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पर्यावरण बचाने के लिए घूमता है बाबा की साइकिल का पहिया

लोग निजी तौर पर भी नए-नए आइडिया से दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 08:54 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:10 AM (IST)
पर्यावरण बचाने के लिए घूमता है बाबा की साइकिल का पहिया
पर्यावरण बचाने के लिए घूमता है बाबा की साइकिल का पहिया

जागरण संवाददाता, पंचकूला : जगह-जगह प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और लोग निजी तौर पर भी नए-नए आइडिया से दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं। ऐसे एक हैं साइकिल बाबा उर्फ डॉ. राज फांडन। जोकि अब तक 52 देशों में घूम चुके हैं और उनका लक्ष्य 200 देशों में जाकर पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरणा देना है। साइकिल बाबा एक बार यदि साइकिल पर बैठे गए, तो पांच से छह घंटे पहिया घूमता रहता है। शहीदों के नाम पर अब उन्होंने साइकिल यात्रा शुरू की है, जोकि अलग-अलग क्षेत्रों से होती हुई पंचकूला पहुंची। पंचकूला पहुंचने पर डॉ. राज का समाजसेवी बॉबी सिंह और मनजिद्र पाल सिंह ने स्वागत किया। बॉबी सिंह ने केक काटकर उनके इस काम को सराहा। डॉ. राज ने कहा कि प्रतिदिन तेजी से बढ़ते प्रदूषण का हाल ये है कि भूकंप, बाढ़, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए विशेषज्ञों ने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका मानना है कि अगर हालात में बदलाव नहीं हुआ, तो साल 2030 तक इंसान को रहने के लिए पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रह की तलाश करनी पड़ेगी। डॉ. राज ने अब तक पर्यावरण बचाने के लिए साइकिल से 54 देशों की यात्रा की है। साइकिल बाबा उर्फ डॉक्टर राज ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से बीएमएस किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही पर्यावरण और पेड़-पौधों से काफी लगाव था। प्रकृति से इस कदर लगाव का श्रेय उन्होंने अपने पिताजी को दिया, जोकि बैंक में जॉब करते थे। बचपन में उन्होंने अपने पिता को पेड़-पौधों की देखभाल करते और खेतों की देखरेख करते देखा था, बस तभी से उनके मन में पर्यावरण के प्रति लगाव पैदा हुआ। अमूमन वो यूं ही कई पेड़-पौधे लगाया करते थे, लेकिन 2016 में पर्यावरण के प्रति इस लगाव को उन्होंने अपना जुनून और मिशन बनाने की ठानी। बॉबी सिंह ने उनके हाथों से त्रिवेणी लगवाकर उसकी सेवा का संकल्प लिया। बॉबी ने बताया कि उन्होंने 2020 में 2020 पौधे लगाने का संकल्प लिया था, जोकि आज पूरा हो गया। उन्होंने साइकिल को धन्नो का नाम दिया है। उसे भी लोग साइकिल बाबा के नाम से जानते हैं। उन्होंने अपने मिशन को व्हील फार ग्रीन का नाम दिया है।

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