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सुप्रीम कोर्ट का हाई कोर्ट को आदेश, महत्वपूर्ण केसों की न हो अनदेखी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और अन्य अदालतों को निर्देश जारी किए हैं महत्वपूर्ण मामलों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या ऐसी ही अन्य तकनीक के जरिए सुनवाई की जाए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 08:35 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 08:35 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का हाई कोर्ट को आदेश, महत्वपूर्ण केसों की न हो अनदेखी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट का हाई कोर्ट को आदेश, महत्वपूर्ण केसों की न हो अनदेखी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सुनवाई

जेएनएन, चंडीगढ़। Coronavirus COVID-19 संकट के कारण सुप्रीम कोर्ट सहित सभी हाई कोर्ट और जिला अदालतें बंद हैं। ऐसे में इस दौरान हर किसी को न्याय मिल सके, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अब सभी हाई कोर्ट और अन्य अदालतों को निर्देश जारी कर इस दौरान आने वाले महत्वपूर्ण मामलों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या ऐसी ही अन्य तकनीक के जरिए सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।

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चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एवं जस्टिस एल नागेश्वर राव की खंडपीठ ने कोरोना संकट के कारण पैदा हुए हालात पर स्वयं संज्ञान ले यह निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे हालात में भी अदालतों को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता है फिर भी प्रत्येक को न्याय को मिले यह सुनिश्चित करना भी सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट की जिम्मेदारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगभग सभी अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है। ऐसे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महत्वपूर्ण केसों की सुनवाई की जाए। अदालतों में हर हाल में सोशल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी) मेन्टेन की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि अदालतों में कम से कम जमावट हो। यानि की फिजिकल प्रेजेंस कम की जाए, तांकि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके।

निर्देश दिए गए है कि जिन वादी पक्ष के पास वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा नहीं है उन्हें यह सुविधा दी जाए। जब तक इस विषय में नियमों को नोटिफाई नहीं किया जाता है तब तक चाहे ट्रायल के स्तर हो या अपील का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई हो। जिस केस में एविडेंस पेश किए जाने हैं उसमे दोनों पक्षों की सहमति ली जाए और प्रिजाइडिंग अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि अदालत में शारीरिक दूरी को बकरार रखा जाए।

प्रिजाइडिंग अधिकारी के पास यह अधिकार होगा कि वह सुनवाई में कितने लोग पेश हों इसकी संख्या निर्धारित करे और कम से कम लोग सुनवाई पर पेश हों सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्याय व्यवस्था और प्रक्रिया को किसी भी हाल में स्थगित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में इन सभी निर्देशों का पालन कर ही महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई की जाएं।

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