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कांग्रेस ने एमएसपी के मुद्दे पर पीएम मोदी व कृषि मंत्री को दी खुली बहस की चुनौती

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एमएसपी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को खुली बहस की चुनौती दी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 02:39 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 08:46 PM (IST)
कांग्रेस ने एमएसपी के मुद्दे पर पीएम मोदी व कृषि मंत्री को दी खुली बहस की चुनौती
कांग्रेस ने एमएसपी के मुद्दे पर पीएम मोदी व कृषि मंत्री को दी खुली बहस की चुनौती

जेएनएन, चंडीगढ़। खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं। पंजाब के मलोट में 11 जुलाई को होने जा रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धन्यवाद रैली पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने पीएम और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को एमएसपी को लेकर सार्वजनिक मंच पर बहस करने की चुनौती दी है। पार्टी संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे पर केंद्र को घेरेगी।

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चंडीगढ़ में पत्रकारों से मुखातिब कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और कैथल से विधायक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों से किए वादों को पूरा न कर उन्हें गुमराह करने में लगी है। पंजाब के अकाली दल ने चाटुकारिता की हदें पार करते हुए मलोर में पीएम की धन्यवाद रैली रख दी और हरियाणा भाजपा भी मोदी को कृषि सम्मान देने की तैयारी कर रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि असल में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के नाम पर किसानों से धोखा हुआ है। केंद्र सरकार अपने ही आंकड़ों में उलझ रही है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने फसलों की जो लागत दिखाई है, केंद्र सरकार ने उससे काफी कम मूल्य निर्धारित किया है।

सुरजेवाला के मुताबिक सही मायने में फसल लागत पर किसानों को पचास फीसद मुनाफा दिया जाता तो उन्हें धान पर 590, ज्वार पर 844, कपास पर 1621, अरहर पर 1796 और मूंग पर 2266 रुपये प्रति क्विंटल तक अधिक मिलते।

उन्होंने कहा कि डीजल और खाद की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। जिंक सल्फेट की कीमत 60 फीसद और सुपर के कट्टे के दाम 20 फीसद बढ़ गए हैं। खाद पर पांच फीसद, टैक्टर व कृषि उपकरणों पर 12 और कीटनाशकों पर 18 फीसद जीएसटी ने किसानों की कमर तोड़ दी। ऐसे में केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य नाकाफी है।

बीमा कंपनियों ने किसानों के हड़पे 14 हजार 828 करोड़

सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राइवेट कंपनी मुनाफा योजना बनकर रह गई है। पिछले खरीफ और रबी सीजन में किसानों से बीमे के नाम पर 20 हजार 478 रुपये वसूले गए और मुआवजा दिया सिर्फ 5 हजार 650 करोड़। इस तरह बीमा कंपनियां सीधे 14 हजार 828 करोड़ रुपये हड़प गईं।

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