डेढ़ साल का इंतजार खत्म, ग्रुप-डी में वेटिंग लिस्ट के 2949 युवाओं को मिली नौकरी
हरियाणा में ग्रुप डी वेटिंग लिस्ट के 2949 युवाओं को नौकरी मिल गई है। इन युवाओं डेढ़ साल से अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे।
चंडीगढ़, जेएनएन। डेढ़ साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे ग्रुप डी की वेटिंग लिस्ट में शामिल करीब तीन हजार युवाओं को बड़ा तोहफा मिला है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) ने दो हजार 949 युवाओं को नियुक्ति स्थल और पद आवंटित कर दिए। सभी युवाओं को 24 जून को संबंधित महकमों में जाकर कार्यभार संभालने को कहा गया है।
24 जून को संबंधित महकमों में जाकर ज्वाइनिंग करने का निर्देश
प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2018 में ग्रुप-डी के 18 हजार 218 पदों के लिए भर्तियां निकाली थी जो प्रदेश के इतिहास में सबसे बड़ी भर्ती थी। पिछले साल जनवरी में रिजल्ट घोषित होने के बाद दो हजार 949 चयनित युवाओं ने ज्वाइनिंग नहीं की। कई उच्च शिक्षित युवाओं को बेलदार, माली, कपड़ा धोने, नाई, कुक और चपरासी का काम पसंद नहीं आया, जबकि कई का चयन अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हो चुका है।
अप्रैल 2018 में निकली थी 18 हजार 218 पदों की भर्ती, जनवरी 2019 में रिजल्ट हुआ था घोषित
एचएसएससी ने विगत 29 मई को मेरिट लिस्ट में शामिल युवाओं को ज्वाइनिंग के लिए अंतिम बार 15 दिन का समय दिया था। यह समय सीमा पूरी होने के बाद अब एचएसएससी ने वेटिंग लिस्ट में शामिल युवाओं को नियुक्ति स्थल अलॉट कर दिए। एचएसएससी के चेयरमैन भारत भूषण भारती ने कहा कि सभी नवनियुक्त कर्मचारी तुरंत प्रभाव से कार्यभार संभालें।
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सरकारी कर्मचारियों के हक में खड़े हुए सुरजेवाला, सरकार से पूछे सवाल
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकारी विभागों में कर्मचारियों की छंटनी तथा उन्हेंं नौकरी से निकाले जाने पर सवाल खड़े किए हैं। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार प्रदेश के कर्मचारियों को परेशान करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। महामारी के इस संकट के दौर में भी आए दिन यह सरकार नए फरमान जारी कर कर्मचारियों को प्रताडि़त कर रही है। 19 जून को जारी नए फरमान में हरियाणा सरकार ने 4,400 कंप्यूटर शिक्षकों व लैब सहायकों की तनख्वाह बंद कर दी है।
कोरोना महामारी में फ्रंट लाइन पर काम करने वालों को नौकरी से निकालने का विरोध
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पूर्व मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि एक तरफ तो सरकार उद्योगपति और दुकानदारों को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए कह रही है, दूसरी तरफ यह सरकार अपने ही कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे रही, जो सरकार की कथनी और करनी के अंतर को साफ दर्शा रहा है।
सुरजेवाला ने प्रदेश की बेरोजगारी दर अब 43 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है। प्रदेश के उद्योग धंधे चल नहीं रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां नहीं हैं। ऐसे में सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का वादा कर सत्ता में आई भाजपा सरकार द्वारा वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को निकाला जा रहा है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कर्मचारी विरोधी होने के सरकार के कई सबूत पहले भी सामने आ चुके हैं। कोरोना रिलीफ फंड में दान देने के नाम पर कर्मचारियों से जबरन वसूली की गई। महामारी के दौर में आउटसोॄसग पर लगे हजारों स्वास्थ्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने की तैयारी चल रही है। 1,983 पीटीआइ अध्यापक नौकरी से बर्खास्त करने के बाद सरकार चुप्पी साधे हुए है।
हरियाणा की गठबंधन सरकार से सुरजेवाला ने पूछे यह सवाल
1. यदि इन कॢमयों को तनख्वाह नहीं मिलेगी तो इनका गुजारा कैसे होगा?
2. क्या हरियाणा में सरकारी नौकरी करना गुनाह हो गया है?
3. आखिर क्यों गठबंधन की सरकार ने कर्मचारियों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया?
4. आखिर क्यों रोजाना लोगों के पेट पर सरकार द्वारा लात मारी जा रही है?
5. आखिर क्यों कर्मचारियों का रोजगार छीना जा रहा है?
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