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केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया बोले- SYL पर केंद्र कर चुका हस्तक्षेप, अब पंजाब की ओर से बैठक का इंतजार

केंद्रीय जल शक्ति सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया का कहना है कि एसवाईएल केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर चुकी है। मुद्दे के हल के लिए अब पंजाब के मुख्यमंत्री की ओर से बैठक होने का इंतजार है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 01:52 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 02:46 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया बोले- SYL पर केंद्र कर चुका हस्तक्षेप, अब पंजाब की ओर से बैठक का इंतजार
रतनलाल कटारिया, केंद्रीय जल शक्ति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री। जागरण

चंडीगढ़। हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले केंद्रीय जल शक्ति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया आजकल महाकुंभ की तैयारियों में जुटे हैं। साथ ही वह ऐसे भारत का सपना भी देखते हैं, जिसमें कोई नशा न करता हो। यानी नशामुक्त भारत। इसके लिए उन्होंने विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन का मास्टर प्लान तैयार किया है। साथ ही कटारिया को तीन माह से चल रहे तीन कृषि कानून विरोधी आंदोलन की चिंता भी सता रही है।

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कटारिया की चिंता किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर की जा रही राजनीति को लेकर ज्यादा है। अंबाला लोकसभा सीट से करीब सवा छह लाख मतों से चुनाव जीते 70 वर्षीय कटारिया चाहते हैं कि किसानों को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के लिए बातचीत के द्वार खोल रखे हैं। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने केंद्रीय राज्य मंत्री से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश।

सवाल - कोरोना महामारी के बाद पहली बार महाकुंभ होने जा रहा है। आपके विभाग ने गंगा स्नान की क्या तैयारियां की हैं?

जवाब - हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ का मेला इस बार एक अप्रैल से 28 दिन का होने की संभावना है। उत्तराखंड के साथ-साथ केंद्र सरकार इसकी पूरी तैयारी में लगी है। पहले कुंभ चार माह तक की अवधि का होता रहा है। हरिद्वार कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि पर 11 मार्च को होगा। इस दिन संन्यासियों के सात और 27 अप्रैल वैशाख पूर्णिमा पर बैरागी अणियों के तीन अखाड़े कुंभ में स्नान करेंगे। 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल मेष संक्रांति के मुख्य शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों का हरिद्वार कुंभ में स्नान होगा। हमारी कोशिश है कि इस बार गंगा में एक भी बूंद गंदे पानी की न जाने पाए। साधू-संतों और श्रद्धालुओं को गंगा के शुद्ध पानी में स्नान का मौका मिले, यही हमारी प्राथमिकता है।

सवाल - गंगा को साफ-सुथरा बनाने के लिए करोड़ों रुपये की परियोजनाएं बन चुकी, लेकिन क्या आप मानते हैं कि उनके अच्छे नतीजे सामने आए हैं?

जवाब - गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए 28 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं बनी हैं। गंगोत्री से हरिद्वार तक गंगा को साफ करने की इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर दृढ़ता से काम हुआ। अधिकतर परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके अच्छे नतीजे रहे। अभी भी साढ़े 10 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं के जरिये गंगा को साफ करने का अभियान जारी है। गंगा की स्वच्छता सरकार की प्राथमिकता है।

सवाल - हरियाणा और पंजाब के बीच एसवाईएल नहर निर्माण का मसला लंबे समय से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आ चुका। अब केंद्र के हस्तक्षेप का इंतजार है?

जवाब - पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंंदर सिंह, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और मैं स्वयं वर्चुअल माध्यम से एक बार बैठ चुके हैं। हमने पंजाब से कहा कि पानी के बंटवारे पर बातचीत बाद में होती रहेगी, लेकिन आप नहर की कनेक्टिविटी दीजिये। इसका फायदा यह होगा कि बरसाती पानी इस नहर के माध्यम से मिलने लगेगा। तब पंजाब के सीएम ने चंडीगढ़ में बैठक बुलाने की बात कही थी। उनकी बैठक का इंतजार है।

सवाल - आपके पास सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का प्रभार भी है। देश के कई राज्य ऐसे हैं, जहां नशा बहुत अधिक फैल चुका। इसके निस्तारण की क्या योजना है?

जवाब - देश के 272 जिलों को हम नशामुक्त कर चुके हैं। अभी थोड़ा काम हुआ है। ज्यादा काम करना बाकी है। नशामुक्त भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है। इस सपने को पूरा करने के लिए सरकार गंभीरता से आगे बढ़ रही है।

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सवाल - तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन भी काफी लंबा ङ्क्षखच चुका। इससे देश की अर्थव्यवस्था, नई फसल की बुआई और रोजमर्रा के दैनिक कार्यों पर असर पड़ रहा?

जवाब - यह सामान्य समझ की बात है कि कोई सरकार किसानों या आमजन के हितों के विरुद्ध कोई कानून कैसे बना सकती है। यह कानून किसानों के हितों के विपरीत कतई नहीं है। पूरे देश में 43 लाख ट्रैक्टर हैं। किसान नेता 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ कूच करने की बात करते हैं। यह कितना हास्यास्पद है। दरअसल, इस आंदोलन में राजनीति हावी है। कोई किसान भला अपनी फसल को क्यों जलाएगा। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर कांग्रेस अपने खोए हुए जन विश्वास को हासिल करने का असफल प्रयास कर रही है। सफर किसानों व पूरे देश को करना पड़ रहा है।

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सवाल - कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा पूंजीपतियों के हाथों में खेल रही है। बड़े-बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की योजना है?

जवाब - यह सिर्फ ख्याली और हवाई बात है। जिस दिन संसद में तीन कृषि कानून पास हुए थे, उस दिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही सदन में नहीं थे। अगले दिन राहुल गांधी पंजाब में किसी ट्रैक्टर पर बैठे दिखाई देते हैं। बिलों का विरोध कांग्रेस की राजनीति से प्रेरित है।

सवाल - जल शक्ति मंत्रालय ने हाल ही में हर घर में नल से पानी पहुंचाने की योजना पर काम आरंभ किया था। कितनी सफलता मिल पाई?

जवाब - कांग्रेस के 70 साल के राज में मात्र सवा तीन करोड़ लोगों के घरों में जल से नल पहुंच पाया था। एक साल में हमने तीन करोड़ 60 लाख लोगों के घरों में नल से पानी पहुंचा दिया। हम हर रोज दो लाख घरों में पानी पहुंचा रहे हैं। पंचकूला, अंबाला व कुरुक्षेत्र समेत हरियाणा के पांच जिलों में 100 फीसदी घरों में नल से पानी पहुंच रहा है।

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सवाल - केंद्रीय मंत्री के नाते आपका हरियाणा की राजनीति में पूरा दखल है। भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के विरुद्ध कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है?

जवाब - पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल को लोग भूले नहीं हैं। उस राज में जमीनों का कारोबार होता था। नौकरियां बिकती थी। भ्रष्टाचार चरम पर था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन सारी अव्यवस्थाओं में सुधार किया। प्रदेश में बाजरे का कई गुणा रेट मिल रहा है। मुख्यमंत्री पूरी पारदर्शिता से काम कर रहे हैं। हुड्डा यदि गठबंधन सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे तो वह औंधे मुंह गिरना तय है।

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