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छत्रपति के परिवार को इंसाफ दिलाने में छह लोगों ने निभाया मुख्य किरदार

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को पूरा सच लिखने के चलते मौत के घाट उतार दिया गया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 07:41 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 07:41 AM (IST)
छत्रपति के परिवार को इंसाफ दिलाने में छह लोगों ने निभाया मुख्य किरदार
छत्रपति के परिवार को इंसाफ दिलाने में छह लोगों ने निभाया मुख्य किरदार

राजेश मलकानियां, पंचकूला : पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को पूरा सच लिखने के चलते मौत के घाट उतार दिया गया था, परंतु उनके परिवार को इंसाफ दिलवाने के लिए लगभग 16 साल तक छह मुख्य किरदार डटे रहे। कई बार धमकियां मिली, जान जाने का भी खतरा हो गया। परंतु इन सभी किरदारों की निडरता से अब रामचंद्र छत्रपति के परिवार को इंसाफ मिल गया है। जिन धाराओं में राम रहीम को दोषी करार दिया गया है, उसमें वकीलों की दलील है कि कम से कम उम्रकैद और अधिकतम फांसी की सजा सुनाई जा सकती है। इन किरदारों के चेहरे पर खुशी थी और कह रहे थे कि जब धरती पर पाप बढ़ता है, तो कोई भगवान जन्म लेता है। गुरमीत राम रहीम का पाप लगातार बढ़ रहा था और उसे रोकने के लिए जज जगदीप ¨सह ने भगवान से कम भूमिका नहीं निभाई। एम नारायणन

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सीबीआइ के दो अधिकारियों की बदौलत यह मामला अंजाम तक पहुंच पाया। ये अफसर थे तत्कालीन डीआइजी मु¨लजा (एम) नारायणन और एसपी सतीश डागर। इन दोनों की वजह पहले राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में सजा मिली और अब पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या में दोषी करार दिया गया। सीबीआइ के तत्कालीन डीआइजी मु¨लजा नारायणन को यह केस सौंपा गया था। केस हाथ में लेने के साथ ही उन्हें डेरा समर्थकों की ओर से धमकी भी मिलने लगी थी। मु¨लजा को जिस दिन केस सौंपा गया था, उसी दिन उनके अधिकारी उनके रूम में आए और कहा कि ये केस तुम्हें जांच करने के लिए नहीं, बंद करने के लिए सौंपा गया है। इसके अलावा मु¨लजा पर और भी अधिकारियों और नेताओं का भी दबाव था, लेकिन वो नहीं झुके। सतीश डागर

सतीश डागर एक और अफसर थे, जो एसपी थे। केस सतीश डागर के हाथ में था। उन्होंने बिना किसी दबाव में आए मामले में लगातार जांच की। हर आरोपित की भूमिका को तलाश किया। जब केस की सुनवाई शुरू हुई, तो राम रहीम के समर्थक इनको धमकाते रहे, लेकिन वह डरे नहीं। डागर हर सुनवाई पर सीबीआइ कोर्ट में हाजिर होते थे। इस मामले में शुक्रवार को जब राम रहीम को दोषी करार दिया गया, तो छत्रपति के बेटे अंशुल ने भी सतीश डागर के साहस की तारीफ की। अंशुल के मुताबिक सतीश डागर पर अधिकारियों और नेताओं का दबाव था, तो दूसरी ओर उन्हें डेरा समर्थकों की ओर से धमकी भी मिल रही थी, लेकिन डागर ने उस वक्त में भी साहस दिखाया और केस को अंजाम तक पहुंचाने में सफल रहे। खट्टा ¨सह

गुरमीत राम रहीम का राजदार ड्राइवर। जोकि हर समय उसके साथ रहता था। उसे हर बात की जानकारी होती थी। खट्टा ¨सह ने राम रहीम के षड्यंत्र की पूरी गवाही कोर्ट में दी। जिससे पता चल पाया कि आखिर किस प्रकार राम रहीम हत्या का दोषी है। राम रहीम को दोषी करार देने के बाद खट्टा ¨सह ने कहा कि जगदीप ¨सह जैसे जज हर कोर्ट में लगाए जाने चाहिए, जोकि दूध का दूध और पानी का पानी कर दें। इन 16 सालों में मैंने इतना दबाव झेला, बस मेरी मौत नहीं हुई और परमात्मा ने मेरा खूब साथ दिया। दरबार साहिब में गुरु का शुक्र अदा करने जाउंगा। अब तक राम रहीम पर राजनीतिक छतरी थी, अब वह उठ चुकी है। एचपीएस वर्मा

सीबीआइ के वकील एचपीएस वर्मा ने शुरू से ही राम रहीम के खिलाफ चल रहे इस मामले में दृढ़ता कोर्ट में दलीलें दी। वह अंबाला में भी सुनवाई के लिए जाते थे, फिर पंचकूला कोर्ट में अदालत शिफ्ट होने के बाद आते रहे। एडवोकेट वर्मा कोर्ट में यह साबित करने में कामयाब रहे कि आखिर राम रहीम ने पत्रकार की हत्या क्यों करवाई? हत्या में कौन सी पिस्तौल का इस्तेमाल हुआ और वह किसकी थी। जिससे पूरे केस की कडि़यां जुड़ गई। एचपीएस वर्मा ने कहा कि हमें न्यायापालिका पर पूरा भरोसा था और अब हम जीत गए हैं। वर्मा ने बताया कि इस मामले में जिन धाराओं में राम रहीम को दोषी करार दिया है, इसमें कम से कम उम्रकैद और अधिकतम फांसी की सजा है। अंशुल छत्रपति

रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल इस मामले में चश्मदीद रहे। अंशुल और अदिरमन ने कोर्ट में आकर गवाही दी थी कि उन्होंने अपने पिता की हत्या होते देखी थी। कुलदीप और निर्मल ने ही गोलियां चलाई थी। 2002 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके अंशुल ने कहा था कि इस मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम प्रमुख आरोपित है, जिसने उसके पिता की हत्या करवाई है। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। जज जगदीप ¨सह

जज जगदीप ¨सह ने साल 2012 में हरियाणा ज्यूडिशियल सर्विस ज्वाइन की। उनकी पहली पोस्टिंग सोनीपत में रही और सीबीआइ कोर्ट में उनकी दूसरी पोस्टिंग है। कहा जाता है कि सीबीआइ कोर्ट में जज नियुक्त होना आसान नहीं होता, लेकिन ये जगदीप ¨सह की काबिलियत ही है कि हाईकोर्ट प्रशासन ने एक ही पो¨स्टग के बाद उन्हें सीबीआइ कोर्ट की जिम्मेदारी सौंप दी। ज्यूडीशियल सर्विस में आने से पहले जगदीप ¨सह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकील थे। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश रह चुके जगदीप ¨सह गत वर्ष ही सीबीआइ कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। जगदीप ¨सह के दोस्तों के मुताबिक वे अपने काम को लेकर सख्त रवैया रखते हैं। उन्हें गैरजिम्मेदाराना व्यवहार पसंद नहीं, इसके वे बिल्कुल खिलाफ हैं। जज जगदीप ¨सह राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में जेल के पीछे पहुंचा चुके हैं। इसके बाद रोहतक के अपना घर मामले में जसवंती देवी सहित अन्य को सजा दी और अब रामचंद्र छत्रपति को इंसाफ दिया है।


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