इन तीन केंद्रीय मंत्रियों की हरियाणा सीएम की कुर्सी पर नजर, नब्ज टटोलने में जुटे
हरियाणा के तीन केंद्रीय मंत्री राज्य में खूब सक्रिय हैं और जनता के संग-संग भाजपा कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने में लगे हैं। तीनों की निगाहें राज्य के मुख्यमंत्री पद पर लगी हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रहे तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। तीनों मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड बुक में गिने जाते हैं। दरअसल इन तीनों केंद्रीय मंत्रियों की निगाहें हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिकी हैं। इनमें से दो मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री नहीं बन पाने का आज तक मलाल है। राजनीतिक सभाओं और रैलियों में उनका यह दर्द कई बार छलक चुका है।
बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत और कृष्णपाल गुर्जर टटोल रहे नब्ज
हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से सात पर भाजपा का कब्जा है। अहीरवाल के नेता राव इंद्रजीत और बांगर-जाट बेल्ट के कद्दावर नेता चौ. बीरेंद्र सिंह चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और दोनों चुनाव जीत गए। दक्षिण हरियाणा के रसूखदार नेता कृष्णपाल गुर्जर की भी केंद्र में मजबूत पकड़ है। दिल्ली से सटे हरियाणा को अहमियत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में इन तीनों नेताओं को खास महत्व दिया है।
मोदी को हरियाणा लाने में कामयाब रहे छोटू राम के नाती बीरेंद्र सिंह
हरियाणा में अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे। 2014 और आज के हालात में जमीन आसमान का अंतर है। लिहाजा हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रहे इन तीनों नेताओं ने प्रदेश में अचानक अपनी सक्रियता तेज कर दी है। दीनबंधु सर छोटू राम के नाती बीरेंद्र सिंह 9 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली करवा रहे हैं। गढ़ी सांपना में मोदी दीनबंधु की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावकरण करेंगे। मोदी हरियाणा दिवस पर एक नवंबर को करनाल में होने वाली रैली से पहले गढ़ी सांपला आ रहे हैं, जिसका मतलब साफ है कि भाजपा प्रदेश में जाट नेताओं को नाराजगी मोल लेने के मूड में नहीं है।
अहीरवाल से बाहर निकले राव इंद्रजीत, कृष्णपाल गुर्जर ने बढ़ाई गतिविधियां
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भी अहीरवाल के साथ-साथ मध्य और उत्तर हरियाणा में सक्रिय हो गए हैं। बीरेंद्र सिंह की तरह वह भी अपनी रैलियों में कई बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनौती दे चुके हैंं। राव इंद्रजीत भी खुद को मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार मानते हैं।
दूसरी ओर, कृष्णपाल गुर्जर ने कभी खुलकर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर नहीं की और संकट के कई मौकों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ खड़े दिखाई दिए। लेकिन, समर्थक उनको मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते। गुर्जर जीटी रोड बेल्ट के साथ-साथ चंडीगढ़ में भी खूब सक्रिय हैं। केंद्र सरकार के कार्यक्रमों में भागीदारी के बहाने गुर्जर पार्टी कार्यकर्ताओं का मन टटोलने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते।
बहरहाल, यह मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कौशल है कि उन्होंने पहली बार सत्ता संभालने के बावजूद उसे बखूबी संभाले रखने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। केंद्रीय मंत्रियों की सक्रियता पर भाजपा हाईकमान के साथ-साथ इनेलो व कांग्रेस की भी निगाह है।