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इस्तीफा लेकर चंडीगढ़ पहुंचे हरियाणा के शहरी निकाय प्रधान, वित्तीय शक्तियां छिनने पर जताई नाराजगी

हरियाणा शहरी निकायों के प्रधान अपना इस्तीफा लेकर चंडीगढ़ पहुंचे। वह वित्तीय शक्तियां छिनने से नाराज हैं। नाराज प्रधान पहले भाजपा के हरियाणा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ से मिले। धनखड़ ने उन्हें निकाय मंत्री कमल गुप्ता से मिलवाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 09:49 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 09:49 AM (IST)
इस्तीफा लेकर चंडीगढ़ पहुंचे हरियाणा के शहरी निकाय प्रधान, वित्तीय शक्तियां छिनने पर जताई नाराजगी
वित्तीय शक्तियां छिनने से नाराज निकाय प्रधानों की इस्तीफे की पेशकश। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के शहरी निकाय प्रधान अपनी वित्तीय शक्तियां छीने जाने से बेहद आहत हैं। प्रदेश भर के शहरी निकाय प्रधान शुक्रवार को अपने-अपने इस्तीफे लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ से मिले।

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धनखड़ ने उन्हें शहरी निकाय मंत्री डा. कमल गुप्ता से मिलवाया। निकाय प्रधानों ने वित्तीय शक्तियां छीने जाने के साथ ही बैठकों का एजेंडा कार्यकारी अधिकारियों व सचिवों द्वारा फाइनल किए जाने के फैसले का खुलकर विरोध किया। अगर प्रधान की ओर से तैयार किया गया कोई प्रस्ताव कानूनी या वित्तीय तौर पर व्यवहारिक नहीं है तो उसे निकाय की बैठक में नहीं रखा जाएगा।

शहरी निकाय प्रधान प्रदेश सरकार की इस नई व्यवस्था का भी विरोध कर रहे हैं। सभी प्रधान अपने-अपने दो पेज के इस्तीफे लेकर आए थे, जिनकी भाषा एक समान थी। शहरी निकाय प्रधानों ने ओमप्रकाश धनखड़ और कमल गुप्ता को सौंपे अपने इस्तीफों में कहा कि वित्तीय शक्तियां वापस लेने के सरकार के फैसले से अफसरशाही हावी हो गई है।

कहा कि हम लोग जनता के बीच के आदमी हैं, लेकिन हमारे लिए यह शर्म की बात है कि हम उनके काम नहीं करा सकते। निकाय प्रधानों ने मुख्यमंत्री की रोहतक प्रेस कान्फ्रेंस का जिक्र करते हुए कहा कि वहां उन्होंने वित्तीय शक्तियों की जरूरत से इन्कार कर दिया था। इससे भी अफसरशाही बेलगाम होती जा रही है। अब तो कर्मचारी भी शहरी निकाय प्रधानों की अनदेखी करने लगे हैं।

समाज कल्याण राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव ने निकाय प्रधानों को चोर तक कह दिया है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। प्रधानों ने कहा कि आधे से ज्यादा प्रधान भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं। ऐसे में पार्टी के प्रति निष्ठावान अध्यक्षों का यह अपमान उचित नहीं है।

निकाय प्रधानों ने कहा कि वित्तीय शक्तियां अधिकारियों को दिए जाने से न तो नए टेंडर खुल रहे हैं और न ही पुराने बिल पास हो रहे हैं। वित्तीय शक्तियां प्रधानों के मान सम्मान से जुड़ा मामला है। जनता ने उन्हें सीधा चुना है और पार्टी ने भी टिकट दिए थे, लेकिन अब लोगों की उम्मीदें कैसे पूरी होंगी।

उन्होंने कहा कि यदि प्रधानों की वित्तीय शक्तियां बहाल नहीं होती तो उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाएं। इस पर ओमप्रकाश धनखड़ व डा. कमल गुप्ता ने जल्दी ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल से वार्ता कर प्रधानों का मान-सम्मान बहाल कराने का भरोसा दिलाया है।


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