पंचकूला सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच होगा सीधा मुकाबला
पंचकूला विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा।
राजेश मलकानियां, पंचकूला : पंचकूला विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। इनेलो के पास कोई भी सशक्त उम्मीदवार नहीं है जबकि आम आदमी पार्टी आपसी फूट का बुरी तरह शिकार हो चुकी है और जननायक जनता पार्टी को अभी पंचकूला में आधार खड़ा करने में समय लगेगा। इस सीट पर एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा का विधायक रह चुका है। पंचकूला हरियाणा की उन विधानसभा सीटों में से है जिनका इतिहास बहुत छोटा है। पंचकूला से 2008 के परिसीमन से स्वरूप में आई थी और इसपर अब तक 2009 और 2014 के ही विधानसभा चुनाव हुए हैं। मुख्य रूप से पंचकूला के शहरी क्षेत्रों वाली इस सीट में आसपास के 35 गांव भी हैं। 2009 में इस सीट से कांग्रेस के देवेंद्र कुमार बंसल चुनाव जीते थे जिन्होंने इनेलो की टिकट पर लड़ रहे पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को हराया था। इस चुनाव में भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे थे। जो 2014 में बड़े अंतर से जीत हासिल कर विधायक बने। 2009 में हजकां के शशि शर्मा ने भी यहां अच्छे वोट लिए थे। कांग्रेस है फूट की शिकार पर वोट बैंक पक्का
कांग्रेस आपसी फूट का शिकार है। पंजाबी समुदाय की पूर्व मेयर उपिद्र कौर आहलुवालिया और हरियाणा चुनाव समिति की सदस्य रंजीता मेहता, पूर्व नगर परिषद प्रधान रविद्र रावल इस सीट पर प्रबल दावेदार हैं। इसके अलावा बनिया समाज से अंजलि डीके बंसल भी टिकट के लिए दावा ठोंक रही हैं। पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन भी लाइन में हैं। कांग्रेस जिस किसी को भी टिकट देगी, उसका अंदरुनी तौर पर कांग्रेसी ही विरोध करेंगे लेकिन कांग्रेस का पक्का वोट प्रतिशत जरूर मिलेगा। भाजपा को जीत की उम्मीद
कांग्रेस की आपसी फूट एवं लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के चलते भाजपा को जीत की पूरी उम्मीद है। भाजपा की टिकट के दो प्रबल दावेदार बनिया समाज से हैं। जिसमें मौजूदा विधायक ज्ञानचंद गुप्ता एवं अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष कुलभूषण गोयल टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। इस समय केवल टिकट की भागमभाग लगी है। सभी को उम्मीद है कि जिसे भी टिकट मिले, जीत पक्की है। यह हैं दावेदार आम आदमी पार्टी से
जिला प्रधान योगेश्वर शर्मा एवं गौतम प्रसाद टिकट मांग रहे हैं। जबकि जननायक जनता पार्टी से ओपी सिहाग, दिलबाग सिंह नैन भी पंचकूला सीट पर प्रबल दावेदार हैं। जबकि इनेलो को यदि कोई प्रबल दावेदार नहीं मिला तो पूर्व पार्षद सुभाष निषाद टिकट के दावा ठोंक सकते हैं। जबकि इनेलो को यह बात पता है कि जीत मिलना मुश्किल है।