में लिए मुख्यमंत्री का ध्यान कहीं और था। उन्हेंं गुस्सा आ गया। इस घटना की वीडियो क्लिप वायरल हो गई।
अब हर्षमोहन भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। हर्षमोहन यह भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने उनका अपमान किया था। मगर लोग कह रहे हैं कि यदि अपमान हुआ था तो एक साल से अधिक समय तक आप भाजपा में रहकर क्यों हॢषत होते रहे। वैसे तो लोग यह भी कह रहे हैं हर्षमोहन जो मुकट मुख्यमंत्री को पहनाना चाहते थे, वही दीपेंद्र को पहना दिया है।
बिल्लू भइया का फंडा क्लीयर है
प्रदेश में बिल्लू भइया बोले तो साफ है कि इनेलो विधायक अभय चौटाला की बात हो रही है। अब बिल्लू भइया की बात चली है तो बता दें कि जो बात बिल्लू कह देते हैं, वह पत्थर की लकीर होती है। इस समया बरोदा उपचुनाव की धूम है। इस सीट से 2009 और 2014 में इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़े डाक्टर कपूर चंद नरवाल इनेलो छोड़कर पहले जननायक जनता पार्टी और फिर भाजपा में चले गए।
यह उपचुनाव आया तो उन्होंने कांग्रेस से टिकट मांग लिया मगर टिकट न भाजपा और न ही कांग्रेस से मिला। निर्दलीय ताल ठोकी मगर अब पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को संरक्षक मानते हुए नामांकन वापस ले लिया। इससे पहले चर्चा यह भी थी कि नरवाल इनेलो में जाएंगे, मगर तब बिल्लू भइया ने स्पष्ट कर दिया था कि दूसरे दलों से आने वालों का सम्मान तो वह करते हैं मगर टिकट नहीं देते।
डीसी की डांट खाने वाला अधिकारी
राज्य सरकार के ताजा निर्णय के अनुसार अब सभी 22 जिलों में जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) नियुक्त होंगे। इससे क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) सचिव का पद राज्य में खत्म हो जाएगा। इतना ही नहीं अब तक जिले में आरटीए सचिव का अतिरिक्त पदभार संभाल रहे अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) इस कार्यभार से मुक्त हो जाएंगे। शासन के इस ताजा आदेश से एडीसी पदों पर तैनात अधिकारियों की रातों की नींद खराब हो गई। इनमें से कुछ अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं के पास दौड़ लगाने लगे।
एक अधिकारी ने तो अपने राजनीतिक आका के पास अपना पक्ष रखते हुए कहा कि साहब उनकी 16 साल की सॢवस हो गई। अब एडीसी रहकर क्या करेंगे। एडीसी के पास न तो ग्रामीण विकास अभिकरण के तहत विकास कार्य हैं और न ही कुछ और कार्य हैं। एडीसी को तो अब सिर्फ और सिर्फ अपने बास उपायुक्त (डीसी) की डांट खाने वाला अधिकारी ही कहा जाने लगेगा।
उपजाऊ भूमि में बंजर विकास
यूं तो सूबे में सत्ता विधायकों के दम पर बनती है मगर सत्ता की जड़ें मजबूत करने के लिए शासन की तरफ से विधायकों को भी लाभ के पद दिए जाते हैं। असल में अब मंत्रियों के पद तो सीमित हैं। ऐसे में विधायकों को निगम-बोर्ड का चेयरमैन बनाया जाता है। मनोहर लाल सरकार ने 14 चेयरमैन नियुक्त किए। इनमें से एक विधायक ने तीन कृषि कानून लागू किए जाने के विरोध में चेयरमैन पद स्वीकार नहीं किया। बकाया 13 चेयरमैन में एक पद पर अवश्य नजर टिकती है।
यह पद है बंजर भूमि सुधार एवं विकास निगम। इसके चेयरमैन होडल से भाजपा विधायक जगदीश नायर को बनाया है। नायर पहले भी दो बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं। अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। इस पद से नायर खुश हैं, मगर यह जरूर कहते हैं कि उपजाऊ भूमि के व्यक्ति को बंजर पद मिला है।